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वोटकटवा बिगाड़त बाड़े जाती समीकरण

घड़ी में सुबह के 8.45 बजे थे. नरकटियागंज जंकशन पहुंचते ही 15504 पैसेंजर ट्रेन आंखों के सामने से छूट गयी. ट्रेन नहीं पकड़ पाने का मलाल चेहरे पर झलका तो एक महाशय बोल पड़े, अब तो बेतिया जाने के लिए सीधे एक बजे ही कोई ट्रेन मिलेगी. इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था. […]

घड़ी में सुबह के 8.45 बजे थे. नरकटियागंज जंकशन पहुंचते ही 15504 पैसेंजर ट्रेन आंखों के सामने से छूट गयी. ट्रेन नहीं पकड़ पाने का मलाल चेहरे पर झलका तो एक महाशय बोल पड़े, अब तो बेतिया जाने के लिए सीधे एक बजे ही कोई ट्रेन मिलेगी.

इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था. अब 12.35 बज रहे थे, प्लेटफार्म संख्या एक पर 15216 खड़ी हो गयी. नरकटियागंज से मुजफ्फरपुर जाने वाली इस ट्रेन में आज की तिथि का शायद पहला यात्री चढ़ने का सौभाग्य मिला. 12.45 तक ट्रेन में अच्छी खासी तादाद हो गयी और 12.50 बजे ट्रेन चलने के संग ही चुनावी चरचा भी शुरू हो गयी.

सवाल था कि इस बार यहां क्या चुनावी तसवीर बन रही है? सामने वाली सीट पर बैठे राजकुमार राजनीतिक पार्टी का नाम बोलते हैं. कहते हैं कि पूरे बिहार में हवा चल रही है. उसी की सरकार बनेगी. राजकुमार चनपटिया विधानसभा के कुमारबाग के रहने वाले हैं.

पर, उनके बगल की सीट पर बैठे विश्वनाथ को यह बात रास नहीं आयी. बोल उठे कि बिहार में कौनों का हवा नहीं चल रहा है. समर्थक अउर कार्यकर्ता से बतीआब.त उ अपन पार्टी क बात न करी. इसके बाद तो राजकुमार और विश्वनाथ में जुबानी जंग छिड़ गयी. दोनों अपनी पार्टी को बेहतर सिद्ध करने में जुट गये. इतने में साठी स्टेशन आ गया, कुछ और यात्री बोगी में चढ़े. कुछ देर के लिए रुकी रही राजकुमार और विश्वनाथ की चुनावी बहस फिर परवान चढ़ी तो बगल में बैठे शंभू बोल पड़े कि कउनो पार्टी खाएके दी का.

तू लोग बहस करत हव.अरे इ बड़का नेता लोग कोई के ना होला.जे सालों से झंडा ढोअत रहल, ओके टिकटवा भी नाही मिलल.. शंभू की बात में दम था, तभी तो राजकुमार, विश्वनाथ भी हामी भर देते हैं. हाथ में खैनी मसलते हुए लौरिया विधानसभा के बसंतपुर के रहने वाले अवधेश बोलते हैं कि भइया, चुनाव के दू दिन पहिले, सब साफ हो जाला.

सफर का आधा घंटा बीत चुका था. ट्रेन चनपटिया स्टेशन पर रुकी. बोगी में दो परिवार के करीब दर्जन भर बच्चे, बूढ़े , महिला और नवजवान लोग चढ़ गये. एक हमउम्र से पूछने पर पता चला कि दशहरा का मेला देखने बेतिया जा रहे हैं. चुनाव के बारे में पूछने पर मना कर देते हैं, बोलते हैं कि हमारा जहां मन करेगा, वहीं वोट डालेंगे. बोगी में अब लोग झपकी ले रहे थे. लिहाजा कुमारबाग स्टेशन आते ही बोगी बदल ली. एक हम उम्र ने बैठने की जगह दे दी.

सवाल फिर वही उछला कि इस बार चुनाव में यहां की क्या तसवीर बन रही है? सामने की सीट पर बैठे अरविंद राय कहते हैं कि बाबू तसवीर का बन रहा है. इहां कब्बो मुद्दा पर ना, जाति पर वोट पड़ेला..वोटकटवा अबकी जातीय समीकरण बिगाड़ देहले बान. उनकी बात अभी जारी ही रहती है कि इतनी देर में बेतिया स्टेशन आ जाता है.

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