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महिलाएं बनातीं भोजन के पैकेट, वितरण करते युवा

मिसाल. कादिराबाद नाका दो के मोहल्लावासी कर रहे सेवा सदर : कादिराबाद नाका नंबर दो के लोगों ने मानवता की सेवा की अनूठी मिसाल पेश की है. आमतौर किसी न किसी संगठन को ही बाढ़ पीड़ितों की मदद में पहल करते देखा जाता है लेकिन इस मुहल्ले के लोगों ने आपसी सहयोग से राहत वितरण […]

मिसाल. कादिराबाद नाका दो के मोहल्लावासी कर रहे सेवा

सदर : कादिराबाद नाका नंबर दो के लोगों ने मानवता की सेवा की अनूठी मिसाल पेश की है. आमतौर किसी न किसी संगठन को ही बाढ़ पीड़ितों की मदद में पहल करते देखा जाता है लेकिन इस मुहल्ले के लोगों ने आपसी सहयोग से राहत वितरण कर अनुकरणीय पहल की है. सबसे सुखद पहलू यह है कि इसमें कमोबेश समाज का सभी एकजुट है. महिलाएं जहां पीड़ितों के लिए भोजन सामग्री बनाने में सहयोग करती नजर आयी, वहीं युवा वर्ग इसके वितरण में जुटा दिखा.
मालूम हो कि बुधवार को इस मुहल्ले की ओर से करीब तीन हजार भोजन का पैकेट वितरित किया गया. समाजिक कार्यकर्ताओं ने मब्बी, बेलौना, मनियारी, चक्का, एनएच के फोरलेन सहित दर्जनभर से अधिक स्थानों पर इसका वितरण किया. पैकेट में पुरी, आलू का भुजिया एवं बुन्दिया डाला गया था. यहां के लोग गत 19 अगस्त से ही पीड़ितों के बीच राहत का वितरण कर रहे हैं. इससे पूर्व मब्बी से शोभन पुल तक महथापोखर, मब्बी, मनियारी, चक्का, शोभन, मोहम्मदपुर, लाधा
करकौली, कबराघाट, रत्नोपट्टी, किलाघाट, राज कैंम्पस, बाजितपुर, मधुपुर आदि गांवो व मुहल्लों के विस्थापितों के बीच राहत उपलब्ध कराया गया है. कार्यकर्ता शंभु प्रधान ने बताया कि यह राहत केंद्र सामाजिक सहयोग से चलाया जा रहा है. इसमें मुहल्ला एवं बाहरी लोगों की भरपूर मदद मिल रही है. किसी के यहां मांगने नहीं जाना पड़ता. प्रधान ने कहा कि अभी राहत का कार्य चलता रहेगा. उन्होंने इच्छुकों से पुण्य कार्य में सहयोग करने की अपील की है. वहीं फेयर प्राइस डीलर्स एसोशियेसन के अध्यक्ष सह जदयू के नेता विवोदानंद झा ने भी मदद देने में लगे हैं.
बौआ हमार सभ पर त टूटि पड़लैए विपत्ति के पहाड़ : सदर. मब्बी बेलौना गांव में एक सप्ताह से घर-घर में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है. गांव की मुख्य सड़क के दोनों तरफ के घर पानी जमा रहने से प्रतिदिन धाराशायी होते जा रहे हैं. हजारों परिवार प्रभावित हैं. अधिकांश तो अपना आशियाना छोड़ फोरलेन एवं महादेव मंदिर के पास सामुदायिक भवन में शरण ले चुके हैं. कुछ पड़ोसी के मकान की छत पर जिन्दगी गुजार रहे हैं. इतने दिनों तक लगातार पानी लगे रहने को लेकर अब यहां महामारी फैलने की आशंका बढ़ती जा रही है. लोग अपने-अपने मवेशी को ऊंचे स्थानों पर रखे हुए हैं. ज्यादातर पशुपालक गांव की मुख्य सड़क पर घर के सामने ही प्लास्टिक टांगकर समय गुजार रहे हैं. प्रभावित परिवारों के घर में चूल्हा तक जलाना मुश्किल है.
पीड़ितों की स्थिति ऐसी हो गयी है कि गांव में किसी वाहन को आते देख बच्चे-बूढ़े व महिलाऐं दौड़ पड़ती हैं. उन्हें लगता है कि राहत वितरण करनेवाली गाड़ी है. फिर क्या सभी गाड़ी घेरकर राहत के लिये हो हंगामा शुरु कर देते हैं. इसी बची पीछे से एक 75 वर्ष की बूढ़ी आती है. कहने लगती है कि बौआ विपत्ति के पहाड़ टूटि परलैए. कोना ऊबरबै कोनो बाट नजर नै अबै छै. चानो देवी खुद तो भूखी रह जाती है लेकिन नाती-पोता का पेट कैसे भरे उसी के जुगार में लगी रहती है. चानो का कहना है कि सरकारो किछु नै करै छै. हालांकि प्रशासन की तरफ से मब्बी महादेव मंदिर प्रागंण में बाढ़ राहत शिविर शिविर चलाया जा रहा है. पीड़ितों को दो वक्त का तैयार भोजन दिया जाता है, लेकिन मवेशियों की चारा के लिये मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. लोग त्रासदी की जिन्दगी जीने के लिए मजबूर हैं.

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