जलकुंभी से पटे शहर के गंगा घाट
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हादसे को निमंत्रण. 14 को सतुआनी मेले में पहुंचेंगे लाखों श्रद्धालु
जलकुंभी से पटे शहर के गंगा घाट बक्सर एक ऐतिहािसक नगरी होने के साथ-साथ एक धार्मिक नगरी भी है, जहां लगभग प्रतिदिन कुछ न कुछ होता है़ बक्सर के रामरेखा घाट पर सतुआनी मेले के िदन लगभग एक लाख की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं, पर घाट पर जलकुंभियों के होने […]
बक्सर एक ऐतिहािसक नगरी होने के साथ-साथ एक धार्मिक नगरी भी है, जहां लगभग प्रतिदिन कुछ न कुछ होता है़ बक्सर के रामरेखा घाट पर सतुआनी मेले के िदन लगभग एक लाख की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं, पर घाट पर जलकुंभियों के होने से इन्हें इस बार गंगा स्नान में भारी परेशानी होगी.
बक्सर : श्रद्धालुओं के लिये मुसीबत का सबब बन गयीं हैं गंगा में बह कर आयीं जलकुंभियां. ऐतिहासिक विश्वामित्र की नगरी होने के कारण जिले के अलावा दूर दराज के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ गंगा तट के रामरेखा घाट, नाथ बाबा मंदिर घाट, जहाज घाट, शति घाट, गोला घाट, सिद्धनाथ घाट, रानी घाट, जेल घाट सहित अन्य घाटों पर उमड़ती है.
गरमी के कारण गंगा के जल स्तर में आई गिरावट तथा जल का प्रवाह कम होने के चलते दूर दराज से बह कर पहुंचीं जलकुभियां घाटों पर जम गयीं हैं, जिसकी वजह से पूजा-पाठ व अन्य धार्मिक कार्यों के लिए गंगा जल लेने आये श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्नान-दान को आये तीर्थ यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है.
14 अप्रैल को सतुआनी मेले पर लाखों लोग लगायेंगे डुबकी
14 अप्रैल को सतुआनी है और आठ अप्रैल से चैत नवरात्र की शुरुआत और फिर 15 अप्रैल को रामनवमी पर बड़ी संख्या में स्नान करने लोग आते हैं. मोक्षदायनी के जल की पवित्रता के प्रति आस्था और विश्वास का आलम यह है कि लोग गंगा घाटों पर कहीं से बह कर डेरा जमायी जलकुंभियों को हटाकर धार्मिक अनुष्ठानों के लिए गंगा जल दूर-दराज के श्रद्धालु व स्थानीय श्रद्धालु ले जाने को मजबूर हैं.
इसी माह से अब लगन भी शुरू होनेवाला है और नगर के रामरेखा घाट पर शादी-विवाह और मुंडन संस्कार के लिए जिला के अलावा सीमावर्ती राज्य यूपी के जिले से सटे बलिया और गाजीपुर के श्रद्धालुओं की भी भारी भीड़ उमड़ती है. ऐसे में गंगा घाट पर जलकुंभियों का जमावड़ा श्रद्धालुओं के लिये सिरदर्द से कम साबित नहीं होगा. हालात यह है कि गंगा स्वच्छता मिशन से जुड़े लोग भी गंगा घाटों पर डेरा जमाये इन जलकु़ंभियों के आगे असहाय हैं.
स्नान करने में होगी परेशानी
14 अप्रैल को होनेवाले सतुआनी पर बड़ी संख्या में लोग न सिर्फ शहर से बल्कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से भी स्नान के लिए आते हैं और सत्तू के साथ-साथ अन्न दान करते हैं. ऐसी परिस्थिति में सभी घाटों पर फैली जलकुंभी से न सिर्फ बड़ों को, बल्कि छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं को काफी परेशानी में स्नान करने होंगे. डुबकी लगाने के बाद जलकुंभियों की जड़े बच्चों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती हैं.
जलकुंभियों में सांप भी रह रहे हैं
गंगा की धारा में बह कर कई तहर के कीड़े व मकौड़े आते हैं, जो गंगा घाटों पर फंसी जलकुंभियों में फंस जाते हैं़ इन कीड़ों को खाने के लिए सांप भी जलकुंभियों में अपना बसेरा बना लिये हैं़ घाट पर िदन भर खेलने व रहनेवाले कुछ युवकों ने कहा कि पानीवाले सांप इन जलकुंभियों में रह रहे हैं़
क्या कहते हैं घाटों पर रहनेवाले पंडा
इस संबंध में पूछे जाने पर घाट पर रहनेवाले पंडा समाज और पुरोहितों ने बताया कि यह समस्या लगभग एक पखवारे से बनी हुई है. अभी चैत्र नवरात्र का शुरुआत होनेवाला है, जिसको लेकर गंगा स्नान और पूजा-पाठ के लिए गंगा तट पर काफी संख्या में भक्त आते हैं़ अगर समय रहते इन जलकुंभियों को नहीं हटाया गया, तो हादसा हो सकता है़
क्या कहते हैं छात्र शक्ति के संयोजक
गंगा की सफाई करनेवाले छात्र शक्ति के संयोजक सौरभ तिवारी ने कहा कि गंगा की सफाई वे लोग हर रविवार को करते हैं और इस रविवार को भी सफाई होगी. इस क्रम में जलकुंभियों को हटाने का काम किया जायेगा, ताकि गंगा स्नान करनेवाले लोगों को परेशानी न हो.
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