दरभंगा : एएसपी दिलनवाज अहमद, बहादुरपुर थानाध्यक्ष राज नारायण सिंह के नेतृत्व में शातिर राकेश कुमार उर्फ रौशन ठाकुर समेत तीन अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. अपराधी किसी बड़े आपराधिक घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे. गिरफ्तार अपराधियों के अलावा बाहर से भी कई अपराधियों की आने की पुलिस को […]
दरभंगा : एएसपी दिलनवाज अहमद, बहादुरपुर थानाध्यक्ष राज नारायण सिंह के नेतृत्व में शातिर राकेश कुमार उर्फ रौशन ठाकुर समेत तीन अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. अपराधी किसी बड़े आपराधिक घटना को अंजाम देने की योजना बना रहे थे. गिरफ्तार अपराधियों के अलावा बाहर से भी कई अपराधियों की आने की पुलिस को सूचना मिली थी. सूचना मिलने पर पुलिस त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया.
तीनों की गिरफ्तारी के बाद शहर में अपराध की बड़ी घटना टल गयी. रौशन करीब दो महीने पहले ही जेल से रिहा हुआ था. रिहा होने के बाद वह फिर से अपराध की दुनिया में प्रवेश कर गया. रौशन अपने साथियों के साथ वर्चस्व को लेकर छह जून को बहादुरपुर थाना क्षेत्र के सैदनगर में दो युवकों को गोली मारकर घायल कर दिया था. घायल तीर्थमणि सिंह व गौतम सिंह के आवेदन पर बहादुरपुर थाने में रौशन, रौनक समेत अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
वहीं पिछले महीने रौनक, रौशन व अन्य ने मिलकर बाजार समिति के एक मखाना व्यवसायी से दस लाख रुपये की रंगदारी भी मांगी थी. व्यवसायी से रंगदारी मांगे जाने के बाद एसएसपी सत्य वीर सिंह गंभीरता से लिया. उन्होंने तुरंत एएसपी के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन किया. टीम का नेतृत्व कर रहे एएसपी दिलनवाज अहमद ने रौनक को गिरफ्तार कर लिया. वहीं फरार रौशन को भी गिरफ्तार कर लिया है. रौशन की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली है.
मंडलकारा में भी रहा है रौशन का आतंक: रौशन करीब दो महीने पहले मंडल कारा से रिहा हुआ था. रिहा होने के बाद वह फिर से अपराध की दुनिया में कदम रख दिया. रौशन के मंडल कारा से आने के बाद फिर से शहर में अपराध की घटना में इजाफा होने लगा था. सैदनगर गोली कांड व मखाना व्यवसायी से रंगदारी मांगने मामले में नाम आने के बाद पुलिस उसकी तलाश कर रही थी. रौशन मंडल कारा में जब बंद था उसका वहां भी सिक्का चलता था. रौशन के अलावा चार अन्य कैदियों के आतंक से परेशान कारा प्रशासन ने सभी को सेंट्रल जेल भेजलने के लिये कारा महानिरीक्षक को पत्र लिखा था.
पत्र में कहा गया था कि विचाराधीन बंदी लहेरियासराय थाना क्षेत्र के अभंडा निवासी अमित कुमार यादव उर्फ सलमान, खाजासराय निवासी पंकज सिंह, लहेरियासराय थाना क्षेत्र के महाराजगंज निवासी मो. रेयाज उर्फ सूर्या, विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के सुंदरपुर निवासी राकेश कुमार उर्फ रोशन ठाकुर व बहादुरपुर थाना क्षेत्र के कबिलपुर निवासी शिव मुनी झा के स्थानीय होने के कारण काराधीन सभी नवयुवक उसके साथ रहते हैं. इसके कारण जेल में एक बड़ा गुट बन गया है. इन लोगों के कारण कारा के अन्य कैदी डरे-सहमे रहते हैं. उक्त गुट द्वारा कारा कर्मी व गृहरक्षकों को धमकाया जाता है. साथ ही बंदियों को उकसाकर एवं भड़काकर कारा की विधि-व्यवस्था बिगाड़ी जाती है. रौशन के जेल में जाने के बाद कारा प्रशासन का सिरदर्द एक बार फिर से बढ़ जायेगा.
कारागार से भागने की बनायी थी योजना
प्रभारी काराधीक्षक ने पत्र में कहा था कि इन बंदियों द्वारा पूर्व में कारा से भागने की योजना बनायी गयी थी. केंद्रीय कारा भेजने के पीछे कारा अधीक्षक ने पुख्ता आधार का जिक्र भी किया है. उन्होंने लिखा है कि 10 अप्रैल को कारा में बंद कैदी मो. रेयाज उर्फ सूर्या मोबाइल से बात कर रहा था. कक्षपाल ब्रजेश कुमार द्वारा मोबाइल छीनने पर वहां मौजूद कैदी राकेश कुमार उर्फ रोशन ठाकुर, शिवमुनी झा, पंकज कुमार सिंह व अमित कुमार यादव उर्फ सलमान उनके साथ मारपीट की. बंदियों ने कक्षपाल को छत पर से भी धकेलने का प्रयास किया. सिटी बजाने पर अन्य पुलिस कर्मियों के आने पर कक्षपाल ब्रजेश की जान बची.
केंद्रीय कारा जाने से पहले रौशन को बेल
कारा प्रशासन के पत्र के आलोक में जबतक कारा महानिरीक्षक का सभी पांच बंदियों को केंद्रीय कारा भेजा जाता उससे पहले ही रौशन को न्यायालय से बेल मिल गया. बेल मिलने के बाद रौशन कारा से रिहा हो गया. जबकि, रौशन को छोड़कर बांकी चार बंदी को बाद में केंद्रीय कारा भेज दिया गया. इसमें अमित कुमार यादव उर्फ सलमान को पिछले सप्ताह ही दारोगा पर फायरिंग