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संग्रामपुर : मौत के मुंह से लौट कर आये राकेश सिंह आंखो देखी घटना क्रम को बताते है. प्रखंड क्षेत्र पकड़ी गांव के रहने वाले है. अपना ट्रक स्वंत्र चलाते है. अपने ग्रामीण तरबुज व्यापारी फिरोज अहमद का तरबुज लेकर नेपाल की राजधानी काठमांडू के काली माट्टी मार्केट में शुक्रवार की रात्रि में पहुंचे. काठमांडू […]

संग्रामपुर : मौत के मुंह से लौट कर आये राकेश सिंह आंखो देखी घटना क्रम को बताते है. प्रखंड क्षेत्र पकड़ी गांव के रहने वाले है. अपना ट्रक स्वंत्र चलाते है. अपने ग्रामीण तरबुज व्यापारी फिरोज अहमद का तरबुज लेकर नेपाल की राजधानी काठमांडू के काली माट्टी मार्केट में शुक्रवार की रात्रि में पहुंचे. काठमांडू के व्यापारी जिसके लिए ततरबुज गया था शनिवार की सुबह गाड़ी अनलोड करने की बात बताई.
सुबह में 11 बजे तक नो इंट्री होने के कारण मार्केट में गाड़ी 11 बजे के बाद पहुंची. गाड़ी पे अनलोड करने के लिए मजदूर चढे ही थे की भूकंप का पहला दौर शुरू हुआ. मजदूर गाड़ी से उत्तर कर भागे. वही सभी लोग देखते रहे. सामने वाले पतली गली में नजर गयी तो देखा की मकान की छते आपस में टकरा रही थी. उच्चे-उच्चे मकान ताश के पत्ते की तरह ढह रहे थे. मनोज पाठक, बालेश्वर साह, विशाल महतो, सभी सुरक्षित थे लेकिन उनलोगों के कुछ सुझ नही रहा था.
भय भीत मन से प्रकृति का तांडव खड़-खड़े देख रहे थे. थोड़े -थोड़े अंतराल पर भूकंप हो रहा था. उस दिन इन लोगो ने कुछ भी नहीं खाया पिया. अगले दिन रविवार को गाड़ी में रखे कुछ भोजन के सामान स्टोप पर बनाकर खाए पानी की भी काफी किल्लत रही. सोमवार को तरबूज व्यापारी ने गाड़ी खाली कराया. उसी दिन संग्रामपुर के लिए चल दिए लेकिन रास्ते में पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण चट्टान खिसकने की चेतावनी देते हुए पुलिस एक एक कर गाड़ी को छोड़ रही थी. उस ट्रक पर लगभग 150 लोग चढ़े हुए थे. बिहार की ओर ट्रक भी लौट रही थी.
उसी प्रकार सभी ट्रकों पर लोग चढे हुए थे. मोबाइल पर संपर्क करते हुए राजेश सिंह ने बताया की मंगलवार दिन के लगभग 1 बजे बिरगंज के रास्ते रक्सौल पहुंचा और राहत की सांस ली.
अब भी दहशत में हैं लोग
कल्याणपुर . भूकंप आरंभ होने के चौथे दिन भी लोग दहशत के साये में जी रहे है़ अभी लोग पुन: भूकंप न आये इसको लेकर भयातूर है़.
आज भी घर से बाहर सोना, शाम के समय अपने परिवार के पास पहुंचना उनकी दिनचर्या बन गयी है़ सबसे ज्यादा असर शादी समारोह में देखने को मिल रहा है़, जिन लोगों के घर में पूर्व से शादी समारोह व अन्य मांगलिक कार्य के दिन उतर चुके है, उनको इन तिथियों पर आयोजन करना तो मजबूरी है पर सगे संबंधी या पड़ोसी के उत्सव में शरीक होना नहीं चाह रहे है़
ऐसा देखने को मिला सोमवार को बहुत ही अच्छे लग्‍न मुहूर्त्त थे, परंतु अच्छे घरानों के शादी समारोह में गिने-चुने लोग ही नजर आय़े वहीं विभिन्न राजनीति दल के कार्यक्रम स्थगित कर दिये गये है़ ऐसा देखा जा रहा है कि अति महत्वपूर्ण कार्यवश ही लोग घर से बाहर जा रहे है और कार्य निष्पादन कर पुन: अपने परिवार के पास पहुंच रहे है़ कुल मिलाकर लोग पुन: भूकंप आने की अंदेशा से डरे हुए है़ हर जगह केवल भूकंप की ही चर्चा हो रही है़

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