भागलपुर : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निश्चय यात्रा को लेकर हरिदासपुर गांव के ही चयन के पीछे के कारण पर फिलहाल कोई बोलना नहीं चाह रहे. लेकिन बताया जा रहा है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने जिला मुख्यालय से हरिदासपुर की कम दूरी और विकास के लिए मामूली मेहनत को देख इस गांव का चयन कर […]
भागलपुर : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निश्चय यात्रा को लेकर हरिदासपुर गांव के ही चयन के पीछे के कारण पर फिलहाल कोई बोलना नहीं चाह रहे. लेकिन बताया जा रहा है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने जिला मुख्यालय से हरिदासपुर की कम दूरी और विकास के लिए मामूली मेहनत को देख इस गांव का चयन कर लिया. दूसरा कारण यह भी बताया जा रहा है
कि हरिदासपुर और आसपास के गांव में विकास की बड़ी संभावनाएं हैं. यहां के किसान आम और मक्का बड़े पैमाने पर उपजाते हैं. लिहाजा आम और मक्का के लिए बाजार और प्रसंस्करण प्लांट स्थापित करने की यहां पूरी संभावना है. गांव के एनएच 80 से सीधे जुड़ाव को देखते हुए इसे बल भी मिलेगा. कहा जा रहा है कि यह भी एक कारण है कि हरिदासपुर को प्रशासन ने चुना.
मामूली मेहनत में खिल गया गांव : ग्रामीणों का कहना है कि हरिदासपुर में पहले से ही पानी टंकी स्थापित थी. पाइप लाइन भी पहले से ही किया हुआ था. प्रशासनिक अधिकारियों को इसमें केवल इतना ही करना पड़ा कि विभिन्न जगहों पर पाइप में लिकेज की मरम्मत कर दी गयी और कुछ प्वाइंट पर नल कनेक्शन कर दिया गया. इसके साथ-साथ टंकी की मरम्मत कर रंग-रोगन किया गया. स्वच्छ भारत मिशन से शौचालय निर्माण के लिए पहले से ही काम चल रहे थे.
मुख्यमंत्री के आगमन को देख इस काम में तेजी लायी गयी. गांव में बिजली का कनेक्शन था ही. नये ट्रांसफारमर लगा कर सिर्फ कुछ गलियों में तार वाइरिंग कर दी गयी. ग्रामीणों का यह भी कहना था कि गोसाईंदासपुर में हाइस्कूल बन जाने के बाद यहां की लड़कियां भी पढ़ने लगी है. लगभग 80 फीसदी लोग पढ़े-लिखे हैं. गांव का कनेक्शन सीधे एनएच 80 से है और नगर निगम की सीमा से कुछ ही दूरी पर गांव अवस्थित है.
इस तरह होता रहा आकलन: पहले बिहपुर में जिला प्रशासन के तमाम अधिकारियों का औचक निरीक्षण और कई कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई देख ऐसा लगा था कि मुख्यमंत्री की यात्रा को लेकर डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू की गयी है. चहुंओर चर्चा शुरू हो गयी थी कि बिहपुर में मुख्यमंत्री जा सकते हैं. बिहपुर के ही किसी गांव का चयन किया जायेगा. इसके बाद गोपालपुर प्रखंड के धरहरा गांव में जिला प्रशासन के कई अधिकारियों का जाने और विकास शिविर के आयोजन को देख यह तय मान लिया गया कि मुख्यमंत्री धरहरा ही जायेंगे. लेकिन इसके बाद अचानक हरिदासपुर का नाम आ गया.
छह दिन में तालाब का कितना होगा जीर्णोद्धार
हरिदासपुर के ग्रामीणों का कहना था कि गांव के तालाब की स्थिति ठीक नहीं है. पानी के अंदर काफी गाद जमे हुए हैं. इसके जीर्णोद्धार के लिए प्रशासन के समक्ष महज छह दिन शेष बचे हैं. ग्रामीणों का सवाल था कि इतने कम दिनों में तालाब का जीर्णोद्धार होना मुश्किल है. अगर होता भी है, तो वह लाभदायक नहीं हो सकता.
कम दूरी भी अधिकारियों का खींचा ध्यान
ग्रामीणों का कहना था कि उनलोगों का सौभाग्य है कि उनका गांव शहर से कम ही दूरी पर है. इस कारण भी उनके गांव का चयन हो गया होगा. इससे काम के लिए किसी चीज की जरूरत पड़ने और अधिकारियों के आवागमन में दिक्कत नहीं होने की बात देखते हुए गांव चयनित कर लिया गया होगा.