Advertisement
शिक्षा के अधिकार कानून को ठेंगा दिखा रहे निजी विद्यालय
156 विद्यालयों में से अब तक 30 विद्यालयों ने ही कराये हैं रजिस्ट्रेशन शहर के लगभग 10 हजार बीपीएलधारी बच्चों में से मात्र 509 बच्चों का हुआ है नामांकन बक्सर में बीपीएलधारी बच्चों को शिक्षा देने में निजी स्कूल काफी शिथिलता बरत रहे हैं. 156 निजी विद्यालयों में अब सिर्फ 30 विद्यालय ही आरटीइ के […]
156 विद्यालयों में से अब तक 30 विद्यालयों ने ही कराये हैं रजिस्ट्रेशन
शहर के लगभग 10 हजार बीपीएलधारी बच्चों में से मात्र 509 बच्चों का हुआ है नामांकन
बक्सर में बीपीएलधारी बच्चों को शिक्षा देने में निजी स्कूल काफी शिथिलता बरत रहे हैं. 156 निजी विद्यालयों में अब सिर्फ 30 विद्यालय ही आरटीइ के तहत रजिस्ट्रेशन करा पाये हैं. वहीं, अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. वहीं, बगैर रजिस्ट्रेशन के चलनेवाले इन विद्यालयों का कोई भी लेखा-जोखा भी सरकारी विभाग के पास नहीं है.
बक्सर : शिक्षा का अधिकार को लागू हुए पांच साल हो गये, लेकिन आज भी जिले में इस अधिकार से सैकड़ों बच्चे वंचित हैं.
निजी विद्यालय बीपीएल धारी बच्चों को नामांकन नहीं करने में कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं, लेकिन इस पर शिक्षा विभाग का कोई नकेल नहीं है. जिले में 156 निजी विद्यालय हैं, जिनमें से महज 30 विद्यालयों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है.
शेष 126 विद्यालय अब भी बिना रजिस्ट्रेशन के ही संचालित हो रहे हैं. इन विद्यालयों का कोई भी लेखा-जोखा सरकारी विभाग में नहीं है. वहीं, अप्रैल के अंत तक इन्हें अपने विद्यालय का रजिस्ट्रेशन हर हाल में करा लेना था, पर रजिस्ट्रेशन कराने में जितने लापरवाह विद्यालय हैं, उससे कहीं ज्यादा शिक्षा विभाग के अधिकारी. रजिस्ट्रेशन के अभाव में निजी विद्यालयों ने बीपीएल धारी बच्चों का नामांकन लेने से साफ इनकार कर देते हैं. जबकि अधिनियम के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
शहर में लगभग 10 हजार बीपीएलधारी बच्चे हैं : सरकारी आंकड़ों के अनुसार शहर में लगभग 10 हजार बीपीएल धारी बच्चे हैं. ये अपने आसपास के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने जाते हैं. इनमें से कई परिवार अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में पढ़ाना चाहते हैं. इसके लिए वे अपने बच्चों को निजी विद्यालयों के प्रबंधक से मिलते भी हैं,लेकिन नामांकन नहीं होने की स्थिति में उन्हें वापस लौटना पड़ता है.
अब तक सिर्फ 30 विद्यालयों ने ही कराया रजिस्ट्रेशन : जिले में 30 विद्यालयों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है. विभाग के अनुसार इन विद्यालयों ने 2014-15 सत्र में 509 बीपीएल धारी बच्चों का नामांकन लिया है, लेकिन विभाग के पास पूर्व के सत्र का कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है.
जबकि पूर्व में 2013-14 सत्र में जिले के दो विद्यालयों ने ही नामांकन लिया था. इनमें बिहार पब्लिक स्कूल अहिरौली और फाउंडेशन स्कूल शामिल थे. विभाग ने इन विद्यालयों में नामांकित बच्चों का अब तक कोई रिकॉर्ड भी नहीं रखा है. विभाग के अनुसार नये सत्र से नामांकित बच्चों का रिकॉर्ड उनके नाम और पता के साथ रखा जायेगा.
4160 रुपये सरकार देती है फी : सरकार की ओर से निजी विद्यालयों में पढ़नेवाले बीपीएल धारी बच्चों के लिए फी के रूप में 4160 रुपये दिये जाते हैं, लेकिन विभाग के अनुसार इस राशि को लेने में कई विद्यालय रुचि नहीं रखते हैं.
इसके पीछे प्रमुख कारण यह होता है कि विद्यालय प्रबंधक पूरी तरह सरकार के अधीन चलना नहीं चाहते. 4160 रुपये में बच्चों का केवल फी और किताब की राशि शामिल होता है. वहीं, पोशाक के लिए सरकार छात्रवृत्ति के रूप में बच्चे को निर्धारित राशि देती है, लेकिन कई विद्यालय विकास शुल्क के नाम पर बीपीएल धारी बच्चों के अभिभावकों से पैसे वसूल लेते हैं. वहीं, पुस्तक को भी बाहर से खरीदने पर विवश करते हैं.
पहली बार 1910 में लाया गया था मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का विधेयक
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले ने 18 मार्च 1910 में मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के लिए ब्रिटिश विधान पर्षद के समक्ष अपना पहला प्रस्ताव रखा था, परंतु खारिज हो गया था.
क्या है शिक्षा का अधिकार
शिक्षा का अधिकार(आरटीइ) अधिनियम 2010 में लागू हुआ, जिसके तहत छह से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है. इस प्रावधान में निजी विद्यालय भी शामिल हैं. निजी विद्यालयों को कक्षा एक के सीट के 25 प्रतिशत सीटों पर बीपीएल धारी बच्चों का नामांकन करना है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
डीपीओ मो. सईद अंसारी ने बताया कि विद्यालयों को रजिस्ट्रेशन के लिए कहा गया है. रजिस्ट्रेशन इस माह के अंत तक कराना था, लेकिन अब तक सभी विद्यालयों में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. बीपीएल धारी बच्चों का नामांकन नहीं लेनेवाले निजी विद्यालयों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जायेगी.
क्या कहते हैं आरटीआइ कार्यकर्ता
आरटीआइ कार्यकर्ता व समाजसेवी शिव प्रकाश राय ने कहा कि निजी विद्यालयों पर शिक्षा माफियाओं का कब्जा है. कई अधिकारियों व नेताओं का अपना बड़ा स्कूल है, जिसके कारण आरटीइ का पालन नहीं हो पा रहा है. सरकार इसे लागू करने में पूरी तरह विफल है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement