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गांधी विचार विभाग: विभागाध्यक्ष परेशान, नाममात्र होती है विद्यार्थियों की उपस्थिति कभी यहां से निकलती थी राष्ट्रीय प्रतिभा

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के गांधी विचार विभाग का दो अक्तूबर 1980 को उद्घाटन हुआ था. हाल के वर्षों में इस विभाग के प्रति छात्रों का आकर्षण घट गया है. कभी क्लासरूम विद्यार्थियों से भरे होते थे, पर आज क्लासरूम में विद्यार्थियों की नाममात्र उपस्थिति से विभागाध्यक्ष तक परेशान हैं. पूर्व में गंदी राजनीति के […]

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के गांधी विचार विभाग का दो अक्तूबर 1980 को उद्घाटन हुआ था. हाल के वर्षों में इस विभाग के प्रति छात्रों का आकर्षण घट गया है. कभी क्लासरूम विद्यार्थियों से भरे होते थे, पर आज क्लासरूम में विद्यार्थियों की नाममात्र उपस्थिति से विभागाध्यक्ष तक परेशान हैं. पूर्व में गंदी राजनीति के चलते विभाग की छवि बिगाड़ने की कोशिश हुई थी. इसके विभागाध्यक्ष बदले, शिक्षक बदले और नैक मूल्यांकन को लेकर विभाग के आंतरिक स्वरूप में भी परिवर्तन देखा जा रहा है.
जो समस्या आज भी है : विभाग के परिसर में स्थित महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा के किसी भी भाग से जब भी सीमेंट झड़ा, उस पर सीमेंट चढ़ा कर दुरुस्त कर दिया गया. यह सिलसिला लगातार चलता रहा. आज स्थिति यह है कि प्रतिमा इतनी मोटी और पहलवान की तरह हो चुकी है कि गांधी का स्वरूप ही खत्म होता जा रहा है. विभाग के कमरों में अभी भी बारिश के दौरान पानी का रिसाव होता है. दीमक का प्रकोप अब भी जारी है.
जो बेहतरी दिख रही है : दुर्लभ तसवीरों के फ्रेम से भरा चित्रालय संवर चुका है. तसवीरों से दीमक साफ कर दिये गये हैं. चित्रालय को शिक्षक कक्ष बना दिया गया है ताकि वह रोज खुले और साफ-सफाई नियमित हो सके. पहले शिक्षकों के लिए कुछ कुरसियां थीं, अभी कुरसियों के साथ सोफा भी है.
वर्तमान स्थिति : शुक्रवार को विभागाध्यक्ष प्रो परमानंद सिंह सेकेंड सेमेस्टर के छात्रों की क्लास ले रहे थे. इस सेमेस्टर में 24 विद्यार्थी नामांकित हैं. लेकिन क्लासरूम में सिर्फ पांच विद्यार्थी ही उपस्थित थे.

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