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करेंट से बाप-बेटी की मौत

दुखद. बिजली के पोल में करेंट आने से हुआ हादसा केसठ बाजार में सोमवार को हुई घटना बाप-बेटी की मौत से मचा कोहराम बक्सर/केसठ : बक्सर में सोमवार को करेंट की चपेट में आने से बाप-बेटी की मौत हो गयी. यह घटना नावानगर थाना क्षेत्र के केसठ गांव के नयी बाजार में हुई. मृतकों में […]

दुखद. बिजली के पोल में करेंट आने से हुआ हादसा
केसठ बाजार में सोमवार को हुई घटना
बाप-बेटी की मौत से मचा कोहराम
बक्सर/केसठ : बक्सर में सोमवार को करेंट की चपेट में आने से बाप-बेटी की मौत हो गयी. यह घटना नावानगर थाना क्षेत्र के केसठ गांव के नयी बाजार में हुई. मृतकों में नया बाजार निवासी गुड्डू कुमार व उसकी छह साल की बेटी गुड़िया शामिल है.जानकारी के अनुसार नया बाजार निवासी नागेंद्र प्रसाद के पुत्र गुड्डू की बाजार में पान की दुकान है.
सोमवार को वह अपनी दुकान में बैठा था. उसकी बेटी गुड़िया किसी काम से दुकान पर गयी थी. इसी बीच गुड़िया दुकान के सामने बिजली के पोल के संपर्क में आ गयी. उस समय पोल में करेंट प्रवाहित हो रहा था. इससे गुड़िया करेंट की चपेट में आकर छटपटाने लगी. इसे देख उसके पिता गुड्डू बचाने के लिए दौड़े, तभी वे भी करेंट की चपेट में आ गये. हादसे में दोनों बुरी तरह झुलस गये. पिता-पुत्री को झुलसते देख अफरातफरी मच गयी.
सूचना मिलते ही काफी संख्या में लोग पहुंच गये और दोनों को आनन-फानन में डुमरांव अनुमंडल अस्पताल ले गये़ इस बीच रास्ते में ही दोनों ने दम तोड़ दिया. हादसे के बाद गुड्डू के घर में कोहराम मच गया. वहीं, घटना से लोगों में विद्युत कंपनी के खिलाफ गहरा रोष देखा गया. लोगों का कहना था कि विद्युत कंपनी की लापरवाही के कारण पोल में करेंट दौड़ आ गया था़ इसी का नतीजा हुआ कि बाप-बेटी की जान चली गयी. गांव के लोगों ने मृतक के परिजनों को उचित मुआवजा देने की मांग की है.
पिता-पुत्री की मौत से घर में मचा कोहराम
केसठ. करेंट ने सोमवार को केसठ के नया बाजार निवासी नागेंद्र प्रसाद के घर की सारी खुशियां ही छीन ली. इस हादसे में पत्नी विधवा हो गयी, तो उसी मां की गोद भी सुनी हो गयी़ हादसे के शिकार गुड्डू की पत्नी शोभा देवी पर दुखों का टूट गया है. सुहाग के साथ उसने अपनी बेटी को भी खो दिया है़
हादसे की खबर मिलते ही वह पागल सी हो गयी़ एक साथ पति व बेटी के शव देखते ही दहाड़ मार कर रोने लगी. वह कभी पति, तो कभी बेटी के शव को झकझोर कर जगाने का प्रयास कर रही थी. उसको विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसका सुहाग उजड़ गया है. वह बार-बार सिर्फ एक ही रट लगा रही थी कि अब जीने से क्या फायदा. उसे अपनी एक साल की बेटी के भरण-पोषण की भी चिंता सता रही थी.

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