बेतिया : चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष को लेकर बीते दिनों मुरली भरहवा पहुंचे सीएम नीतीश ने इस वर्ष में जिले को खुले में शौच से मुक्त करने का निर्देश दिया था, नतीजा जिले को ओडीएफ घोषित करने के लिए पूरा प्रशासनिक अमला तैयारी में जुट गया. जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश जारी कर दिये गये. बावजूद इसके जिला अभी लक्ष्य से काफी दूर है.
इसमें सबसे बड़ी पेंच प्रशासनिक सुस्ती बनकर उभरी है. सुस्ती का मतलब जागरूकता अभियान चलाने, भुगतान लटकाने और अफसरों को दिलचस्पी नहीं लेने से हैं. इतना ही नहीं मुखिया संघ का विरोध भी ओडीएफ के राह में पेंच बनकर उभरा है. ऐसे में लिहाजा दो अक्तूबर तो दूर साल के अंत तक जिले को ओडीएफ घोषित करना टेढ़ी खीर है. जबकि यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है और डीएम ने इसे अपनी प्राथमिकता में भी शामिल किया है.