21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सुविधाएं नदारद, राजस्व 15 लाख रुपये के पार

हो रहा काम. माप-तौल विभाग तरस रहा सुविधाओं के लिए माप-तौल विभाग जिले में राजस्व वसूली में लगातार बढ़ोतरी दर्ज कर रहा है, लेकिन राजस्व के अनुपात में विभाग की सुविधाएं वर्षो से ज्यों की त्यों बनी हैं. आंकड़े बताते हैं कि पांच सालों में करीब 102 फीसदी राजस्व बढ़ा है, लेकिन जो सुविधाएं व […]

हो रहा काम. माप-तौल विभाग तरस रहा सुविधाओं के लिए
माप-तौल विभाग जिले में राजस्व वसूली में लगातार बढ़ोतरी दर्ज कर रहा है, लेकिन राजस्व के अनुपात में विभाग की सुविधाएं वर्षो से ज्यों की त्यों बनी हैं. आंकड़े बताते हैं कि पांच सालों में करीब 102 फीसदी राजस्व बढ़ा है, लेकिन जो सुविधाएं व संसाधन विभाग को चाहिए वह आज भी नहीं हैं. इलेक्ट्रॉनिक तराजू जिसका प्रचलन आज आम हो गया है, लेकिन इसकी जांच और गड़बड़ी पकड़ने के लिए मुकम्मल व्यवस्था विभाग के पास नहीं है. मात्र चार हजार ऐसे व्यापारी हैं जिनके तराजू और बाट की जांच नियमित हो पाती है.
बक्सर : क्रेता व विक्रेता के बीच के लेनदेन में माप-तौल का काफी महत्व होता है. सही माप-तौल से बाजार में ग्राहक और दुकानदार के बीच विश्वास कायम रहता है. ऐसे में दुकानदार ग्राहकों को सही माप-तौल कर चीजों को बिक्री करें.
इसके निगरानी के लिए माप-तौल विभाग बनाया गया है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि माप-तौल का स्वरूप लोहे के बाट से आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक मशीन तराजू तक पहुंच चुका है, लेकिन विभाग अभी भी कई दशक पीछे चल रहा है. विभाग में मूलभूत सुविधाओं से लेकर आधुनिकता का घोर अभाव है, जिससे विभाग के कर्मियों को अपने कार्य को अंजाम देने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, विभाग के साल दर साल बढ़ रहे राजस्व पर गौर करें, तो उसके अनुरूप विभाग को कोई सुविधा अब तक नहीं मिल पायी है. फरवरी 2015 तक विभाग के कर्मियों ने 14 लाख 99 हजार तीन सौ रुपये के लक्ष्य को पार कर 15 लाख 52 हजार 706 रुपये का राजस्व प्राप्त किया है.
पिछले पांच सालों में 102 प्रतिशत की हुई राजस्व में वृद्धि : विभाग के कर्मी सीमित संसाधन में पिछले पांच सालों में राजस्व में लगभग 102 प्रतिशत की वृद्धि लाये हैं. आंकड़ों के अनुसार मार्च 2010 में विभाग का कुल राजस्व सात लाख 235 रुपये था, जो फरवरी 2015 तक यह राजस्व सीधे 15 लाख 52 हजार 706 रुपये का हो गया. यानी सीधे 102 प्रतिशत राजस्व में वृद्धि हुई. जबकि विभाग को लक्ष्य 14 लाख 99 हजार 300 रुपये का दिया गया था.
दो कर्मियों के भरोसे विभाग : साढ़े 17 लाख की आबादीवाले जिले के छोटे-बड़े बाजार में कुल 54 सौ व्यापारियों के तराजू पर निगरानी रखने के लिए विभाग में मात्र दो लोगों की तैनाती की गयी है, जिसमें एक इस्पेक्टर दूसरा पीउन शामिल है. हालांकि एक क्लर्क पद खाली है. ऐसे में पूरे जिले को संभालना काफी मुश्किल होता है.नहीं हैं वाहन : जिले का क्षेत्र फल 17 हजार 575 वर्ग किलोमीटर का है. ऐसे में इतने बड़े क्षेत्र को बिना वाहन के कर्मियों को कार्य को अंजाम देने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कर्मियों ने बताया कि पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हो, तो जिले से अधिक-से- अधिक राजस्व व व्यापारियों को सुविधाएं दिलायी जा सकती हैं. वाहन नहीं रहने से कई क्षेत्र की गश्ती नहीं हो पाती है. अपने स्तर से संसाधन उपलब्ध करा कर गश्ती करनी पड़ती है.
तकनीकी जानकारी की है कमी : वर्तमान समय में तेजी से इलेक्ट्रॉनिक मीटर तराजू का प्रचलन बढ़ रहा है. ऐसे में इन तराजुओं के साथ हुए छेड़छाड़ को पकड़ने के लिए तकनीकी जानकारी की जरूरत पड़ती है. ऐसे में विभाग लोहे के बाट का निरीक्षण करने तक ही सीमित है. हालांकि विभाग स्थानीय स्तर से इलेक्ट्रॉनिक तराजुओं का निरीक्षण कराता है.
मूलभूत सुविधाओं का है घोर अभाव : जिले का माप-तौल विभाग एक छोटे से कमरे में चलता है. दो तार मेज व कुरसी के अलावे विभाग को कोई अन्य सुविधाएं नसीब नहीं हैं. पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से कर्मियों को दूर से पानी लाना पड़ता है. वहीं, शौचालय के अभाव में काफी परेशानी होती है. कर्मियों ने बताया कि वर्षो से मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें