Advertisement
55 वर्ष बाद भी नहीं मिला अपना भवन
सन 1962 में हुई थी विद्यालय की स्थापना 55 वर्ष बाद मूलभूत सुविधाओं से वंचित डुमरांव : अनुमंडल कार्यालय से महज सौ गज की दूरी पर मौजूद प्राथमिक विद्यालय हरियाणा फार्म अपने भवन के लिए आज तक भटकने को विवश है. इससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर व्यवस्था करने वाले राज्य […]
सन 1962 में हुई थी विद्यालय की स्थापना
55 वर्ष बाद मूलभूत सुविधाओं से वंचित
डुमरांव : अनुमंडल कार्यालय से महज सौ गज की दूरी पर मौजूद प्राथमिक विद्यालय हरियाणा फार्म अपने भवन के लिए आज तक भटकने को विवश है.
इससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर व्यवस्था करने वाले राज्य सरकार के दावों की पोल खुल रही है. हरियाणा फार्म में स्थित पशुपालन विभाग में कार्यरत कर्मियों के बच्चों को बेहतर पठन-पाठन मिल सके. इसके लिए सरकार ने 1962 में विद्यालय की स्थापना की थी, जिसमें आसपास के गांव व चतुरशालगंज के बच्चे पठन-पाठन के लिए पहुंचते थे. उस समय पशुपालन विभाग द्वारा पांच कमरा मिला. कई दशक गुजरते चले गये, लेकिन विद्यालय को अपना भवन नसीब नहीं हो सका. अनुमंडल मुख्यालय में व्यवहार न्यायालय खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई, तो पांच कमरों में चल रहे विद्यालय के स्थान का चयन किया गया.
जिससे विद्यालय को बगल में तीन कमरा मिला, लेकिन इसमें भी दो कमरा पशुपालन विभाग ने मांग लिया. यह कह कर दोनों कमरों में विभाग का प्रशिक्षण शुरू होने वाला है. कुछ दिनों बाद विभाग के अधिकारी का प्रधानाध्यापक को पत्र मिलता है कि जिस भवन में क्लास चल रहा है, उसको जल्द खाली करिये. इस तरह विद्यालय अपने भवन के लिए दर-दर भटकता रहा. विद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि पशुपालन विभाग ने फिर कमरा खाली करने व दूसरा देने की बात कर रहा है.
55 वर्ष बाद भी विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का अभाव: एक विद्यालय में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए सबसे जरूरी भवन, पेयजल, शौचालय, बिजली है, लेकिन हरियाणा फार्म प्राथमिक विद्यालय में मूलभूत सुविधा नदारद है.
जिला प्रशासन के अधिकारी, पदाधिकारी, मंत्री, कभी सूबे के मुखिया नीतीश कुमार अनुमंडल कार्यालय का उद्घाटन करने पहुंचे थे. सबसे आश्चर्य की बात है अनुमंडल मुख्यालय से सौ गज की दूरी पर विद्यालय कई समस्याओं से निजात पाने के इंतजार में है. एक भवन में एक से पांच तक के बच्चों की पढ़ाई बेहतर शिक्षा के लिए अच्छा संदेश नहीं है.
विद्यालय को मिल चुका है खाली करने का पत्र: कभी पशुपालन विभाग के कार्यरत कर्मियों के लिए विद्यालय की स्थापना सन 1962 में हुई थी.
उस समय पांच कमरा मिला था. व्यवहार न्यायालय अनुमंडल मुख्यालय में खुला तो, समीप तीन कमरा मिला. फिर विभाग ने दो कमरों में ताला मार यह भी कमरा खाली करने के लिए पत्र प्रधानाध्यापक को थमा. जिससे परेशान एचएम ने जिला, अनुमंडल, सहित बीइओ के यहां गुहार लगायी. अब पशुपालन विभाग जिस विद्यालय में पठन-पाठन होता है, अब उसको खाली करने और दूसरे कमरा देने की बात कर रहा है. अगर विद्यालय का अपना भवन होता तो ऐसे भटकना नहीं पड़ता.
बच्चों की संख्या 75, प्रधानाध्यापक सहित तीन टीचर:
हरियाणा फार्म प्राथमिक विद्यालय में एक से पांच तक बच्चों की संख्या 75 है, जिसमें प्रधानाध्यापक सहित तीन शिक्षक-शिक्षिकाएं मौजूद हैं.
इस तपती धूप व बरसात के दिनों में एक कमरे में पठन-पाठन परेशानी का सबब है. अधिक गरमी होने पर कमरे से बाहर बरामदे में बच्चों को बैठा कर पठन-पाठन का कार्य होता है. ताकि इस बरसात की गरमी से राहत मिल सके. विद्यालय में आसपास के गांव व चतुरशालगंज के बच्चे पढ़ने के लिये पहुंचते हैं.
भवन पांच-छह विद्यालय हुए मर्ज:
बतादें दो माह पूर्व एक विद्यालय में दूसरे विद्यालय को मर्ज कर दिया गया, जिससे भवनहीन विद्यालय को छत के साथ मूलभूत सुविधा मिला. दक्षिण टोला स्थित हरिजन प्राथमिक विद्यालय में चल रहे टाउन प्राथमिक विद्यालय मर्ज किया गया. उसकी तरह कन्या प्राथमिक में चला रहा उर्दू प्राथमिक विद्यालय तिवारी टोला भी मर्ज किया गया. इस तरह पांच से छह भवनहीन विद्यालय मर्ज हो गया.
विद्यालय में नहीं शौचालय व चापाकल: एक विद्यालय में शौचालय व चापाकल रहना अतिआवश्यक है. चापाकल नहीं रहने से बच्चे इधर-उधर से अपनी प्यास बुझाते हैं, तो एमडीएम के लिए रसोइयां पानी दूर से लाती है. प्यास बुझाने के लिए चाय के दुकान की तरफ रुख करना पड़ता है.
वहीं विद्यालय में शौचालय नहीं रहने से बच्चे खुले में शौच करते हैं या फिर घर चले जाते हैं. सबसे अधिक परेशानी महिला शिक्षक को होती है.
एक छत के नीचे पठन-पाठन, स्टोर रूम
आज विद्यालय एक ही कमरे में चल रहा है. बच्चे पठन-पाठन करते हैं और आसपास मध्याह्न भोजन सामग्री, प्रधानाध्यापक कार्यालय का अलमीरा, स्टोर रूम मौजूद है. क्लास रूम में मध्याह्न भोजन के लिए लकड़ी व गोइठा रखने के साथ अन्य सामग्री रखने से विषैले जंतुओं से बच्चे व विद्यालय शिक्षक-शिक्षिकाएं भयभीत रहती हैं. एमडीएम के लिए एक छोटा सा रूम मौजूद है. जिसमें रसोइयां बच्चों के लिए एमडीएम बनाती हैं.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement