पहल. आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण को लेकर कवायद शुरू
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18 नये आंगनबाड़ी केंद्र बनेंगे
पहल. आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण को लेकर कवायद शुरू भवन बनाने के लिए खर्च होंगे 7.26 लाख रुपये बक्सर : जिला प्रशासन ने जिले में 18 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए नये भवन के निर्माण की कवायद शुरू की है. यह भवन अलग-अलग प्रखंडों में बनेगा. इसके लिए विभागीय स्तर पर भूमि उपलब्ध कराने को […]
भवन बनाने के लिए खर्च होंगे 7.26 लाख रुपये
बक्सर : जिला प्रशासन ने जिले में 18 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए नये भवन के निर्माण की कवायद शुरू की है. यह भवन अलग-अलग प्रखंडों में बनेगा. इसके लिए विभागीय स्तर पर भूमि उपलब्ध कराने को लेकर कार्य हो रहा है. भूमि उपलब्धता की जिम्मेवारी अंचलाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी और आइसीडीएस को है. जबकि भवन निर्माण का कार्य मनरेगा तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आइसीडीएस योजना को करना है. भूमि उपलब्धता की एनओसी 14 नवंबर तक ही देना था पर अब तक इसका पूर्ण रूप से चयन नहीं हो पाया है. हालांकि विभाग इस कार्य में लगा हुआ है. एक आंगनबाड़ी केंद्र के भवन निर्माण पर 7.26 लाख रुपया का खर्च होगा. यानी 18 आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुल 1 करोड़ 30 लाख और 68 हजार रुपया खर्च होगा.
अब 534 हो जायेंगे भवन
जिले में कुल 1529 स्वीकृत आंगनबाड़ी केंद्र है. इनमें से 516 केंद्रों का ही भवन है. जबकि 143 आंगनबाड़ी केंद्र निर्माणाधीन है. शेष 870 आंगनबाड़ी केंद्रों का भवन नहीं है. ऐसे में ये आंगनबाड़ी केंद्र किराये के मकान में चलते हैं. इनमें से 529 केंद्रों के लिए भूमि उपलब्ध है और 341 केंद्रों के लिए अभी भी भूमि की खोज की जा रही है ताकि इन केंद्रों का भी भवन शीघ्र ही बन सके.
शहरी क्षेत्रों के 122 केंद्र भूमिहीन
जिले के शहरी क्षेत्रों में एक भी आंगनबाड़ी केंद का भवन नहीं है. इसके पीछे भूमि की अनुपलब्धता है. विभागीय अधिकारी बताते हैं कि शहर में कहीं भी भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है, जिसके कारण परेशानी बनी हुई है. ये केंद्र भी किराये पर ही चलता है.
किराया पर करीब 7 लाख 98 हजार रुपया खर्च
जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों के किराया पर चलने के कारण प्रत्येक महीना करीब आठ लाख रुपया खर्च होता है. ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्र के लिए भवन को 750 रुपया और शहरी क्षेत्र में 12 सौ रुपया किराया पर लिया गया है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में एक महीने में करीब 6 लाख 52 हजार और शहरी क्षेत्र में 1 लाख 46 हजार रुपया खर्च आता है.
संसाधनविहीन हैं केंद्र
जिले में आंगनबाड़ी केंद्र काफी संसाधनहीन हैं. इन केंद्रों पर तीन साल तक के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दी जाती है. पर इन बच्चों को बैठने के लिए यहां कोई साधन नहीं रहता. कड़कती ठंड हो या गरमी ये हर मौसम में जमीन पर बैठने को विवश होते हैं. केंद्र में बैठने के लिए ये बच्चे घर से बोरी या चट लाते हैं. अन्यथा आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका ही इन्हें बैठने का साधन उपलब्ध करा पाती हैं.
शीघ्र होगा भवन का निर्माण
कार्य प्रोसेस में है. भूमि का चयन अब तक नहीं हो पाया है. ऐसे में भूमि चयन को लेकर अभी कार्य हो रहा है. भूमि के चयन होते ही भवन निर्माण का कार्य शुरू होगा.
शशिकांत पासवान, डीपीओ आइसीडीएस
निर्मित भवनों की संख्या
प्रखंड स्वीकृत केंद्र भवन
बक्सर 240 72
इटाढ़ी 142 74
राजपुर 202 123
नावानगर 138 46
डुमरांव 229 34
सिमरी 202 44
चौसा 89 39
ब्रह्म्पुर 163 60
चौंगाई व केसठ 85 09
चक्की 39 15
बक्सर शहरी 79 00
डुमरांव शहरी 43 00
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