बक्सर : यदि कोई किसान खेतों में बीज की बुआई के दौरान यूरिया का इस्तेमाल करता है, तो सावधान हो जाएं. बुआई के समय यूरिया के इस्तेमाल से फसल को बिल्कुल लाभ नहीं होगा. चूंकि यूरिया का उपयोग फसल खड़ा होने पर करने से ही लाभ पहुंचता है. वहीं, बुआई के दौरान किसान अगर केवल […]
बक्सर : यदि कोई किसान खेतों में बीज की बुआई के दौरान यूरिया का इस्तेमाल करता है, तो सावधान हो जाएं. बुआई के समय यूरिया के इस्तेमाल से फसल को बिल्कुल लाभ नहीं होगा. चूंकि यूरिया का उपयोग फसल खड़ा होने पर करने से ही लाभ पहुंचता है. वहीं, बुआई के दौरान किसान अगर केवल डीएपी का उपयोग कर रहे हैं, तो भी फसल को ज्यादा लाभ नहीं होगा. डीएपी के बदल एनपीके मिक्चर का उपयोग करें. इससे फसलों को नाइट्रोजन, फास्फोरस पोटाश तीनों ही मिल जाता है,
जिससे फसल उन्नत होती है. वहीं, डीएपी में केवल नाइट्रोजन फास्फोरस ही होता है, जिससे फसलों को अधिक लाभ नहीं हो पाता है. इसकी जानकारी देते हुए जिला कृषि पदाधिकारी रणवीर सिंह ने बताया कि डीएपी का उपयोग करनेवाले किसानों को अलग से पोटाश खरीदना पड़ता है, जिससे किसानों को अधिक खर्च हो जाता है. अगर किसान केवल एनपीके मिक्चर का प्रयोग करें, तो कम खर्च में फसलों को तीनों पोषक तत्व मिल जाता है, जिससे फसल भी अच्छा होती है.
डीएओ ने किया सावधान : वहीं डीएओ ने बताया कि रबी फसल की बुआई के दौरान किसी भी फसल के बीजों की बुआई के दौरान यूरिया का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करें. इससे किसानों को खर्च भी अधिक हो जाता है और फसल को कोई लाभ नहीं हो पाता है. यूरिया का इस्तेमाल फसल के खड़े होने के बाद ही करें.रबी फसल की बुआई के समय बिल्कुल यूरिया का इस्तेमाल नहीं करने की जानकारी देते हुए कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि बुआई के समय इसका इस्तेमाल करने से जमीन के अंदर यूरिया दब जाती है.
जबकि बीज को जमने में करीब एक सप्ताह का समय लग जाता है. तब तक यूरिया जमीन के अंदर ही एक्सपायर कर जाता है. जिससे फसल को कोई लाभ नहीं पहुंच पाता है. इसके अलावे यूरिया का अधिक मात्रा में उपयोग करने से जमीन की उर्वरा शक्ति धीरे-धीरे कमजोर हती चली जाती है तथा खेतों की मिट्टी बंजर होने लगती है, जिससे किसानों को आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ती है. ऐसे में फसल को खड़ा होने के बाद ही यूरिया का इस्तेमाल करें.
70 फीसद ही हुई गेहूं की बुआई, 80 हजार हेक्टेयर में तय है लक्ष्य
जिले में धान की फसलों की कटनी में विलंब होने के कारण रबी फसल की बुआई पर लेट का असर दिखने लगा है. गेहूं की बुआई में अब धीरे-धीरे विलंब होते जा रहा है. उधर कृषि समन्वयक भी अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर अड़े हुए हैं.