दुखद. सोमवार को समाहरणालय में शोकसभा का किया गया आयोजन, कार्यालयों में रहा सन्नाटा
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ओएसडी तौकीर सुपुर्द-ए-खाक, जनाजे में उमड़ी भीड़
दुखद. सोमवार को समाहरणालय में शोकसभा का किया गया आयोजन, कार्यालयों में रहा सन्नाटा बक्सर : डीएम के ओएसडी सह भू-अर्जन पदाधिकारी तौकीर अकरम को फुलवारीशरीफ के कब्रिस्तान में सुपुर्द ए-खाक किया गया. उनके जनाजे में हजारों की संख्या में लोग शामिल थे. सभी की आंखें नम थीं. बक्सर से जिला प्रशासन के कई वरीय […]
बक्सर : डीएम के ओएसडी सह भू-अर्जन पदाधिकारी तौकीर अकरम को फुलवारीशरीफ के कब्रिस्तान में सुपुर्द ए-खाक किया गया. उनके जनाजे में हजारों की संख्या में लोग शामिल थे. सभी की आंखें नम थीं. बक्सर से जिला प्रशासन के कई वरीय अधिकारी भी जनाजे में शामिल होने के लिए पटना गये थे. वहीं समाहरणालय में सोमवार को शोकसभा का आयोजन किया गया. पूरे दिन कार्यालयों में सन्नाटा पसरा रहा. इस घटना से जिला प्रशासन से लेकर शहरवासी भी पूरी तरह गमगीन दिखे.
वहीं पूरे जिले में शोक संवेदनाओं का तांता लगा रहा. जगह-जगह लोगों ने शोक सभाएं कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की. शोकसभा का आयोजन उनके तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया गया. विदित हो कि रविवार की सुबह साढ़े चार बजे डीएम के ओएसडी सह भू-अर्जन पदाधिकारी तौकीर अकरम ने फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी.
बिहार प्रशासनिक भवन में बासा ने की श्रद्धांजलि सभा : बिहार प्रशासनिक सेवा के 45वें बैच के अधिकारी तौकीर अकरम के निधन पर बासा के अध्यक्ष सुशील कुमार की अध्यक्षता में शोकसभा का आयोजन किया गया, जिसमें बासा के कई अधिकारी शामिल थे. इस दौरान अधिकारियों के कार्यों में आ रही परेशानी और बेवजह वेतन बंद करने पर चर्चा की गयी. रविवार को भी बासा के अध्यक्ष तौकीर अकरम के निधन पर बक्सर पहुंचे थे, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री से उनकी न्यायिक जांच की मांग की थी.
डीएम की अपील, अधिकारी एवं कर्मचारी दोस्तों के साथ बिताएं कुछ पल : डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह जिले के लिए अपूरणीय क्षति है. उन्होंने प्रभात खबर के माध्यम से कहा कि अधिकारी और कर्मचारी अपने अच्छे दोस्तों के साथ कुछ पल जरूर गुजारें. इससे उनकी जीवन शैली में बदलाव आयेगा. उन्होंने कहा कि सभी लोग एक परिवार के जैसे हैं और जो भी समस्याएं हैं उन्हें बेहिचक बताना चाहिए. बड़ी-बड़ी समस्याओं का भी आपसी सद्भाव से हल निकल आता है.
अधिकारियों की पत्नियां दहशत में
जिले में डीएम मुकेश पांडेय और डीएम के ओएसडी की आत्महत्या के बाद प्रभात खबर ने कुछ अधिकारियों की पत्नियों से बात की, जिसमें इस घटना पर सभी ने दुख जाहिर करते हुए यह कहा कि उनके पति पर वर्क का प्रेशर दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है. ऐसे में वो लोग उनसे कुछ कह नहीं पाती हैं.
यूडी केस हुआ दर्ज, कई बिंदुओं पर हुई जांच : डीएम के ओएसडी सह भू-अर्जन पदाधिकारी तौकीर अकरम के आत्महत्या के मामले में पुलिस ने यूडी केस दर्ज कर लिया है. इसकी जांच शुरू कर दी गयी है. पहले दिन पुलिस ने उन बिंदुओं को खंगाला जो जांच की तरफ इशारा कर रही थीं. इसके साथ ही कुछ अधिकारी एवं कर्मचारियों से भी उनके बारे में जानने की कोशिश की गयी. अनुसंधानकर्ता मनोज कुमार पाठक ने कई बिंदुओं पर सघनता से जांच शुरू की.अनुसंधान के दौरान पुलिस को क्या मिला है इसकी जानकारी शेयर नहीं किया गया.
घर लेट आने पर गुस्सा करती थी पत्नी : डीएम के ओएसडी सह भू-अर्जन पदाधिकारी तौकीर अकरम को नजदीक से जाननेवाले लोगों ने बताया कि ड्यूटी से घर लेट आने पर उनकी पत्नी उन पर गुस्सा करती थी. पत्नी को प्रेम से वह रानी कहकर बुलाते थे. वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की परेशानी नहीं थी. यही था कि उनका एक भी संतान नहीं था.
वेतन बंद होने से परेशान थे ओएसडी : ओएसडी का वेतन एक साल से बंद था. उन्हें आधा पैसा मिल पाता था. जबकि आधा पैसा भू-अर्जन प्राधिकार में जमा हो जाता था, जिस कारण वो परेशान रहते थे. इस कारण कभी कभार घर में तू-तू-मैं-मैं होती थी. जमीन के एक मामले में उन्हें बार-बार कोर्ट जाना पड़ता था, जिससे वह मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान रहते थे.
एक्सपर्ट व्यू, क्यों करते हैं लोग आत्महत्या : आत्महत्या को मेडिकल साइंस ने तीन भागों में विभक्त किया है, जिसमें पहला माइल्ड, दूसरा मोडरेट और तीसरा सिवियर है. माइल्ड में वैसे लोग आते हैं जो प्रोफेशनल हैं. इसमें सभी लोग आते हैं. दूसरा मोडरेट इसमें अवसाद के लक्षण दिखने लगते हैं. सामान्यता मोडरेट अवसाद में लोग अंदर-ही-अंदर घुटन सा महसूस करने लगते हैं. मतलब कुंठित रहते हैं. तीसरा सबसे खतरनाक सिवियर कंडीशन है, जिसमें तीन पक्ष कमजोर रहने पर इंसान इस तरह का कदम उठाता है, जिसमें मुख्य रूप से पारिवारिक पक्ष, दूसरा पद पर रहते हुए उसकी जवाबदेही पूरा न करना और तीसरा आर्थिक तंगी से जूझने के कारण इंसान मानसिक उन्माद की तरफ अग्रसर हो जाता है और आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है.
डॉ आशुतोष कुमार सिंह, अधीक्षक मां शिवरात्रि हॉस्पिटल सह रेडक्रास के चेयरमैन
अधिकारियों एवं कर्मचारियों की महीने में काउंसेलिंग जरूरी : इस तरह के हो रहे वाकया से यह स्पष्ट होता है कि संवादहीनता हो रही है. ऐसे में काउंसेलिंग के जरिये उनको पकड़ा जा सकता है. संवाद हीनता कभी भी नहीं होनी चाहिए. इसके लिए महीने में जिला प्रशासन को एक बार अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों की काउंसेलिंग करानी चाहिए. इसके कई फायदे हैं. एक तो जो अपनी बातों को अफसर से नहीं कह पाते हैं वो आसानी से अपनी बातों को काउंसेलिंग के जरिये रख देते हैं, जिससे समस्याओं का निदान हो जाता है.
दो घटनाएं एक जैसी : जिले में दो साल पहले एक दारोगा ने सर्विस रिवाल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. वहीं तौकीर अकरम ने भी फंदे से लटक कर खुदकुशी कर ली. जानकार की मानें तो दोनों घटनाएं एक जैसी हैं. जबकि जिलाधिकारी मुकेश पांडेय की घटना दोनों घटनाओं से अलग थी. ऐसे में इस तरह की घटनाएं न घटित हो इसके लिए जिला प्रशासन प्लानिंग कर रहा है.
आत्महत्या की सीबीआई से करायी जाये जांच : जिले के दो-दो अधिकारियों की आत्महत्या करने के बाद प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएन चौबे ने सूबे के मुख्यमंत्री से इसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं दुबारा न हो इसके लिए जो भी जिम्मेदार हो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाये. उन्होंने कहा कि तौकीर अकरम ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी थे. उनकी मौत से पूरा जिला पूरी तरह से मर्माहत है. वहीं कांग्रेसी नेता डॉ सत्येंद्र ओझा ने भी इसकी न्यायिक जांच की मांग की है.
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