अनदेखी. औद्योगिक क्षेत्र में 2007 में शुरू विकास का काम अब तक नहीं हुआ पूरा
Advertisement
नौ साल में भी नहीं बनी सड़क
अनदेखी. औद्योगिक क्षेत्र में 2007 में शुरू विकास का काम अब तक नहीं हुआ पूरा बक्सर अौद्योगिक क्षेत्र आज अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. यहां पर लगे कल-करखाने भी लगभग बंद हो गये हैं, लेकिन जो चालू भी हैं उनको कोई सुविधा नहीं मिल रही है़ यहां की सुरक्षा भी राम भरोसे है़ […]
बक्सर अौद्योगिक क्षेत्र आज अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. यहां पर लगे कल-करखाने भी लगभग बंद हो गये हैं, लेकिन जो चालू भी हैं उनको कोई सुविधा नहीं मिल रही है़ यहां की सुरक्षा भी राम भरोसे है़
औद्योगिक क्षेत्र की सुरक्षा की व्यवस्था राम भरोसे
एमडी केके पाठक के समय में शुरू हुआ विकास कार्य कुछ ही दिनों में ठप
बक्सर : राज्य में नीतीश कुमार की सरकार द्वारा बिहार की अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित करने व ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए प्रयास किया गया, किंतु सरकार द्वारा पहले से चल रहे औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के प्रति कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे आज वे बदहाल हो गये हैं. वर्ष 2007 में बियाडा के एमडी बनाये गये केके पाठक के समय में बक्सर औद्योगिक क्षेत्र के विकास की झलक दिखी,
किंतु उनके जाते ही वह झलक फीकी पड़ने लगी और आज तक औद्योगिक क्षेत्र का विकास नहीं हो सका. आज भी बक्सर औद्योगिक क्षेत्र को जरूरी मूलभूत सुविधाएं बिजली, पानी व सड़क विगत 30 वर्षों में नहीं मिल पायी हैं. 2007 में शुरू हुए औद्योगिक विकास के काम आज भी अधूरा पड़े हैं. जबकि सुरक्षा व मेंटनेंस के नाम पर बियाडा द्वारा औद्योगिक क्षेत्र की इकाइयों से 2008 से ही राशि ली जा रही है.
क्या है समस्या : सुविधा विहीन औद्योगिक क्षेत्र में सुविधा की नयी किरण 2007 में दिखनी शुरू हुई, किंतु शुरुआती के साथ ही समाप्त भी हो गयी. केके पाठक को बियाडा का एमडी बनाये जाने के बाद बक्सर औद्योगिक क्षेत्र को सुरक्षित करने की पहल के साथ औद्योगिक क्षेत्र की सड़कों को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो अब तक पूरी नहीं हो सकी है.
चहारदीवारी का काम अधूरा : 2007 में ही पूरे औद्योगिक क्षेत्र की चहारदीवारी को ऊंचा कर चार फुट से बढ़ा कर आठ फुट करने की योजना बनाने के साथ अमलीजामा पहनाने के लिए टेंडर भी कर दिया गया था.
ठेेकेदार द्वारा दीवार को तोड़ कर निर्माण कार्य भी शुरू किया गया, किंतु ठेकेदार काम को अधूरा छोड़ कर गायब हो गया, जिसे बाद में औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगपतियों ने अपनी सुरक्षा के लिए पूरा करवाया.
नहीं बनी तोड़ी गयीं सड़कें : केके पाठक के काल में औद्योगिक क्षेत्र में सड़क की मरम्मती का काम शुरू किया गया, जिसके तहत पूरे औद्योगिक क्षेत्र में तीन प्रवेश व निकास द्वार बनाया गये तथा पश्चिमी द्वार से महज 100 फुट की ढलाई की गयी. शेष सड़कों पर आज भी केवल उखड़ी गिट्टी के सिवाय कुछ नहीं है.
नहीं हैं औद्योगिक क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं : औद्योगिक क्षेत्र को बसाने के दौरान उद्योग लगानेवाले उद्योगपतियों को बिजली, पानी व सड़क जैसी अति आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही गयी थी, लेकिन ये तीनों ही सुविधाएं यहां नहीं हैं.
पावर ग्रिड अब देता है सुविधा आमजनों को : औद्योगिक क्षेत्र के लिए बना पावर ग्रिड अब प्रखंड के गांवों में विद्युत सप्लाई का ग्रिड बन चुका है. जबकि इस ग्रिड का निर्माण औद्योगिक क्षेत्र की इकाइयों को अनवरत बिजली मुहैया कराने के लिए किया गया था.
मेंटनेंस के लिए इकाइयों को देने पड़ते हैं पैसे : 2008 में औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए इकाइयों के मालिकों को टैक्स देने की शुरुआत बियाडा द्वारा की गयी. इस राशि को बियाडा द्वारा 2015 में चक्रवृद्धि ब्याज के साथ लाखों रुपये की नोटिस इकाइयों के मालिकों को थमा दिया गया है.
बिहार सरकार की बड़ी इकाई ने शुरू होने के साथ तोड़ दिया था दम : बक्सर औद्योगिक क्षेत्र में बिहार सरकार केमिकल कॉरपोरेशन की इकाई विश्वामित्र पेपर मिल की स्थापना की गयी. शुरुआती दौर में उत्पादन के साथ ही करोड़ों खर्चवाली यह कंपनी जल्द ही बन हो गयी थी. कंपनी में 300 से 400 लोगों को प्रत्यक्ष रूप में रोजगार मिल था. बाद में कंपनी को बेच दिया गया.
औद्योगिक क्षेत्र की अधूरी व बदहाल सड़क.
क्या कहते हैं जिलाधिकारी
अभी जानकारी प्राप्त हुई है. दो-तीन दिनों में औद्योगिक क्षेत्र का मुआयना किया जायेगा. कार्य क्यों बंद हुआ है इसकी जानकारी प्राप्त की जायेगी और उचित कार्रवाई होगी.
रमण कुमार, जिलाधिकारी
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement