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कृषि मेले में 52 लाख अनुदान दिये गये

बक्सर : स्थानीय किला मैदान में दो दिवसीय कृषि मेले का समापन हो गया. जिसमें अनुदानित दर पर कृषि यंत्रों की बिक्री किसानों के बीच की गयी. दो दिनों के इस मेले में कुल 52 लाख रुपये का अनुदान किसानों को दिया गया. उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा किसानों के विकास एवं अनुदान देकर कृषि […]

बक्सर : स्थानीय किला मैदान में दो दिवसीय कृषि मेले का समापन हो गया. जिसमें अनुदानित दर पर कृषि यंत्रों की बिक्री किसानों के बीच की गयी. दो दिनों के इस मेले में कुल 52 लाख रुपये का अनुदान किसानों को दिया गया. उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा किसानों के विकास एवं अनुदान देकर कृषि यंत्रों के उपयोग को बढ़ावा देने की कोशिश में कृषि मेले का आयोजन हर जिले में किया जाता है.

जिला कृषि पदाधिकारी प्रेम शंकर राम ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा हर महीने किसानों के लिए ऐसे मेले लगाये जाते हैं. लगाये गये दो दिवसीय मेले में 79 बंडल डिलेवरी पाइप, 35 पीस पंप सेट, 4 रोटा वेटर, 3 हाइड्रोलिक ट्रॉली, 43 ट्रैक्टर, 1 पावर ट्रेलर, 1 हार्वेस्टर समेत कई अन्य यंत्रों की बिक्री किसानों को सब्सिडी देकर की गयी. मेले में कई ऐसे लोग भी थे जिन्हें रजिस्ट्रेशन के बाद भी समान नहीं मिल पाया. मेले में कुल 34 कंपनियों ने अपने स्टॉल लगा कर सामानों की बिक्री की.
डिलीवरी पाइप को लेकर कई किसानों को निराश हाथ लगी क्योंकि रजिस्ट्रेशन के बाद भी उन्हें डिलीवरी पाइप नहीं मिली. रघुनाथपुर के मृत्युंज पाठक, रमेन्द्र सिंह, रामपुर के रामाशीष सिंह ने पाइप न मिलने की शिकायत की और यह भी कहा कि बाजार में 120 रुपये किलो बिकने वाली पाइप मेला में 180 से लेकर 200 रुपये किलो बेची गयी.
* मेले में यंत्रों के दाम बाजार मूल्य से अधिक
कृषि यांत्रिकीकरण मेला में कृषि यंत्रों की बिक्री करने वाली कई कंपनियां शामिल हुई हैं. इसके लिए सभी कंपनियों के अलग-अलग स्टॉल लगाये गये हैं. प्रतिमाह लगने वाले कृषि मेले के उद्देश्य किसानों को उचित मूल्य पर अच्छे मानक का कृषि यंत्र उपलब्ध कराना है.
मगर कृषि यंत्रों के मूल्य पर किसानों ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. मेले में कृषि यंत्रों का मूल्य बाजार मूल्य से काफी ज्यादा है. यदि सब्सिडी काट भी दी जाये तो भी कृषि यंत्रों का मूल्य बाजार मूल्य से ज्यादा ही रहता है और किसानों को मेले में खरीदने में कोई रुझान नहीं रह जाता. अटॉव निवासी आनंद माधव ने अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन चारा मशीन खरीदने के लिए किया था. मेला में सब काम धाम छोड़ कर पहुंचे आनंद माधव ने पाया कि चारा मशीन की कीमत बाजार मूल्य से यहां ज्यादा थी.
ज्यादा कीमत देख कर कि सान ने आपत्ति जतायी और कहा कि मेले का उद्देश्य किसानों को लाभ पहुंचाना है, न कि उनसे अधिक पैसे लेना. मेले में आकर भी बिना मशीन खरीदे वे वापस चले गये. ऐसी ही शिकायत कई अन्य किसानों ने की. वहीं, चारा मशीन लेकर आये सांईं ट्रेडर्स का कहना था कि बाजार मूल्य और मेले के मूल्य में कोई अंतर नहीं है.
क्योंकि यह अधिकारियों से मिल कर तय की जाती है. कई किसानों का कहना था कि विभाग और दुकानदार मिल कर दाम तय करें, जिससे बाजार मूल्य से ज्यादा मूल्य मेले में न रहे. कई किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासनिक स्तर पर लूट -खसोट को लेकर ही मेले में कीमतें ज्यादा रखी जाती है.

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