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काले हिरन तड़प रहे पानी के लिए
वर्षो से सुरक्षित क्षेत्र के कारण रहते हैं बक्सर जिले में पूरे देश की आधी संख्या सिर्फ बक्सर जिले में बक्सर : देश में दुर्लभ वन प्रजाति के रूप में चर्चित काले हिरन के लिए बक्सर सुरक्षित क्षेत्र बना है. यहां पूरे देश की संख्या से आधी संख्या काले हिरनों की बक्सर में पायी जाती […]
वर्षो से सुरक्षित क्षेत्र के कारण रहते हैं बक्सर जिले में
पूरे देश की आधी संख्या सिर्फ बक्सर जिले में
बक्सर : देश में दुर्लभ वन प्रजाति के रूप में चर्चित काले हिरन के लिए बक्सर सुरक्षित क्षेत्र बना है. यहां पूरे देश की संख्या से आधी संख्या काले हिरनों की बक्सर में पायी जाती है, लेकिन दुर्भाग्य से यह दुर्लभ प्रजाति की देखभाल के लिए न वन विभाग चिंतित है और न ही कोई व्यवस्था वर्षो से हो रही है, जिससे इनका जीवन बच सके.
बताया जाता है कि पूरे देश में काले हिरनों की संख्या करीब 10 हजार के आसपास है, जिसमें अकेले बक्सर जिले में इसकी संख्या पांच हजार के आसपास है. बक्सर जिले के सभी प्रखंडों में काले हिरन कुछ न कुछ मिल ही जाते हैं. नदीवाले क्षेत्रों में इनकी संख्या कुछ ज्यादा देखने को मिलती है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में भी इनकी संख्या कम दिखती है.
मैदानी इलाकों में इनकी संख्या है अधिक : बक्सर जिले के चौसा क्षेत्र के पवनी गांव में, चक्की और सिमरी प्रखंड के गंगा क्षेत्र के दियारावाले इलाके में तथा बक्सर, इटाढ़ी और राजपुर प्रखंड के मैदानी इलाकों में काले हिरनों की संख्या जठ्ठा में दिखायी देती है. इन प्रखंडों के अतिरिक्त भी दूसरे प्रखंडों में इन्हें देखा जा सकता है. यहां के किसान काले हिरनों का शिकार नहीं करते और न ही इनको बेचने का कोई व्यवसाय करते हैं, बल्कि खेतों की बरबादी को सहन करते हुए संरक्षित करने की कोशिश करते हैं. बक्सर के नदांव, बसौली, छोटकी बसौली में इसकी संख्या काफी अधिक है और झुंड का झुंड काले हिरन दिखायी देते हैं.
वहीं, गरमी के दिनों में चापाकलों के निकट जमा होने वाले पानी तथा तालाबों में जमा पानी पीने के लिए काले हिरन अक्सर नजर आते हैं. चौसा प्रखंड में इसकी संख्या ज्यादा रहने के कारण वन विभाग की ओर से निजी स्तर पर उनको पानी पिलाने के लिए बोरिंग चलाये जाते हैं, ताकि उनका जीवन बचाया जा सके, लेकिन विभागीय स्तर पर पहल शून्य है.
क्या कहते हैं वन विभाग के क्षेत्र पदाधिकारी : इस संबंध में वन विभाग के क्षेत्र पदाधिकारी शशि भूषण झा कहते हैं कि वन विभाग को कई दफा पत्र लिख कर इनके सुरक्षा की गुहार लगायी है, लेकिन अब तक सरकार की ओर से इस वन प्राणी को बचाने और सुरक्षित रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गयी है.
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