जेंडर : आम बोलचाल की भाषा में इसका अभिप्राय पुरुष, स्त्री और ट्रांसजेन्डर से ही लिया जाता है, किंतु सच्चाई में यह स्त्रियोचित्त गुणों एवं पुरुषोचित गुणों के आधार पर उनका बंटवारा किया गया है. स्त्रियोचित्त गुण अर्थात उसे समाज द्वारा निर्धारित नियमों एवं कार्यों के दायरे में बांध कर देखा जाता है जिसमें उसके शील और आचरण की सीमा रेखा बांधी जाती है.
पुरुषोचित्त गुण पुरुषों द्वारा किये जाने वाले कार्य और उनके अधिकार को परिलक्षित करता है और समाज के पितृसत्तात्मक रूप को संपोषित करता है. अर्थात जेंडर सामाजिक संरचना है तो सेक्स जैविक संरचना है. जेंडर निर्धारित होता है समाज द्वारा तय की गयी पुरुष-स्त्री की अलग-अलग भूमिका, उनके उत्तरदायित्व एवं उनके गुणों से.