बक्सर/डुमरांव : या देवी सर्वभूतेषु, ऊँ सर्वमंगलमागल्ये, शिवे सर्वार्थसाधिके सहित अन्य वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हुआ़ अहले सुबह से श्रद्धालु नगर के पंचित काली मंदिर आश्रम,
राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी भगवती मंदिर, डुमरेजनी मंदिर, ठठेरी बाजार, निमेज टोला भगवती मंदिर, राजगढ़ चौक काली मंदिर सहित अन्य मंदिरों में पहुंच कर पूजा-अर्चना किये.
नवरात्र शुरू होने के साथ पूरा अनुमंडल क्षेत्र भक्तिमय सागर में डूब गया़ नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा समिति के द्वारा निर्माणाधीन पंडालो में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कलश स्थापना किया गया़
नगर के गली मुहल्लों में शंख की ध्वनि, मां की जयकार और जय माता दी के जयघोष से पूरा शहर गुंजायमान रहा़ जंगल बाजार, चौक रोड, स्टेशन रोड,
राजगढ़ चौक, छठिया पोखरा रोड, नया भठ्ठी, जवाहर मंदिर, नया थाना, गड़ेरी टोला के अलावे अन्य जगहोंं में पंडालों पर कलश स्थापना के बाद श्रद्धालुओं ने दुर्गा सप्तशती पाठ श्रवण किया गया़ अहले सुबह से लोग अपने-अपने घरों में नवरात्र को लेकर घर की साफ-सफाई कर मां भगवती की पूजा-अर्चना की़
साफ-सफाई को लेकर नगर पर्षद दिखा तत्पर : अहले सुबह नगर पर्षद द्वारा नाली सफाई से लेकर कूड़ा का उठाव कार्य पूरे जोर-शोर से करा रहा है.
इस दरम्यान एक सप्ताह पहले से नालियों में केमिकल सहित पाउडर का छिड़काव तेजी से किया जा रहा है, ताकि नवरात्र में शहर स्वच्छ व स्वस्थ्य रहे.
नगर पर्षद के चेयरमैन मोहन मिश्रा व उप चेयरमैन चुनमुन प्रसाद वर्मा ने बताया कि नवरात्र को लेकर शहर की सफाई तेजी की जा रही है, नगर को स्वच्छ और नगरवासियों को स्वस्थ्य रखा जा सके़
बाजारों में दिखा चहल-पहल : नवरात्र प्रारंभ होने के साथ फल महंगा बिकने लगे हैं. व्रत करने के लिए दुध पहले से महंगा हो गया है. केला 20 से 30, सेव 80 से 100, आनार 80 से 100, सिघाड़ा 190 तो उसका आटा 280, कलश छोटा 30 से 35, कलश मांझिल 45 से 50, कलश बड़ा 70 से 90 की दर से बिका. इस दरम्यान नवरात्र को लेकर फूल-माला की दुकानों पर भी भीड़ दिखी़ इसके अलावे बाजारों में मां भगवती की तसवीर आदि की खूब बिक्री रही़
प्रथम दिन मां शैलपुत्री की हुई पूजा-अर्चना : पंडित बलिराम मिश्रा, मुकुल मिश्रा, डॉ भाष्कर मिश्रा बताते हैं कि प्रथम दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में शैल पुत्री की पूजा होती है़
इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल पुष्प रहता है़ नंदी नामक वृषभ पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं. शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण नवदुर्गा का सर्वप्रथम स्वरूप शैलपुत्री कहलाता है़ घोर तपस्या करनेवाली शैलपुत्री समस्त जीव-जंतुओं की रक्षक भी हैं.
ये सब लोग देवी शैल पुत्री की आराधना करते हैं, जो योग, साधना, तप और अनुष्ठान के लिए पर्वतराज हिमालय की शरण लेते है़ं