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ग्रामीण बैंक के पास कैश का संकट बरकरार
आरबीआइ से मांग के अनुरूप रुपये न मिलने से बैंकों में नकदी का संकट बना हुआ है. उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के सामने सर्वाधिक संकट है. इस बैंक की सर्वाधिक शाखा ग्रामीण क्षेत्रों में हैं. गोपालगंज : ग्रामीण क्षेत्र की शाखाओं में जमा कम होने से ग्राहकों को भुगतान में दिक्कतों का सामना करना पड़ […]
आरबीआइ से मांग के अनुरूप रुपये न मिलने से बैंकों में नकदी का संकट बना हुआ है. उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के सामने सर्वाधिक संकट है. इस बैंक की सर्वाधिक शाखा ग्रामीण क्षेत्रों में हैं.
गोपालगंज : ग्रामीण क्षेत्र की शाखाओं में जमा कम होने से ग्राहकों को भुगतान में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. गुरुवार को भी इलाहाबाद, पीएनबी व ग्रामीण बैंक समेत अन्य कई बैंकों में खाताधारकों को बमुश्किल से भुगतान मिला. जिन शाखाओं में कैश था, वहां से भी भुगतान के नाम पर कुछ हजार ही दिया गया. खाताधारकों को भुगतान के लिए भटकना पड़ा. सर्वाधिक परेशानी में नन होम खाताधारक है. हालाकि बैंक अधिकारियों का दावा है कि हालात तेजी से सुधर रहे हैं.
स्थिति सामान्य हो रही है. एटीएम में भी कैश फिलिंग की जा रही है. कुछ दिनों में स्थिति पूरी तरह से सामान्य हो जायेगी. दरअसल आरबीआइ से बैंकों को जो कैश भेजा जा रहा है वह खाताधारकों की संख्या के हिसाब से नाकाफी साबित हो रहा है. ग्रामीण बैंक, एक्सिस बैंक, आइसीआइसीआइ, एचडीएफसी, आइडीबीआइ, देना बैंक, काॅरपोरेशन बैंक, आंध्रा बैंक, दी सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, पीएनबी, इलाहाबाद बैंक व ग्रामीण बैंक समेत अन्य बैंकों को भी आरबीआइ से कैश मिलने का इंतजार है.
कैश की कमी से खाताधारकों को शाखाओं से कैश की उपलब्धता के आधार पर भुगतान किया जा रहा है. जिन शाखाओं में कैश नहीं है, वहां से भुगतान संभव नहीं हो रहा है. ग्रामीण बैंक के रीजनल मैनेजर अनिल कुमार सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में काफी दिक्कत है. शहरी क्षेत्र में स्थिति पहले से सामान्य हो रही है. कुछ करेंसी मिली है जिसे शाखाओं को उपलब्ध कराया जा रहा है.
सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया के मुख्य प्रबंधक ने कहा कि नकदी संकट काफी कम हो गया है. ग्राहकों को 24 हजार भुगतान किया जा रहा है. पहले की अपेक्षा एटीएम में भी कैश भरा जा रहा है. स्थिति नियंत्रण में है. अब मारामारी नहीं है.
काम के बदले मिली उपेक्षा : नोटबंदी को लेकर अभी तक आमजन का आक्रोश ही दिखा था, लेकिन अब बैंककर्मियों की नाराजगी भी सामने आ रही है.
बैंक यूनियन के सुशील कुमार श्रीवास्तव की मानें, तो नोटबंदी के दौरान उनके काम की उपेक्षा की गयी. नकदी की आपूर्ति में कमी के साथ ही उनके सुरक्षा हितों की अनदेखी की गयी. ओवर टाइम को लेकर प्रबंधन पर शिथिलता बरतने का आरोप लगाया गया. नोटबंदी के दौरान उन लोगों ने सुबह से देर रात तक काम किया. आमजन के आक्रोश का सामना भी उन्हें करना पड़ा. नकदी की किल्लत के दौरान उन्हें फजीहत झेलनी पड़ी. इतना सब सहने के बाद भी उन्हें उपेक्षा मिली.
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