बक्सर : बक्सर सदर अस्पताल की हालत बाहर से देखने में चकाचक है, लेकिन अंदर सुविधाएं उतनी ही जर्जर. बावजूद मान्यता देनेवाले अधिकारियों की आंख में धूल झोंक कर सदर अस्पताल प्रबंधन एनएबीएस की मान्यता पाने के दहलीज पर खड़ा है़ एक सौ बेडवाले सदर अस्पताल में महज 51 बेड इनडोर, सात बेड पेइंग एवं सात बेड इमरजेंसी में लगे हैं, पर मरीजों के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं, जिसके कारण मरीजों को हर कदम पर परेशानी होती है. राज्य सरकार द्वारा दवाओं की खरीद बंद होने के कारण दवाओं की कमी की मार सदर अस्पताल झेल रहा है.
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भवन चकाचक, सुविधा के नाम पर रेफर
बक्सर : बक्सर सदर अस्पताल की हालत बाहर से देखने में चकाचक है, लेकिन अंदर सुविधाएं उतनी ही जर्जर. बावजूद मान्यता देनेवाले अधिकारियों की आंख में धूल झोंक कर सदर अस्पताल प्रबंधन एनएबीएस की मान्यता पाने के दहलीज पर खड़ा है़ एक सौ बेडवाले सदर अस्पताल में महज 51 बेड इनडोर, सात बेड पेइंग एवं […]
100 की जगह मात्र 65 बेड ही हैं
सदर अस्पताल में संचालित वार्डों की व्यवस्था पर नजर डालें, तो आइएसओ की मान्यता पर सवाल उठना लाजिमी है़ सौ बेड वाले अस्पताल में मात्र 65 बेड ही मौजूद हैं. वार्डों की स्थिति भी अच्छी नहीं है़
प्रसव के लिए बाहर से लाना पड़ता है सामान : प्रसव वार्ड में कितने बेड है इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को नहीं है़ प्रसव वार्ड में प्रतिदिन प्रसव पीड़ित 10 से 15 महिलाएं रोज पहुंचती हैं. यदि सरकार के नियमानुसार प्रसव पीडि़ता प्रसव के बाद 48 घंटे तक रूक जाये, तो सदर अस्पताल की प्रसव वार्ड की व्यवस्था की कलई खुल जायेगी़ गनिमत कहिए कि प्रसव पीड़िता प्रसव के चंद घंटे बाद अपने घर चले जाती हैं. प्रसव के दौरान काम आनेवाली दवायें, कॉटन व टांके की धागा तक प्रसव कराने पहुंचे परिवार को बाहर से खरीद कर लाना पड़ता है.
ओपीडी : सदर अस्पताल 15 एमबीबीएस, एक सर्जन व चार महिला चिकित्सकों की सहायता से चल रहा है. सदर अस्पताल के प्रबंधक के अनुसार मरीजों की औसत संख्या प्रतिदिन चार सौ का है, पर इन दिनों अस्पताल में दवा की कमी से मरीजों की संख्या पर कम हुई है.
दवा की स्थिति : सदर अस्पताल में दवा की उपलब्धता न के बराबर है़ जरूरी दवाएं अस्पताल में नहीं हैं, जो दवाएं बची हैं वो गैर जरूरी हैं.
इमरजेंसी वार्ड : इमरजेंसी वार्ड में महज सात बेड हैं. जिले में दुर्घटना की स्थिति में बेड कम पड़ जाते हैं और अफरातफरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है़
नि:शुल्क जांच की सुविधा : एक्स-रे जांच की सुविधा है़ कुछ ब्लड टेस्ट हिमोग्लोबिन, ब्लड शुगर, ब्लड यूरिया, बिलीरोबिन, क्रिमेटेनिन, कोलेस्ट्राल, प्रिगेंसी टेस्ट, प्रोटीन, कालाजार और एड्स, शुगर की जांच वर्तमान में नि:शुल्क अस्पताल में उपलब्ध है.
देनी पड़ती है फी : नौटन एजेंसी के द्वारा हिमोग्लोबिन, शुगर, इसीजी, बीपी पल्स टेंप्रेचर, यूरिन सेंपल, इएसआर, मलेरिया और प्रिगनेंसी टेस्ट आधे दाम पर किये जाते हैं.
एसएनसीयू की सुविधा : सदर अस्पताल में आधु
निक 12 बेडवाले शिशु गहन चिकित्सा इकाई की स्थापना 2012 में की गयी.यह इकाई आज भी स्टाॅप की कमी के कारण सुचारु रूप से संचालित नहीं हो पायी है. आज इसकी स्थिति शून्य है.
एंबुलेंस की सेवाएं : 1099 , 102 और 108 एवं शव वाहन की सेवाएं सरकार द्वारा दी गयी हैं. किंतु वर्तमान में 1099 की सेवाएं हड़ताल के कारण बंद है. 102 एंबुलेंस रिपेयरिंग में है. शव वाहन व 108 का एकरारनामा सरकार से खत्म होने के बाद बंद है. यानी सदर अस्पताल में एंबुलेंस की सेवाएं वर्तमान में जरूरतमंदों को प्राप्त नहीं हो पाती है.
क्या कहते हैं प्रबंधक
प्रबंधक चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि व्यवस्थाएं पहले से सुदृढ़ हो रही है. चिकित्सकों की अपेक्षाकृत कमी है. सर्दी, बुखार जैसी आवश्यक दवाओं की खरीदारी समेत कुछ अन्य दवाओं की खरीदारी रोगी कल्याण समिति के फंड से करने का टेंडर कर दिया गया है. दवाओं की खरीदारी शीघ्र कर ली जायेगी.
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