डर नहीं. बिहिया से बरुणा स्टेशन के बीच असामाजिक तत्व करते हैं शरारत
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ट्रेनों की रफ्तार पर चेन पुलिंग से ब्रेक
डर नहीं. बिहिया से बरुणा स्टेशन के बीच असामाजिक तत्व करते हैं शरारत ट्रेनों की लेट-लतीफी से जहां दूर के सफर करनेवाले यात्री परेशान हैं़ वहीं, रेलवे भी बदनाम है़ मगर इसे बदनाम करने के पीछे कुछ असामाजिक तत्वों का हाथ है, जो अपनी सुविधा अनुसार ट्रेनों में चेन पुलिंग कर जहां-तहां रोक देते हैं […]
ट्रेनों की लेट-लतीफी से जहां दूर के सफर करनेवाले यात्री परेशान हैं़ वहीं, रेलवे भी बदनाम है़ मगर इसे बदनाम करने के पीछे कुछ असामाजिक तत्वों का हाथ है, जो अपनी सुविधा अनुसार ट्रेनों में चेन पुलिंग कर जहां-तहां रोक देते हैं और घर चल देते हैं.
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रेल एसपी ने कहा, चिह्नित स्थलों पर नियमित रूप से होगी पैट्रोलिंग
बक्सर : भारतीय ट्रेनें लेट-लतीफ चलने के लिए जानी जाती हैं. हाल के दिनों में रेल मंत्रालय ने काफी परिवर्तन कर परिचालन को सुचारु ढंग से कराने की पहल की है. अब ट्रेनों की रफ्तार पर विभाग की लापरवाही नहीं, बल्कि सुरक्षा में तैनात आरपीएफ जवानों के ढूलमूल रवैये के कारण हो रहा है. दानापुर-मुगलसराय रेल खंड पर ट्रेनों की रफ्तार में चेन पुलिंग ब्रेक लगा रहा है. इस कारण ट्रेनों की रफ्तार में कमी आयी है. आलम यह है कि लगभग 126 किलोमीटर की दूरी तय करने में चार घंटे भी लग जा रहे हैं. असामाजिक लोग चेन पुलिंग कर ट्रेनों की रफ्तार को कम कर देते हैं.
इन जगहों पर होती है सबसे ज्यादा चेन पुलिंग : दानापुर-मुगलसराय रेलखंड के कारीसाथ, बिहिया, बनाही, रघुनाथपुर, टुड़ीगंज, बरुणा समेत कई जगहों पर चेन पुलिंग की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं. सबसे ज्यादा शरारती तत्व अपनी सुविधा के अनुसार चेन पुलिंग कर उतर जाते हैं और इनके सहयोग में ग्रामीण भी खड़े रहते हैं.
ये ट्रेनें बनती हैं चेन पुलिंग का शिकार : चेन पुलिंग लगभग इस रूट से चलनेवाली सभी गाड़ियों में होती है. राजधानी को छोड़ दिया जाये, तो ऐसी कोई भी ट्रेन नहीं है, जिसमें यह घटना नहीं होती. सबसे ज्यादा चेन पुलिंग संपूर्ण क्रांति, बांद्रा-पटना एक्सप्रेस, विक्रमशिला, पटना-इंदौर, लोकमान्य तिलक, श्रमजीवी में होती है.
ट्रेनों के ठहराव पर पड़ता है असर
चेनपुलिंग की घटना के कारण ट्रेनों के निर्धारित स्टेशन पर ठहराव की अवधि पर असर पड़ता है, या यूं कहें कि ठहराव के अवधि में कमी कर दी जाती है. चेन पुलिंग को ठीक करने में 10 मिनट का समय लगता है. जो बढ़ते-बढ़ते लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए घंटों विलंब होने में शामिल हो जाता है.
ट्रेन में आग लगने का रहता है खतरा : चेनपुलिंग के कारण पूर्व में कई ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं, जिसमें ट्रेन में आग लग सकती थी. जानकारों की मानें, तो जब ट्रेन 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही हो, तो उस समय यदि चेनपुलिंग की जाती है, तो घर्षण के कारण चक्का से चिनगारी निकलने लगती है और आग लगने की स्थिति बन जाती है.
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