भागलपुर : यह सच है कि विनोद दबंग थे. नवगछिया में उनके सामने कोई नहीं था. यदि किसी के साथ अदावत भी होती थी तो खुल कर कोई विरोध नहीं कर पाता था लेकिन कहते हैं कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है, कुछ इसी तरह की पटकथा विनोद हत्याकांड के पूर्व लिखी गयी. विनोद के दुश्मनों के गंठबंधन ने एक साथ मिल कर घटना को अंजाम दिया. विनोद हत्याकांड में परिजनों की ओर से दर्ज प्राथमिकी में अरविंद यादव, छोटुआ, पिंटू, अजीत, रुपेश, मनकेश्वर सिंह आदि का नाम है. छोटुआ के भाई की हत्या वर्ष 2011 में हुई. छोटुआ का मानना था
कि डब्लू यादव ने मोती यादव व विनोद यादव के साथ मिल कर उसके भाई को मारा है. जब पुलिस के हत्थे चढ़ा तो उस समय भी उसने इसे कबूल किया कि डब्लू के बाद अब मोती या विनोद में किसी की हत्या करेंगे. गुरुवार को नवगछिया पुलिस के हत्थे चढ़े ननकेश्वर ने भी कहा कि उसके भाई की हत्या मोती यादव ने की थी. मोती विनोद का खास है. इस कारण उसकी विनोद से खुन्नस थी. दूसरी ओर अजीत के साथ विनोद का गोतियारी विवाद चल रहा था.
घटना के कुछ दिन पूर्व ही श्रीपुर जल कर का विवाद हुआ था. इसके अलावा इस घटना में एक आरोपी मील टोला का पिंटू सिंह है. पिंटू के पिता प्रकाश सिंह की हत्या वर्ष 1993 में हुई थी. इस हत्याकांड में विनोद भी अभियुक्त था. इसके अलावा रंगरा की राजनीति में अरविंद और मोती यादव की अदावत तो जगजाहिर है. मोती विनोद का खासमखास माना जाता था. रंगरा कांड के बाद अरविंद द्वारा दर्ज प्राथमिकी में विनोद को भी नामजद किया गया. सूत्रों की मानें तो इसके बाद ही इस हत्या की पटकथा लिखी गयी और अंतत: घटना को अंजाम दिया गया.