बक्सर : सदर प्रखंड के उमरपुर गांव के समीप बक्सर कोइलवर तटबंध में गंगा के उफान से पड़ रही दरार के कारण तटबंध के टूटने का खतरा मंडराने लगा है. तटबंध से सटे उमरपुर गांव की एक बड़ी आबादी दहशत में है. जान–माल की सुरक्षा को लेकर उमरपुर के ग्रामीण रतजगा कर रहे हैं.
गंगा में उफान के कारण रविवार को जिले के उत्तरी इलाके के एक दर्जन से अधिक नये इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है. आलम यह है कि सुबह तक जो लोग जूते पहन कर मझरिया गांव से निकले थे, शाम ढलते ही मझरिया गांव को जोड़ने वाली सड़क पर गंगा की धार बहने लगी. बक्सर सदर प्रखंड के मझरिया, गड़नी, उमरपुर सहित अन्य इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है.
गंगा में उफान के कारण दियारे इलाके में रहने वाले लोगों के चेहरों पर प्राकृतिक विपदा की त्रसदी का दर्द दिखने लगा है. खेतों में लगी फसल डूब चुकी है. जीने का साधन मजदूरी था, वह भी बाढ़ के कारण छिन चुका है. ऐसे में दियारा इलाके के गांवों में रहने वाले मजदूर परिवारों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. प्रशासन की ओर से अब तक राहत वितरण का कार्य शुरू नहीं किया गया है.
* तटबंध पर पानी का दबाव
सदर प्रखंड के उमरपुर दियारा के कोइलवर–बक्सर तटबंध पर पानी के बढ़ते दबाव के कारण तटबंध में दरारें आ गयी है. उमरपुर में लगभग 250 मीटर में तटबंध की स्थिति काफी भयावह बनी हुई है. प्रशासन के अधिकारी तटबंध को बचाने के लिए दिन–रात लगे हुए हैं.
तटबंध के समीप बांस व जाली देकर मिट्टी भरे बोरे तटबंध में डाले जा रहे हैं, लेकिन भीतर से कटाव होने के कारण तटबंध में दरारें आने लगी है. उमरपुर के श्री किशुन यादव का कहना है कि उमरपुर में लगभग 250 घरों की आबादी है. यह आबादी तटबंध से सटा हुआ है. ऐसे में तटबंध के टूटने की आशंका से ग्रामीण दहशत में हैं और जान–माल की सुरक्षा के मद्देनजर रतजगा कर रहे हैं.
* दियारे में फंसे हैं 300 मवेशी
उमरपुर दियारे के ग्रामीणों के लगभग 300 मवेशी गंगा के उस पार दियारे में फंसे हुए हैं. गांव के रामाशंकर यादव बताते हैं कि दियारे में मवेशियों को सदियों से रखने की परंपरा है. पानी बढ़ने के कारण दियारा इलाका भी लबालब है. ऐसे में मवेशी पानी में रह रहे हैं. उन्हें सुरक्षित स्थान पर लाने का कोई साधन नहीं है.
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से गुहार लगायी है कि मवेशियों को सुरक्षित ऊंचे स्थानों पर ले जाने के लिए नाव मुहैया करायी जाये, ताकि मवेशियों को दियारे से सुरक्षित निकाला जा सके. ग्रामीणों का कहना है कि उमरपुर में सरकार की ओर से एक भी नाव उपलब्ध नहीं कराया गया है, जिसके कारण जान–माल की सुरक्षा कर पाना मुश्किल दिख रहा है.
* टापू बने दोदर्जन गांव
गंगा में उफान के कारण बक्सर सदर, सिमरी, चौसा, ब्रह्मपुर व चक्की प्रखंड के दोदर्जन से अधिक गांव टापू में तब्दील हो गये हैं. इन गांवों में आवागमन भी पूरी तरह ठप पड़ गयी है. सबसे बुरी स्थिति उमरपुर दियारा के समीप बिहार–उत्तरप्रदेश की सीमा पर बसे सांथ और बीस टोला की है. यह टोला पूरी तरह बाढ़ से घिर कर टापू में तब्दील हो गया है. गांव के लोग मचान बना कर सामान को सुरक्षित रखने में परेशान हैं. यहां से कई लोग पलायन कर बक्सर कोइलवर तटबंध पर शरण लिये हुए हैं.
सांथ गांव के भरत मांझी का परिवार तटबंध पर शरण ले रखा है. उसका कहना है कि बिहार–यूपी के सीमा पर बसे होने के कारण उन्हें राहत का भी लाभ नहीं मिल पाता है. सांथ गांव की रमावती देवी पानी से बचने के लिए खाट लगा कर गंगा के उफान को शांत होने का इंतजार कर रही है. इसी तरह सांथ टोला के कई परिवार मचान बना कर परिवार के साथ टापू बने गांव में पनाह लिये हुए हैं. लोगों का कहना है कि आखिर जाएं तो कहां जाएं. कहीं कोई ऐसा ठिकाना नहीं, जहां परिवार के साथ सिर छुपा कर रह सकें.
