भागलपुर : ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (आइबॉक) के जिला सचिव प्रशांत कुमार मिश्रा ने गुरुवार को विज्ञप्ति जारी कर बताया कि नोटबंदी के घोषणा के बाद एकाएक चलन में व्याप्त 85 फीसदी नोट अवैध हो गये और केवल 10 से 15 फीसदी नोट की चलन योग्य रह गये. सरकार द्वारा नियमों में नित्य नये-नये बदलाव किये गये, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति बनती रही. इस अफरातफरी के माहौल में बैंकों पर शुरुआती दिनों में अत्यधिक दबाव पड़ा और बैंक कर्मियों ने 17-18 घंटे तक लगातार काम करते हुए लोगों को सेवा देने का काम किया है. मगर आम लोगों को भुगतान करने के लिए जो राशि बैंकों को चाहिए थी,
वह रकम आरबीआइ द्वारा मुहैया करानी थी. सरकारी बैंक जो देश की 90 फीसदी आबादी से अधिक की बैंक हैं, उन्हें नयी करेंसी का केवल 25 फीसदी की भेजा गया. जबकि निजी बैंकों को आरबीआइ द्वारा नयी करेंसी का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा दिया गया. उन्होंने आरबीआइ पर सवाल उठाया कि ऐसा क्यों. इसकी जानकारी आरबीआइ स्पष्ट करनी चाहिए. सरकार भी इस विसंगति की जांच करें. उन्होंने आइबॉक की जिला इकाई भागलपुर के अपने सदस्यों से अनुरोध किया है
कि वे पूरी ईमानदारी से सरकारी नियमों का पालन कर ग्राहक सेवा देते रहें. उन्होंने सरकारी बैंकों के उच्चाधिकारियों से निवेदन किया है कि वे भी अपने स्तर से सही स्थिति को स्पष्ट करें. लोगों से भी अनुरोध किया है कि वे स्थिति की वास्तविकता और नोट की कमी के सही कारणों को जाने और समझे. उन्होंने बताया कि निजी बैंकों की भूमिका की जांच हर स्तर पर आवश्यक है.