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संसाधनों की कमी, मरीज भगवान भरोसे

सूरते-ए-हाल. पीएचसी रघुनाथपुर तीन डॉक्टरों के भरोसे दो लाख की अाबादी अस्पताल में प्राथमिक उपचार के अलावा कुछ नहीं मिलता बगेनगोला : पीएचसी रघुनाथपुर में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल रही है. अस्पताल में फास्ट एड के बाद डॉक्टर रेफर कर देने में ही मरीज की भलाई समझते हैं. लगभग दो लाख की […]

सूरते-ए-हाल. पीएचसी रघुनाथपुर तीन डॉक्टरों के भरोसे दो लाख की अाबादी

अस्पताल में प्राथमिक उपचार के अलावा कुछ नहीं मिलता
बगेनगोला : पीएचसी रघुनाथपुर में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल रही है. अस्पताल में फास्ट एड के बाद डॉक्टर रेफर कर देने में ही मरीज की भलाई समझते हैं. लगभग दो लाख की आबादी वाले प्रखंड क्षेत्र में लोगों की स्वास्थ्य सुविधाएं तीन डॉक्टरों के भरोसे हैं. एक दशक से अस्पताल में महिला डाॅक्टर नहीं है. संविदा पर आधारित डाॅक्टरों का चार पद सृजित है. लेकिन एक भी डाॅक्टर नहीं है. छह बेड वाले इस अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की बात बेमानी साबित हो रही है.
सरकार के आदेशानुसार ओपीडी में 33 तरह की दवाएं और आइपीडी 112, तरह की दवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराना है. लेकिन इन दवाओं में आधे से अधिक दवाएं उपलब्ध नहीं है. मरीजों की आवश्यक दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ती है.
वर्तमान में सांप तथा कुत्ता काटने पर रोगियों को दी जाने वाली इंजेक्शन उपलब्ध है. नवजात शिशुओं को दी जाने वाली जीवन रक्षक टीका देने नर्सों की मनमानी की शिकायत बराबर मिलती रहती है. एक्स-रे सिस्टम आउटसोर्सिंग से चलता है. आॅपरेटर की मनमानी भी खूब चलती है. अस्पताल में एंबुलेंस है जिसकी सेवा नियमित है. अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 180 लोग अपने विभिन्न रोगों की इलाज कराने आते हैं. इस उम्मीद के साथ की अस्पताल से हमें स्वास्थ्य संबंधी बेहतर सुविधा मिलेगी लेकिन यहां उन्हें फास्ट एड के अलावा कुछ लाभ नहीं मिलता.
अस्पताल में दवाओं की है कमी: ओपीडी के मरीजों के लिये 33, तरह की दवा मुफ्त में देने की बात कही गयी है. जबकि महज 22 तरह की ही दवा उपलब्ध है. बाकी दवाएं मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ रहा है. वहीं आइपीडी में कुल 112 तरह की दवाओं की लिस्ट टंगी है. जिसमें मात्र 55 तरह की ही दवा अस्पताल में उपलब्ध है. दवाओं के अभाव में यहां के डाॅक्टर इमरजेंसी मरीजों को फास्ट एड के बाद यहां से रेफर टू अंदर कर देना ही बेहतर समझते हैं.
सिर में चक्कर तथा पेट में दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल में इलाज कराने आयी थी. उन्होंने बताया कि डाॅक्टर ने दो दवाएं लिखी एक दवा अस्पताल से मिली तो दूसरी दवाई बाजार से खरीदनी पड़ी.
लालसा देवी, बंशवर निवासी
तीस बेड का जो नया अस्पताल का भवन बनकर तैयार है उसे जल्द से जल्द चालू कराया जाये. जिसमें एक बेड आग से झुलसे हुए मरीजों का बेहतर इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए.
अजय उपाध्याय
विगत 15 वर्षों से अस्पताल में महिला डाॅक्टर नहीं है. महिला डाॅक्टर पदस्थापित किया जाये नवजात व शिशु बच्चों को जीवन प्रतिरक्षण दवाओं की समय पर दी जा सके. उस दवाओं व टीका की उपलब्धता होनी चाहिए.
विनय कुमार
ब्रह्म्पुर प्रखंड में अठारह पंचायत है. जिसकी लगभग दो लाख की आबादी है अस्पताल में प्रतिदिन औसतन डेढ़ से दो सौ लोग अपने विभिन्न रोगों की इलाज कराने आते हैं. अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है. यहां डाॅक्टरों की और पदस्थापना होनी चाहिए. खासकर महिला डाॅक्टर की यहां पर होना जरूरी है.
सीताराम ठाकुर, चिकित्सक प्रभारी
चिकित्सा प्रभारी डाॅ यूएस त्रिपाठी का अस्पताल में इलाज में काम आने वाली दवाएं फिलहाल उपलब्ध है. अभी भी कुछ दवाओं की कमी है. दवाओं की आपूर्ति के लिये 15 दिन पहले जिला स्वास्थ्य समिति बक्सर को पत्र भेज कर जानकारी दे दी गयी है. महिला डाॅक्टर की तैनाती के लिये भी मांग किया गया है यहां पर स्टांप की कमी है.
डॉ यूएस त्रिपाठी, चिकित्सा प्रभारी

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