* छिना निवाला, बेबस मजदूर
बाढ़ के कारण दियारा इलाके में लगी फसल डूब गयी है. फसल डूबने के कारण खेती के भरोसे रहने वाले परिवारों का मुंह का निवाला छिन गया है. कृषि कार्य करके परिवार का भरण–पोषण करने वाले मजदूरों के समक्ष रोजी–रोटी की समस्या गंभीर बन गयी है. मजदूर रामाधार राम का कहना है कि पूरे दिन खेत में मजदूरी करते थे, तो घरों का चूल्हा जलता था.
खेतों में पानी भर जाने के बाद सब कुछ बंद हो गया है. अब तो दोनों वक्त चूल्हे भी नहीं जल पा रहे हैं. मजदूर राम किशुन ने बताया कि बाढ़ की त्रसदी के कारण गांव से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में दर्जनों परिवारों के समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है.
* सुरक्षा में जुटे अधिकारी
उमरपुर दियारा तटबंध को बचाने के लिए जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल सहित बाढ़ नियंत्रण विभाग के वरीय अधिकारी लगे हुए हैं. उमरपुर दियारा के 250 मीटर लंबे तटबंध में आयी दरार को रोकने के लिए दिन–रात मजदूर बोरे में मिट्टी भर कर कटान को भरने में जुटे हुए हैं. अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उमरपुर के समीप तटबंध पर तेज धारा का दबाव था, दबाव को कम करने के लिए बांस व मिट्टी भरी बोरी का इस्तेमाल किया जा रहा है. अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि तटबंध पर किसी तरह का खतरा आने नहीं दिया जाएगा.
* आपदा प्रबंधन की टीम पहुंची
सिमरी : आपदा प्रबंधन पटना की टीम सिमरी के इलाके में पहुंच चुकी है. दो मोटर बोट के सहारे यह टीम राहत बचाव में जुट गयी है. टीम लीडर इंस्पेक्टर कुमार गौरव वशिष्ठ ने बताया कि टीम में 40 व्यक्ति है. नौवीं बटालियन एमडीआरएफ महर्षि उपमन्यु उच्च विद्यालय नियाजीपुर में कैंप कर रहा है. इनका कार्य बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने का है.
* टापू में तब्दील हुए गांव लोगों का पलायन जारी
ब्रह्मपुर (बक्सर) : गंगा में उफान से दियारा क्षेत्र के लोग भयभीत हो गये हैं. बड़की नैनीजोर पंचायत के ढाबी, गजाधर डेरा, करीमन डेरा एवं पोखरा ढाला टापू में तब्दील हो गया है. वहीं घरों में पानी घुस गया है, जिससे लोग अपने मवेशियों के साथ पलायन होने को मजबूर हो गये हैं.
सुंदर टोला सहित ऊंचे तटबंधों पर आ कर ठहर रहे हैं. हालांकि, प्रशासन द्वारा लोगों के ठहरने एवं भोजन की व्यवस्था चार दिनों के बाद भी नहीं की जा सकी है. ढाबी के बीडीसी प्रतिनिधि राम अवध यादव ने बताया कि घरों में पानी घुस गया है. घर में ताला लगा कर ऊंचे स्थानों या दो मंजिल वाले मकानों पर पहुंच रहे हैं. लोग भयक्रांत हैं. कई घरों में तो चूल्हा भी नहीं जल पाया है.
प्रशासन द्वारा नाव के अलावा कोई राहत व्यवस्था नहीं की जा सकी है. लोगों की परेशानी दिनों–दिन बढ़ती जा रही है. वहीं बड़की नैनीजोर एवं दक्षिणी नैनीजोर में भी पानी घुस गया है. बाजार स्थित स्वास्थ्य केंद्र एवं मध्य विद्यालय में पानी घुस गया है. कई विद्यालयों को बंद कर दिया गया है. बाढ़ के कारण आवागमन भी बाधित हो चुका है. लोगों का प्रशासन के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है.
वहीं भोजपुर जिले के सईंया मरचइया के पास तटबंध के टूटने से गंगा के पानी का दबाव धर्मावती नदी पर पड़ने लगा है. दलन छपरा के समीप से उमेदपुर, कपूरपुर के घरों में पानी घुसना शुरू हो गया है. वहीं नावाडीह, एकडार, चकनी, चंद्रपुरा के दक्षिणी बधार में भी पानी घुस गया है, जिससे लगभग 600 बीघे से अधिक खेतों में लगी मकई की फसल बरबाद हो रही है.
वहीं, कई छोटे–बड़े गांवों में भी पानी घुसना शुरू हो गया है. वहीं बधार में पानी लगना शुरू हो गया है, जिससे बधार झील में तब्दील हो गयी है. बाढ़ के पानी का दस्तक एनएच 84 तक भी देखने को मिल रहा है और ब्रह्मपुर चौरस्ता तक आ पहुंचा है. निमेज के बधार में भी पानी घुस चुका है. अगर स्थिति ऐसी बनी रही, तो वर्ष 2003 से भी अधिक खतरनाक साबित हो सकता है. किसानों के सामने हजारों की संपत्ति नष्ट हो रही है.