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एक लाख रुपये का हुआ डायलिसिस इकाई में घोटाला, राज्य स्वास्थ्य सिमिति को लिखा गया पत्र

बक्सर : सदर अस्पताल में चोरी-छिपे बिना अस्पताल प्रबंधन को सूचित किये एक मई से ही डायलिसिस किया जा रहा है. अब तक नौ मरीजों को इसकी सुविधा दी जा चुकी है और 71 बार डायलिसिस किये जा चुके हैं. अस्पताल के अंदर मौजूद रजिस्टर में कागजी खानापूर्ति में प्रति मरीज 1410 रुपये डायलिसिस के […]

बक्सर : सदर अस्पताल में चोरी-छिपे बिना अस्पताल प्रबंधन को सूचित किये एक मई से ही डायलिसिस किया जा रहा है. अब तक नौ मरीजों को इसकी सुविधा दी जा चुकी है और 71 बार डायलिसिस किये जा चुके हैं.
अस्पताल के अंदर मौजूद रजिस्टर में कागजी खानापूर्ति में प्रति मरीज 1410 रुपये डायलिसिस के लिए एक बार में लिये गये हैं, जिससे एक लाख 110 रुपये मरीजों से लिये गये. लेकिन इन पैसों को सरकारी खाते में नहीं दिखाया गया है और टेक्निशियन व अधिकारी ने मिल बांट कर राशि का घोटाला कर लिया. आश्चर्य तो इस बात का है कि डायलिसिस करानेवाले मरीजों के परची पर ना तो डॉक्टर का नाम है अथवा बक्सर सदर अस्पताल में रेफर करने की परची है. सूत्र बताते हैं कि डायलिसिस के लिए निर्धारित राशि से ज्यादा राशि मरीजों से ली गयी है.
एनएबीएस की मान्यता पाने के लिए आतुर है बक्सर सदर अस्पताल : जानकारी के अनुसार राज्य स्वास्थ्य समिति पटना ने बिहार के 24 जिलों में डायलिसिस यूनिट लगाने का ठेका और उसे चलाने की जिम्मेदारी बी-ब्रॉन कंपनी को दिया है. इस कंपनी ने अब तक 24 जिलों में से 17 जिलों में डायलिसिस यूनिट लगा दी है. डायलिसिस यूनिट लगाये गये 17 जिलों में बक्सर जिला भी शामिल है.
आइएसओ मान्यता प्राप्त सदर अस्पताल बक्सर एनएबीएस की मान्यता पाने के लिए आतुर है, जहां लोगों को स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए आधुनिक सुविधाएं की जा रही हैं. इसी सुविधा के तहत बक्सर सदर अस्पताल में डायलिसिस सुविधा की यूनिट सरकार व पब्लिक के सहयोग से लगाया गया है. यह यूनिट बी. ब्रॉन संस्थान पटना की कंपनी ने लगायी है.
नियुक्त चिकित्सक आज तक नहीं पहुंचे अस्पताल : डायलिसिस की सुविधा शुरू करने के लिए बी-ब्रॉन कंपनी ने डॉक्टर चंचल कुमार को बक्सर सदर अस्पताल में बहाल किया है, लेकिन अब तक डॉक्टर चंचल ने सदर अस्पताल का रुख तक नहीं किया है. एक मार्च 2015 से कंपनी ने आजाद चौहान कर्मी को इसके लिए तैनात किया है.
हाल में 11 जून 2015 को विजय शंकर नामक एक अन्य कर्मी को पदस्थापित किया गया. सूत्र बताते हैं कि दोनों कर्मी कुशल तकनीशियन नहीं, बल्कि सामान्य सहायक हैं. डायलिसिस यूनिट के लिए एक काउंसलर बहाल है और एक मैनेजर ऑपरेशन भी तैनात किये गये हैं. इसके अतिरिक्त राज्य स्वास्थ्य समिति ने संविदा पर डीपीएम को भी नियुक्त किया है. इतनी लंबी फौज के बाद भी चोरी-छिपे डायलिसिस कराया जाना अधिकारियों की मिलीभगत को जगजाहिर कर देता है.
क्या कहते हैं डीपीएम
बगैर कर्मी एवं चिकित्सक के तथा जिला स्वास्थ्य समिति को बगैर सूचना के डायलिसिस कार्य शुरू करना गलत है. इसके लिए उन्होंने राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक अधिकारी को पत्र लिख है. प्रभारी सिविल सजर्न राम नारायण राम के निर्देश के बाद डायलिसिस को ताला बंद करने का आदेश दे दिया गया है.
धनंजय शर्मा, डीपीएम
क्या कहते हैं सीएस
डायलिसिस केंद्र को बंद करा दिया गया है. केंद्र का जिलाधिकारी द्वारा चार अगस्त को उद्घाटन कराया जायेगा. उद्घाटन के बाद ही केंद्र आम लोगों के लिए खुलेगा. साथ ही डीपीएम को राज्य स्वास्थ्य समिति को इस कार्य के प्रति सूचित करने का निर्देश दिया गया है. जांच के लिए जिला स्वास्थ्य समिति को पत्र भेज दिया गया है.
राम नारायण राम, सीएस

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