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विफलता : नौ हजार हेक्टेयर भूमि में बिचड़ा बोने के लक्ष्य के विरुद्ध 73 सौ हेक्टेयर में रोपा गया बिचड़ा
बक्सर : खरीफ फसल उत्पादन के मामले में धान का कटोरा उपनाम से चर्चित क्षेत्र में एक बक्सर जिले की कृषि मॉनसून आधारित है. अनियमित मॉनसून ने जिले के किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. खेतों के पटवन की वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में पानी के अन्य स्नेत जिले में सोन नहर का पानी एवं […]
बक्सर : खरीफ फसल उत्पादन के मामले में धान का कटोरा उपनाम से चर्चित क्षेत्र में एक बक्सर जिले की कृषि मॉनसून आधारित है. अनियमित मॉनसून ने जिले के किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं.
खेतों के पटवन की वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में पानी के अन्य स्नेत जिले में सोन नहर का पानी एवं सरकार द्वारा ट्यूबवेल की भी व्यवस्था की गयी है पर मॉनसून के बिना ये वैकल्पिक व्यवस्था भी कारगर नहीं हो पाता है. मॉनसून के लगातार धोखा देने के बावजूद कृषि विभाग जिले में 90 हजार हेक्टेयर भूमि में खरीफ फसल लगाने का लक्ष्य रखा है. सरकारी स्तर पर किसानों को प्रोत्साहन के लिए धान उत्पादन की कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं. सरकार किसानों को श्री विधि एवं जीरो टिलेज विधि से धान की खेती के लिए जिला स्तर पर विशेष रूप से खाद, बीज व नकद राशि प्रदान कर प्रोत्साहित कर रही है.
अब बीज आच्छादन लक्ष्य के करीब जिले में आद्र्रा नक्षत्र के बावजूद अब तक लक्ष्य का 80 प्रतिशत भागों में बीज आच्छादित किसानों ने सोन नहर, ट्यूबवेल एवं निजी स्नेतों का उपयोग कर किया है. इतने बीज के आच्छादन के बाद भी किसानों का ध्यान आकाश की ओर ही है.
बगैर इंद्रदेव की कृपा से जिले में खेती करना असंभव है. जिले में नौ हजार हेक्टेयर भूमि में बीज आच्छादन का लक्ष्य रखा गया है. इसमें 73 सौ के करीब बीज का आच्छादन हो चुका है. जिले में अब तक वर्षा औसत 202 मिलीमीटर दर्ज हुई है, जबकि हाल में हुई बरसात में सिर्फ दो दिनों में 93.5 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड किया गया है.
सोन नहर से कितना कृषि संभव : मॉनसून के बाद सोन नहर ही जिले की खरीफ फसल को उगाने में सहायक सिद्ध होता है. इसके द्वारा जिले में 26 हजार हेक्टेयर भूमि के पटवन का लक्ष्य निर्धारित है. जब 17 सौ क्यूसेक पानी इंद्रपुरी बराज से बक्सर सोन नहर को लगातार प्राप्त होगा, तब जिले की सभी जगह नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंच लक्ष्य को छू सकेगा.
नहर से फसल को महज 40 प्रतिशत ही फायदा पहुंचता है, जबकि कृषि का 60 प्रतिशत निर्भरता मॉनसून पर ही होता है. बगैर मॉनसून नहर इस लक्ष्य को नहीं छू सकेगा. वहीं जिले में सही हालत में 100 ट्यूबवेल है, जिसके सहारे 1120 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई का लक्ष्य है.
सरकार द्वारा निर्धारित किसानों का लक्ष्य : श्री विधि से धान की खेती के लिए 2936 किसानों के लक्ष्य के अनुपात में 2227 किसानों को प्रोत्साहित किया गया है. इसमें प्रत्येक किसान को एक एकड़ खेती करने के लिए खाद, बीज एवं नकद राशि प्रदान की गयी है.
जीरो टिलेज से धान की खेती के लिए 1154 किसानों के सापेक्ष में 903 किसानों को, तनावरोधी धान प्रभेदों प्रतिरक्षण के लिए 1863 किसानों में 1535 किसानों को, शंकर मक्का के साथ मूंग/ अरहर/ उड़द के लिए 537 किसानों में 329 किसानों को, खरीफ मक्का प्रतिरक्षण 80 में 80 किसानों को, गैर पारंपरिक अनुदानित दर पर शंकर मक्का 5979 में 412 किसानों, अरहर के लिए 466 में 264 किसानों को सुगंधित धान प्रतिरक्षण 537 में 428 किसानों को, अनुदानित दर पर शंकर बीज वितरण 15120 में 4088 किसानों को मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार कार्यक्रम प्रति राजस्व ग्राम में दो किसान, जिसमें 90 प्रतिशत अनुदान, बीज ग्राम प्रति राजस्व ग्राम में दो किसान जिसमें अनुदान 50 प्रतिशत निर्धारित है. साथ ही प्रमाणित बीज वितरण योजना में 1928 किसानों को 10 रुपये प्रति किलो पर अनुदान देना है.
इसके लिए बिहार राज्य बीज निगम की ओर से 50 क्विंटल 10 किलोग्राम प्राप्त बीज किसानों के बीच वितरण कर दिया गया है. जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा प्रखंड वार लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो निम्न है. यह लक्ष्य कमजोर मॉनसून की वजह से प्राप्त करना काफी मुश्किल कार्य होगा. जिले में अब तक मॉनसून वर्षा औसतन 108.5 एमएम हो सकी है.
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