डुमरांव़ : बाल विकास परियोजना अंतर्गत प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों पर आवंटन के अभाव में पोषाहार बंद है, जिससे केंद्रों पर बच्चों की संख्या में लगातार कमी से सेविका काफी परेशान रहती हैं. बच्चों की कमी का मुख्य कारण मौसम की बेरुखी है़ भले ही आंगनबाड़ी केंद्रों का समय 7:30 बजे 11:30 तक है, लेकिन बच्चों को छुट्टी के समय तपती धूप से होकर घर पहुंचना पड़ता है़ प्रखंड में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्वीकृत संख्या 229 है. जबकि संचालन 221 केंद्रों पर पोषाहार बंद रहने से बच्चों की संख्या कम रहने से सेविका हमेशा सहमी रहती हैं.
क्योंकि कब जांच करने कोई पर्यवेक्षिका व अधिकारी आ जाये कहा नहीं जा सकता़ सेविका पद्मावती, अंजू, चंद्रावती, अमरून निशा, अर्चना जायसवाल, ललिता कहतीं हैं कि मौसम की बेरुखी और पोषाहार बंद होने से केंद्रों पर बच्चों की संख्या कम रहती है़ बच्चे कुछ खाने-पीने के लालच में केंद्रों पर पहुंचते हैं,
लेकिन मार्च व अप्रैल माह में पोषाहर नदारद रहने व भगवान भास्कर की कठोरता से परिजन अपने बच्चों को केंद्र पर भेजना मुनासिब नहीं समझते़ बच्चों की तबीयत खराब न हो इसको लेकर सीडीपीओ व महिला पर्यवेक्षिकाओं को केंद्र पर लगातार ध्यान देने का निर्देश दिया गया है. वहीं, बच्चों को मौसमी बीमारी से बचाने के लिए केंद्र पर ओआरएस का घोल सहित पेयजल की सुविधा देने को कहा गया है. सेविकाएं कहती हैं कि वर्ष 2015 में मात्र छह माह ही केंद्र पर पोषाहार वितरित हुआ है. 2016 में जनवरी, फरवरी में पोषाहार का वितरण हुआ, तो मार्च और अप्रैल नदारद रहा़