डुमरांव़ : दीपावली में अब पांच दिन शेष रह गये हैं. इस त्योहार में मिठास घोलने को लेकर कारोबारी चीनी के खिलौने बनाने में दिन-रात लगे हैं. हर घर में मनाये जानेवाले दीपों के पर्व में इसकी मांग व खपत काफी बढ़ जाती है़ हाथी-घोड़े व पशु-पक्षियों के अलावे फूल-पत्ती की आकारवाले ढाचे में चीनी के चासनी से इस मिठाई को बनाया जाता है़ इसकी उत्तरप्रदेश में अधिक मांग है.
हजारों में होता है कारोबार : इस कारोबार में लगे हलवाई हजारों रुपये की लागत से विजया दशमी के पहले से ही चीनी की खरीदारी कर स्टॉक को जमा करते है़ं दशहरा बाद ढांचे में ढालने की तैयारी शुरू कर दी जाती है़ कारीगर रामबाबू, दिनेश बताते हैं कि रंग-बिरंगे चीनी के चासनी को तैयार कर मिट्टी से बने ढांचे में खिलौने को आकार दिया जाता है़ इस कारोबार में करीब पांच सौ किलो चीनी की खपत होती है़ खिलौने को तैयार कर खुदरा बाजारों में बिक्री की जाती है़
महिलाओं की पहली पसंद : दीपों के पर्व पर चीनी का खिलौना महिलाओं की पहली पसंद है़ इस त्योहार पर हर घर में बनानेवाले घरौंदे में महिलाएं इस खिलौने से सजाती हैं और प्रसाद के रूप में इसे परिवार के सदस्य मुंह मीठा करते है़ं आधी आबादी का मानना है कि यह शुद्ध रूप से चीनी का बना होता है़ इसकी मिठास से वर्ष भर जीवन में मिठास बना रहता है़
यूपी में होती है अधिक खपत : चीनी की खिलौनी की मांग उत्तरप्रदेश के बलिया, गाजीपुर के इलाकों सहित बक्सर के ग्रामीण इलाकों में बढ़ी है़ यूपी के व्यापारी इस खिलौने की खरीद डुमरांव के बाजारों से करते हैं और अपने मंडियों में बेचते हैं. व्यापारी सुमेश्वर साह ने बताया कि 70 से 85 रुपये इसकी बिक्री होती है, जो यूपी में 100 से 120 रुपये में बिक्री होती है़
इस कारोबार में अच्छी बचत होती है़