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घर में पड़ा है धान,क्रय केंद्र व गोदाम सुनसान

जिले में धान की खरीद नहीं हुई शुरू, बंद हैं केंद्र अभी अधिकारी किसानों की सूची मांग रहे बक्सर : बक्सर जिले में धान की खेती करनेवाले किसानों आज धान के खरीदार नहीं मिलने से हलकान व परेशान हैं. पूंजी लगा कर व कर्ज लेकर धान की खेती करनेवाले किसान आज साहूकारों को कर्ज चुकाने […]

जिले में धान की खरीद नहीं हुई शुरू, बंद हैं केंद्र

अभी अधिकारी किसानों की सूची मांग रहे
बक्सर : बक्सर जिले में धान की खेती करनेवाले किसानों आज धान के खरीदार नहीं मिलने से हलकान व परेशान हैं. पूंजी लगा कर व कर्ज लेकर धान की खेती करनेवाले किसान आज साहूकारों को कर्ज चुकाने व बाल-बच्चों की पढ़ाई में आनेवाले खर्च को लेकर परेशान हैं कि अब पैसा कहां से लायेंगे. किसानों की धान अधिप्राप्ति को लेकर सारे नियम कानून व कागजी प्रक्रियाएं बक्सर जिले में साल-दर साल धरासायी हो रही हैं,
मगर जिले के अधिकारियों पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. जिले में धान खरीद का आलम यह है कि सरकारी खरीद की निर्धारित तिथि एक माह होने को है, मगर अब तक एक छटाक भी धान की खरीद नहीं हुई है. पांच जनवरी को कृषि टाॅस्क फोर्स की बैठक बुलायी गयी है,
जिसमें पैक्स व व्यापार मंडलों द्वारा प्राप्त किसानों की सूची पर अंतिम रूप से फैसला लिया जायेगा और धान धरीद के लिए किसानों की सूची को अंतिम रूप दिया जायेगा. आलम यह है कि धान की खरीद के लिए बनाया गया क्रय केंद्र भी पूरी तरह प्रभावकारी तरीके से काम नहीं कर रहे हैं.
केंद्रों पर सिर्फ टंगे हैं बोर्ड
सरकार के फरमान के बाद भी अभी तक सिर्फ धान क्रय केंद्रों पर धान खरीद से संबंधित बोर्ड ही लगाये गये हैं, लेकिन धान की खरीदारी नहीं की जा रही है़ ऐसे में किसान अपने धान को औने-पौने दाम पर बेचने को बाध्य हो गये हैं. वहीं,बहुत से किसान सही रेट की तलाश में अपने धान को खलिहान या घरों में ढेर लगाकर रखे हुए हैं.
क्या कहते हैं जिला आपूर्ति पदाधिकारी
जिला आपूर्ति पदाधिकारी शिशिर कुमार मिश्रा कहते हैं कि धान क्रय केंद्रों को अब तक पैसा ही ट्रांसफॉर नहीं हो सका है, जिससे खरीद शुरू नहीं हो सकी है. उन्होंने कहा कि आरा को-आौपरेटिव बैंक के प्रबंधक के नहीं रहने के कारण पैसा भेजने में विलंब हुआ, जिससे धान की खरीद शुरू नहीं हो सकी. उन्होंने कहा कि बहुत जगहों पर पैसे भेज दिये गये हैं.
जबकि कई स्थानों पर पैसे भेंजे जा रहे हैं. किसानों के निबंधन की भी परेशानियां सामने आ रही हैं. किसानों की सूची में पिता का नाम नहीं रहने से भी परेशानी हो रही है. सभी पैक्स व व्यापार मंडलों को पांच जनवरी तक किसानों की सूची भेजने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने किसानों से कहा कि निबंधन करा कर तैयार रहें, पैसा आते ही खरीद शुरू कर दी जायेगी.
क्या कहते हैं किसान
इस बारे में पूछने पर मंगरांव के किसान काशीनाथ पांडेय ने बताया कि धान का सही मूल्य बाजार में नहीं है. जबकि सरकारी गोदाम पर अभी धान की खरीद नहीं हो रही है़. इसलिए धान को घर पर ही रखे हैं.
हेंठुआ के किसान रामकृपाल सिंह ने बताया कि इस बार लोग सरकारी गोदाम के अपेक्षा साहूकार को 1020 के रेट में कुछ धान को बेच दिये हैं, ताकि खाद और बीज का इंतजाम किया जा सके, लेकिन बाकी धान को रखे हुए हैं.
देवढ़ियां के किसान दयानंद मौर्य बताया कि सरकार द्वारा समय पर खरीदारी नहीं करने से साहूकार को 1100 रुपये क्विंटल में धान को बेच दिया है.
अकोढ़ी के किसान विजय बहादुर सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा धान की खरीद नहीं होने से आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है़ आवश्यकतानुसार खाद की खरीद नहीं की गयी है.
सस्ते दाम पर भी धान बेचने के लिए भटक रहे किसान
डुमरांव़ किसानों के लाख शोर मचाने के बाद भी पैक्स द्वारा जमीन पर धान खरीदारी की शुरुआत नहीं की गयी है, जिससे किसान सस्ते दाम पर भी अपने पैदावार को बेचने के लिए भटक रहे हैं.
ऐसे हालात में साहूकारों की चांदी कट रही है. कागज में भले ही सरकारी क्रय केंद्र काम करने लगे हों, लेकिन जमीन सच्चाई यह है कि किसानों का एक छटाक धान अभी क्रय नहीं हो पाया है़ किसान अपने उत्पादित धान की रखवाली खलिहान में ही बैठ कर करने को विवश हैं.

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