सदर अस्पताल में पुलिस केंद्र बंद
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पीड़ितों को लगाना पड़ता नगर था ना का चक्कर
सदर अस्पताल में पुलिस केंद्र बंद सदर अस्पताल में पुलिस केंद्र को बंद कर दिया गया है. इससे इलाज कराने आये मरीजों को काफी परेशानी होती है. परिसर से तीन माह में पांच बाइक की भी चोरी हो चुकी है. वहीं छेड़छाड़ की घटनाएं भी बढ़ी हैं. मोतिहारी : अपराध की घटनाओं पर अंकुश लगाने […]
सदर अस्पताल में पुलिस केंद्र को बंद कर दिया गया है. इससे इलाज कराने आये मरीजों को काफी परेशानी होती है. परिसर से तीन माह में पांच बाइक की भी चोरी हो चुकी है. वहीं छेड़छाड़ की घटनाएं भी बढ़ी हैं.
मोतिहारी : अपराध की घटनाओं पर अंकुश लगाने व मरीजों की सुविधा के लिए सदर अस्पताल में पुलिस केंद्र खोला गया था. लेकिन महज दो वर्ष बाद ही इसे बंद कर दिया गया. इसके बाद से छेड़छाड़ एवं बाइक चोरी की घटनाओं में इजाफा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग ने पुलिस केंद्र को दोबारा खुलवाने के लिए पुलिस अधीक्षक कार्यालय को कई बार पत्र भी लिखा लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हो सकी है.
पुलिस केंद्र की हुई स्थापना : अक्टूबर 2014 में सदर अस्पताल कैंपस में अपराध की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस केंद्र की स्थापना की गयी. उसके बाद धीरे-धीरे अपराध की घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश भी लगा था. मनचलों का सैरगाह बना सदर अस्पताल धीरे-धीरे शांत हो गया.
क्यों बंद हुआ पुलिस केंद्र: चुनाव में पुलिस बलों की संख्या में कमी का हवाला देते हुए फरवरी 2016 में बंद कर दिया गया. विभाग ने कहा कि इसे पुन: चालू किया जायेगा लेकिन आज तक नहीं चालू हो सका.
मारपीट के मरीजों को होती है परेशानी: मारपीट, सड़क दुर्घटना या किसी अन्य वारदातों में संलिप्त मरीज को पुलिस केंद्र नहीं होने से ज्यादा परेशानी होती है. पुलिस केंद्र के द्वारा फर्द बयान लेने के साथ ही संबंधित थाने को अग्रतर कार्रवाई के लिए भेज दिया जाता था. मगर, अब ऐसा नहीं है. पुलिस केंद्र के बंद होने से पीड़ितों को काफी परेशानी होती है. उन्हें अपना फर्द बयान नगर थाना को देना होता है. कई बार उन्हें नगर थाना का चक्कर भी लगाना पड़ता है. नगर थाना का एक दारोगा दिन भर फर्द बयान लेने में ही लगे रहते हैं. इसके अलावा पुलिस केंद्र नहीं होने से परिसर में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगना भी शुरू हो गया है. हाल दिनों में कई बाइक भी चोरी हो चुकी है. पिछले तीन महीने में पांच बाइक की चोरी हो चुकी है.
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