चर्चा तेज. ऐतिहासिक, धार्मिक व राजनीतिक समृद्धि में बक्सर का विकल्प नहीं
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प्रमंडल बनने का प्रबल दावेदार है बक्सर
चर्चा तेज. ऐतिहासिक, धार्मिक व राजनीतिक समृद्धि में बक्सर का विकल्प नहीं शाहाबाद को प्रमंडल बनाने की मांग जोरों पर है़ इसके लिए राजनीतिक स्तर पर कवायद भी तेज कर दी गयी है़ यही नहीं राज्य सरकार भी केंद्र सरकार के पास पत्र लिख चुकी है़ बक्सर : बक्सर को 17 मार्च, 1991 को जिले […]
शाहाबाद को प्रमंडल बनाने की मांग जोरों पर है़ इसके लिए राजनीतिक स्तर पर कवायद भी तेज कर दी गयी है़ यही नहीं राज्य सरकार भी केंद्र सरकार के पास पत्र लिख चुकी है़
बक्सर : बक्सर को 17 मार्च, 1991 को जिले का दर्जा मिला, मगर अब संभावित शाहाबाद प्रमंडल का मुख्यालय बनाये जाने की लड़ाई बक्सरवासी लड़ रहे हैं. बिहार के पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से संपन्न और सभी तरह की मानकों पूरा करनेवाला बक्सर जिला अन्य तीन जिलों से मजबूत दावा रखता है. ज्ञात हो कि बक्सर, भोजपुर, रोहतास और कैमूर चार जिलों को मिला कर प्रमंडल बनाने का प्रस्ताव सूबे की सरकार दे चुकी है.
प्रमंडल के साथ-साथ प्रमंडल का मुख्यालय कहां बने इसके लिए अलग-अलग दावे चल रहे हैं. बक्सर जिला से सटा उत्तरप्रदेश राज्य के तीन जिले गाजीपुर, बलिया और मऊ हैं, जहां से न सिर्फ बक्सर का सांस्कृतिक और पारंपरिक रिश्ता है, बल्कि इन जिलों के लोगों का मुख्य बाजार भी बक्सर ही है. उत्तरप्रदेश के तीन महत्वपूर्ण जिले को गंगा नदी पाटती है. वर्ष 1995 से ही शाहाबाद को अलग प्रमंडल बनाकर यहां विकास की गति तेज किये जाने की कवायद चल रही है, मगर अब तक केंद्र सरकार इसके लिए हरी झंडी नहीं दे पायी है.
प्रमंडल मुख्यालय के लिए बक्सर का दावा सबसे मजबूत : प्रमंडल मुख्यालय के लिए अगर देखा जाये, तो बक्सर का दावा भोजपुर, रोहतास और कैमूर तीनों जिलों से सबसे मजबूत है. बक्सर जिले में फिलहाल दो अनुमंडल हैं, 11 प्रखंड हैं, 16 थाने हैं, 142 पंचायत हैं. 15 कॉलेज हैं, 68 उच्च विद्यालय, 271 मध्य विद्यालय, 836 प्राथमिक विद्यालय, सात बुनियादी स्कूल, 2 अंगीभूत कॉलेज, 15 मान्यता प्राप्त अन्य कॉलेज, 75 बैंकों की शाखाएं, 194 उप स्वास्थ्य केंद्र, 492 लघु उद्योग, 337 विद्युतीकृत गांव हैं तथा ताजा जनगणना में पुरुषों की आबादी 887977, महिलाओं की आबादी 818375 तथा साक्षरता दर 70.14 है. समय के साथ विकसित हुए जिले में बक्सर भी तेजी से बढ़ता हुआ पुराने शाहाबाद का समृद्ध जिला बन चुका है
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धार्मिक दृष्टि से बक्सर अव्वल : बक्सर महर्षि विश्वामित्र की धरती है. जहां त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम और उनके अनुज भाई लक्ष्मण शिक्षा ग्रहण करने आये थे. साथ ही इसी धरती पर वामनाश्रम है, जहां भगवान ने वामन का रूप लिया था. रावण के मामा मारीच की तपों स्थली भी डुमरांव प्रखंड के कनझरूआ पंचायत के निरंजनपुर गांव में है. माता सीता की अग्नि समाधि का स्थल सोखा धाम भी जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूर पर इटाढ़ी प्रखंड के कड़सर और लोधाश गांव के बीच है. डुमरांव स्टेशन से चार किलोमीटर दूर नया भोजपुर में राजा भोज की स्मृतियां और किला खंडहर के रूप में मौजूद हैं. ब्रह्मपुर में बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ का महत्व देवघर की तरह है और इनकी शक्तियां देख अंगरेज भी मंदिर को तोड़े बिना उल्टे पांव लौट गये थे. रामरेखा घाट जहां भगवान राम ने न सिर्फ स्नान और पूजा की थी, बल्कि रामेश्वरम धाम से पहले बक्सर में शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की थी, जो आज रामेश्वर नाथ मंदिर के रूप में विख्यात है. रामरेखा घाट पर उत्तरायण गंगा बहती है, जिसके कारण बनारस के बाद इसका दूसरा स्थान है और इसे मिनी काशी भी कहते हैं. इसके अतिरिक्त बक्सर का जुड़ाव सत्य युग, त्रेता, द्वापर और कलियुग सब में है. महर्षि विश्वामित्र के अतिरिक्त गौतम ऋषि, महर्षि भार्गव, महर्षि उद्धालक, महर्षि च्यवन का आश्रम भी यहीं है. देवर्षि नारद की भी धरती बक्सर से जुड़ी हुई है. राक्षसी ताड़का का वध बक्सर में ही हुआ था.
ऐतिहासिक धरोहर भी बक्सर में सर्वाधिक : चौसा में एक दिन का बादशाह बना भिश्ती की यादें जुड़ी हैं, जिसने देश में चमड़े का सिक्का चला कर अपना नाम इतिहास में अमिट कर लिया था. मुगल बादशाह हुमांयू और अफगानी शासक शेरशाह के बीच यहां युद्ध हुआ था.
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