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शिक्षकेतर कर्मचारियों की हड़ताल शुरू
कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से काम ठप रहा बक्सर : बिहार राज्य विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर शिक्षकेतर कर्मियों की हड़ताल मंगलवार से कॉलेजों में शुरू हो गयी, जिस कारण कॉलेजों में कर्मचारी काम करने के बजाय आंदोलन करने पर उतर आये. छात्र-छात्राओं का कोई भी काम नहीं हो सका. लेकिन, […]
कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से काम ठप रहा
बक्सर : बिहार राज्य विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर शिक्षकेतर कर्मियों की हड़ताल मंगलवार से कॉलेजों में शुरू हो गयी, जिस कारण कॉलेजों में कर्मचारी काम करने के बजाय आंदोलन करने पर उतर आये. छात्र-छात्राओं का कोई भी काम नहीं हो सका. लेकिन, पढ़ाई की व्यवस्था आम दिनों की तरह दिखी. क्योंकि शिक्षकों की हड़ताल नहीं थी.
विश्वविद्यालय के निर्देश पर हुई हड़ताल में पूरे बिहार से करीब 33 हजार शिक्षकेतर कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिसमें एमवी कॉलेज के 60 कर्मचारी और डीके कॉलेज, डुमरांव के 40 कर्मचारी भी आंदोलन पर हैं. मंगलवार से कॉलेजों में बीए, बीएससी पार्ट वन के लिए फॉर्म भरा जाना था. मगर काम पूरी तरह ठप रहा.
मांगों पर नहीं हुआ विचार
शिक्षकेतर कर्मचारी संघ की एमवी कॉलेज, बक्सर शाखा के अध्यक्ष ददन पांडेय एवं जिला सचिव अरविंद कुमार सिंह, डॉ अमित मिश्र ने बताया कि शिक्षकेतर कर्मचारी अपनी मांगों की पूर्ति के लिए आंदोलन करने को विवश हुए हैं.
सरकार की ओर से शिक्षकेतर कर्मचारियों के साथ समझौता भी हुआ, मगर अब तक उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं हुआ, जबकि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद सरकार ने हलफनामा दायर कर छह माह के अंदर मांगें पूरी करने का आश्वासन शिक्षकेतर कर्मचारियों को दिया था. विश्वविद्यालयों के अड़ियल रवैये के कारण शिक्षकेतर कर्मचारियों को विवश होकर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ा है.
काम ठप करने का निर्णय
एमवी कॉलेज में बैठक कर कर्मचारियों ने आंदोलन को मजबूती देने और काम को ठप करने का निर्णय लिया. बैठक में राम नगीना सिंह, चिन्मय प्रकाश झा, राजीव रंजन कुमार, विद्याकर खां, शिवजी सिंह, विनायक दत्त पाठक, दयाशंकर तिवारी आदि शामिल थे.
क्या हैं प्रमुख मांगें
कर्मचारियों की सेवा संपुष्टि करने, एसीपी का लाभ शिक्षकेतर कर्मचारियों को देने, प्रोन्नति के लिए बनायी गयी कमेटी में कर्मचारी संगठन को प्रतिनिधित्व देने, वेतनमान का निर्धारण करने तथा बकाया राशि का भुगतान करने आदि प्रमुख हैं.
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