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रामायण सर्किट से जुड़ेगा बक्सर

पहल. 100 करोड़ की लागत से श्रीराम की शिक्षा स्थली होगी विकसित बक्सर : अयोध्या से लेकर श्रीलंका तक श्रीरामकथा को एक सूत्र में समझाने के लिए बन रहे रामायण सर्किट का खाका तैयार हो चुका है. पर्यटन मंत्रालय ने इसके विस्तृत प्रॉजेक्ट को मंजूरी दे दी है. योजना कई चरणों में पूरी की जायेगी. […]

पहल. 100 करोड़ की लागत से श्रीराम की शिक्षा स्थली होगी विकसित
बक्सर : अयोध्या से लेकर श्रीलंका तक श्रीरामकथा को एक सूत्र में समझाने के लिए बन रहे रामायण सर्किट का खाका तैयार हो चुका है. पर्यटन मंत्रालय ने इसके विस्तृत प्रॉजेक्ट को मंजूरी दे दी है. योजना कई चरणों में पूरी की जायेगी. बक्सर को योजना के दूसरे चरण में शामिल किया गया है.
योजना में बक्सर को एयर रूट से भी जोड़ने का प्रस्ताव है. इसके लिए जिला मुख्यालय में बनी हवाइ-पट्टी को विकसित किया जा रहा है. पर्यटन के लिहाज से अगले बजट में बक्सर के रामायण सर्किट में आनेवाली लागत घोषित करने की योजना है, लेकिन उसके लिए प्रस्तावित कार्य योजना पहले ही तैयार की जा चुकी है. रामायण सर्किट को प्रभावी बनाने के लिए एक्सपर्ट कमेटी भी गठित की जानी है, जिसमें नोडल एजेंसी पर्यटन मंत्रालय होगा. कमेटी में राज्य सरकार और संबंधित सांसद को भी भागीदार बनाया जा सकता है.
जल्द शुरू होगा योजना पर काम
यूपी में रामायण सर्किट से जुड़े रामायण म्यूजियम प्रोजेक्ट का काम फंसने के कारण कार्य में देर हो गयी है. हालांकि अब बाधाएं दूर हो गयी हैं. हाल ही में जमीन सहित सभी बाधाएं दूर करने पर सैद्धांतिक सहमति बन गयी है. इसलिए कयास लगाये जा रहे हैं कि जल्द ही योजना के अगले चरण के लिए बजट का अनुमोदन हो जायेगा. बक्सर में रामायण सर्किट योजना पर करीब 100 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है.
सांसद ने लिखा पीएमओ को पत्र
सांसद अश्विनी कुमार चौबे ने बक्सर को रामायण सर्किट से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. उन्होंने बताया कि अगले वर्ष में बक्सर रामायण सर्किट से जुड़ जायेगा. केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय को उन्होंने एक प्रस्ताव दिया है. कहा कि इसके लिए राज्य सरकार का भी ध्यान इस तरफ आकृष्ट कराया जायेगा. हर वर्ष आयोजित होनेवाली पंचकोसी परिक्रमा उसी सर्किट का एक हिस्सा है. इसमें अहिल्या का प्रभु श्री राम ने तारण किया था. पंचकोसी परिक्रमा कई मायने में महत्वपूर्ण है.
तीर्थाटन व रोजगार को बढ़ावा
सांसद अश्विनी चौबे ने बताया कि भारत के अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर विश्वामित्र की धरती को लाने के लिए पुरजोर प्रयास रहेगा. इससे जिले के लोगों को कई तरह के फायदे होंगे. उन्हें रोजगार भी मिलेगा. पंचकोसी के दौरान रास्ते के पड़ाव, लाइट एंड साउंड, रामेश्वर नाथ मंदिर, चरण पादुका आदि को रामायण सर्किट से जोड़ने का सुझाव दिया गया है. इसके साथ ही गौरीशंकर तालाब व कमलदह तालाब को तीर्थाटन व रोजगार को बढ़ावा देने के रूप में तैयार कराया जायेगा.

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