कार्यक्रम. ढाका में हुआ अखिल भारतीय मुशायरा सह कवि सम्मेलन
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गंगा-जमुनी तहजीब का दिखा नजारा
कार्यक्रम. ढाका में हुआ अखिल भारतीय मुशायरा सह कवि सम्मेलन गजलों, नज्मों व गीतों पर झूमते रहे श्रोता कौमी एकता के नाम रही रविवार की सारी रात खूब जमी सुरों की महफिल मोतिहारी : जरा सी बात क्या कही, खफा से होके रह गये, खुदा ने हस्न क्या दिया खुदा से हो के रह गये, […]
गजलों, नज्मों व गीतों पर झूमते रहे श्रोता
कौमी एकता के नाम रही रविवार की सारी रात
खूब जमी सुरों की महफिल
मोतिहारी : जरा सी बात क्या कही, खफा से होके रह गये, खुदा ने हस्न क्या दिया खुदा से हो के रह गये, जो महनतों व मुशक्कतों से हल न हो सके कभी,वह सारे काम मां की एक दुआ से होकर रह गये’उक्त अशआर हिन्दुस्तान के अजीम शायर डा. माजिद देव बंदी ने की है.वे रविवार की देर रात अपनी कलाम सुना रहे थे.मौका था ढाका युथ क्लब व हमारा समाज के संयुक्त तत्वावधान में ढाका स्कूल मैदान में विधायक फैसल रहमान की सदारत में आयोजित अखिल भारतीय मुशायरा सह कवि सम्मेलन का.जैसे ही शायर डा. देवबंदी ने अपना कलाम पढा,श्रोता झूम उठे और तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा मजमा दाद देने लगा.
उनकी यह शायरी ने मां की दुआ व ममता क्या होती है सोचने व समझने के लिए मजबूर कर दिया. प्रताप गढ से तशरीफ लाये युवा शायर इमरान प्रतापगढी की यह शेर ‘पूराने हाल से बदतर सभी का हाल कर डाला,कभी कशमीर कर डाला कभी भोपाल कर डाला’ने मौजूदा सियासत से श्रोताओं को रू-ब-रू करा दिया.श्रोता अपने को नही रोक सके और उनका जोरदार तरीके से मंच पर ही इस्तेकबाल करने लगे. शायरा रूखसार बलरामपुरी की यह शेर ‘एक पल में वह मुझ से जूदा हो गया,जिसको पाने में मूझको जमाने लगे, प्यार मेें उनके जोगन मैं एसी बनी,लोग पागल समझकर मुझे सताने लगे,ने युवाओं में एक नई जान डाल दी.
युवा पीढी अपने को नही रोक सके और उनके इस गीत पर थिरकते रहे.रूखसार ने युवओं की भावना को पूरी तरह से जगा दिया.शायर मोइन शादाब की यह शेर ‘उदास झीलों के महताब डाल देता है, वो मेरी आंखों में कुछ ख्वाब डाल डेता है,को भी लोगों ने खूब सराहा. इलाहाबाद से चल कर आयी शायरा डा. नेहा आरजू इलाहाबादी की यह शेर’ न बचपन रहेगा और न जवानी रहेगी,हमारी तुम्हारी कहानी रहेगी,बुढापे में भी यह जवानी रहेगी,पूरी महफिल को जगा दिया.जिंदगी की रफ्तार कैसे चलती है अपने कलाम से श्रोताओं को रू-ब-रू कराया.वहीं दिल्ली से चलकर आयी शायरा शबा अजीज की यह शेर ‘ नजर-नजर सफर-सफर कई चिराग जल गयेे, वो क्या मिले जिस्म जान रौशनी में धल गये’की भी लोगों ने सराहना की.
शायर अरकान अहमद साकिब की यह शेर ‘ जिसका कोई माली न हो उस गुलिस्ता का क्या होगा,बीवी का जो हो न सका,हिन्दुस्तान का क्या होगा,सियासत की ओर श्रोताओं को ले गया.जमकर लोगों ने दाद दी और खूब सराहना की.शायरा फलक सुलतानपूरी की यह शेर ‘ आइना इश्क का धुंंधला नही होने दंगी कोई वादा कभी झूठा नही होने दुंंगी’युवाओं को अपनी ओर खिचने के लिए मजबूर कर दिया.वहीं मेरठ से चलकर आयीं शायरा शाहिन अफसनी की यह शेर ‘गर प्यार से सोंचो तो आसान है औरत’महिलाओं व लडकियों की हकीकी जिंदगी से वाबस्ता
कराया.इस तरह से सारी रात श्रोता गजलों, नज्मों व गीतों को सुनते रहे और आनंद के सागर में गोता लगाते रहे. पहले सत्र का संचालन ओजैर अंजुम ने किया जबकि दूसरे सत्र का संचालन नामचीन शायर नदीम फर्रूख ने किया. मौके पर चोंच ग्यावी, हेलाल बदायुनी,नगमा बरेलवी,अनुपम प्रियदर्शी, अलीम वाजिद, नेकहत मुरादाबादी, नन्हा शायर गुलहसन प्रतापगढी, अम्बर इलाहाबादी,अचानक मउबी, ओजैर अंजुम, रफी अहमद आफताब आदि ने अपना कलाम पढ़ा.
अंजाम नामक पुस्तक का हुआ विमोचन: जिले के वरिष्ठ कथाकार व शायर ओजैर अंजुम द्वारा लिखित किताब’अंजान का विमोचन किया गया.बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार,विधायक फैसल रहमान व डा.शमीम अहमद ने पुस्तक का विमोचन किया और श्री अंजुम को इसके लिए बधाई दी.
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