बक्सर : बक्सर शहर की आबादी सवा लाख है. हर दिन शहर में दूसरे जगहों से करीब 25 से 30 हजार लोग खरीदारी व अन्य काम से यहां आते हैं. पर शहर में एक भी यूरिनल(पेशाब करने की जगह) नहीं है, जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है. सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को है. लोग विवश होकर शहर में किसी एकांत जगह की खोज करते हैं. लेकिन, फिर भी ऐसी जगह नहीं मिल पाते, तो पूर्व से निर्धारित जगहों पर यूरिनल पास करते हैं. शहर में हर दिन ऐसी समस्याओं से महिला और पुरुष जूझ रहे हैं. खासकर महिलाएं घर से शहर में शॉपिंग या अन्य काम से जब निकलती हैं, तो शहर में उन्हें यूरिनल नहीं रहने के कारण पेरशानी उठानी पड़ती है. ग्रामीण इलाकों से आनेवाली महिलाओं को और ज्यादा दिक्कत होती है. फिर भी नगर पर्षद सार्वजनिक जगहों पर यूरिनल का निर्माण अब तक नहीं करा पाया है.
34 वार्डो में से 18 पर महिला पार्षद काबिज : माना जाता है कि महिला की परेशानी एक महिला ही समझ सकती है. परंतु, बक्सर शहर में ऐसा देखने को नहीं मिल रहा. शहर के 34 वार्डो में से 18 में महिला वार्ड पार्षद हैं. फिर भी महिलाओं के लिए शहर की किसी भी जगह यूरिनल नहीं बन पाया है. इस कारण हर दिन महिलाओं को परेशानी होती है. उल्लेखनीय है कि बक्सर एक धार्मिक स्थल है. गंगा स्नान के लिए हमेशा यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. तनाव व मुंडन संस्कार में भी महिलाओं की संख्या अधिक रहती है. फिर भी महिलाओं के लिए नगर पर्षद की ओर से कोई यूरिनल नहीं बनाया गया है.
चार जगहों पर बनना है शौचालय : विभाग के अनुसार, शहर में चार जगहों पर शौचालय का निर्माण कराना है. इसके लिए किला मैदान और मुनीम चौक के समीप का स्थल चयन किया गया है. शेष दो के लिए जगह का चयन हो रहा है. जगह चयन के बाद यहां शौचालय बनाया जायेगा. शौचालय बन जाने के बाद लोग इसका उपयोग यूरिनल के रूप में भी करेंगे. फिलहाल, यूरिनल नहीं रहने से महिला और पुरुषों को काफी परेशानी होती है.
देवी-देवताओं का लगा दिया पोस्टर
शहर में यूरिनल नहीं रहने से अक्सर लोग किसी न किसी के घर के आगे बने नाली में पेशाब करते हैं. ऐसे में मकान मालिक उक्त जगह से निकलने वाले बदबू से परेशान रहते हैं. वहीं, लोग ऐसा नहीं करे, इसके लिए लोगों ने दीवारों पर बड़े-बड़े अक्षर में ‘पेशाब करना मना है’ का स्लोगन लिखा है. फिर भी लोग नहीं मानते हैं, तो ऐसे में मकान मालिकों ने उक्त जगह पर देवी-देवताओं की तसवीर ही लगा दी है, ताकि भगवान के पोस्टर पर कोई पेशाब नहीं करेगा.
पूर्व में बने थे दो शौचालय, अब हैं बेकार
पूर्व में बने शौचालयों की स्थिति रख रखाव के अभाव में खराब हो गयी. खलासी मुहल्ले और मठिया मुहल्ला में इन दो जगहों पर पूर्व में नगर पर्षद शौचालय का निर्माण कराया था. परंतु, यहां पानी की न तो सुविधा थी और न ही रख रखाव की बेहतर व्यवस्था.जिसके कारण दोनों जगहों के शौचालय की सुविधा कुछ दिनों बाद ही बंद हो गये. इन जगहों के 40 प्रतिशत घरों में आज भी शौचालय नहीं है. जिसके कारण लोग इन शौचालयों का उपयोग करते थे. वहीं, राहगीर इनका उपयोग यूरिनल के रूप में करते थे. परंतु, शौचालय खराब हो जाने के कारण लोग पुन: शौच के लिए घर से बाहर ही जाते हैं.
यूरिनल के लिए जगह का हो रहा चयन : विभाग के अनुसार, शहर में यूरिनल बनाने के लिए नप ने कोई योजना नहीं बना पाया है. इसके पीछे कारण यह रहा है कि नप को शहर में कोई जगह नहीं मिल पायी. जगह की तलाश जारी है. विभाग के अनुसार, शीघ्र ही जगह का चयन कर यूरिनल बनाया जायेगा. यदि यूरिनल बन जाता है, तो खासकर महिलाओं को काफी सहूलियत होगी. यूरिनल बनाने की पहली प्रक्रिया के तहत आगामी बोर्ड की बैठक में इसे योजना में चयन किया जायेगा, जिसके बाद आगे की कार्रवाई होगी.
सार्वजनिक स्थल पर नहीं हैं यूरिनल : शहर के मुख्य जगहों पर रेलवे स्टेशन परिसर, बस स्टैंड और पार्को के आसपास शौचालय की सुविधा नहीं हैं. लोगों को किसी एकांत जगह की खोज करनी पड़ती है . वहीं, हाल शहर में बने पार्को की है. स्टेशन रोड स्थित कमलदह पोखरा के पार्क और नगर भवन के पार्क में घूमने के लिए हर दिन परिवार के साथ लोग टहलने जाते हैं. परंतु, यहां लोगों के लिए एक भी सार्वजनिक यूरिनल की व्यवस्था नहीं है.