उफ यह गरमी. न्यूनतम तापमान 26, लोगों को नहीं मिल रही राहत
बक्सर : गरमी से आम लोगों को अब राहत मिलने का आसार कम नजर आ रहा है. जैसे-जैसे अप्रैल माह समाप्त होने को है, वैसे-वैसे शुरुआती दौर में गरमी ने लोगों को जेठ का एहसास करा दिया है. शनिवार को भी भगवान भास्कर का पारा 42 डिग्री के आस पास रहा .
सुबह की शुरुआत में नगर में चहल-पहल देखने को मिली, पर जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया वैसे-वैसे कहर बरपा रहे भगवान भास्कर की किरणों संग आफत बनी पछुआ हवा और लू के थपेड़ों ने नगर की सरपट दौड़ती जिंदगी पर ब्रेक लगा दिया. पूर्वाह्न 10 बजे के बाद नगर की सड़कों पर सन्नाटा का चादर फैलने लगा. सरकारी तथा गैर सरकारी दफ्तरों के काम में भी आम दिनों की अपेक्षा गरमी खलल डालने लगी है. कर्मचारी भी काम की जगह गरमी से बचाव के लिए परेशान हो रहे हैं.सबसे बुरा हाल, तो रोज कमाने खानेवाले मजदूर वर्ग काे है, जिनको अपने तथा अपने परिवार के पेट की खातिर गरमी और लू से जूझ कर हाड़ तोड़ मेहनत करनी पड़ रही है. स्कूल, काॅलेज तथा दफ्तरों में अवकाश होते ही लोग धूप तथा लू से बचने के लिए सरपट घर की राह पकड़ ले रहे हैं. शाम लगभग छह बजे के बाद भगवान भास्कर के मिजाज में नरमी आते ही बाजार की रौनक लौट रही है. गरमी के कारण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर लोगों के शरीर पर पड़ रहा है. प्रतिदिन सदर अस्पताल में भी गरमी से लू लगने व तेेज बुखार के मरीज आ रहे हैं.
सब्जी की फसल को नुकसान : राजपुर. तेज गरमी और लू के बहने के कारण ग्रामीण जीवन इस समय बिल्कुल सुस्त हो गया है. सब्जी की खेती करनेवाले किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है़ डीजल पंप सेट के सहारे हो रही सब्जी की खेती से जहां दो दिनों में ही सिंचाई करनी पड़ रही है. वहीं, इस लू के थपेड़ों से सब्जी में लगनेवाला फूल और फल भी गिर रहा है़ तेज धूप की तपिश और हवा के कारण लोगों को घर से भी निकलना मुश्किल हो गया है़ लोग देर शाम तक अपने-अपने घरों में दुबके रह रहे हैं. आम के बगीचों में आम के छोटे टिकोले भी लगातार गिर रहे है़ं
लू चलने से सड़कें हुईं सुनसान
सिमरी़ अप्रैल माह समाप्त होने के कगार पर है, पर मौसम का मिजाज दिन प्रति दिन गरम होते जा रहा है़ दिन निकलने के साथ ही सूर्य भगवान की तपन से बचने के लिए लोग अपने-अपने घरों में दुबक जाते हैं या किसी छायादार स्थान की तलाश कर लू से बचाव करते हैं.
इतना लग्न होने के बावजूद दिन के 11 बजे सड़क वीरान हो जाती है़ क्योंकि पछुआ हवा तेज हो जाती है. जिसके कारण जो लोग चलते हैं वो अपने शरीर को पूरी तरह ढंक कर चलना चाहते हैं. यहां तक की पशु-पक्षी भी गरमी तेज होने के कारण पानी की तलाश में दर-दर भटकते फिरते हैं.