भुवालपुर. नगर निगम क्षेत्र के लालूचक, साहेबगंज के बाढ़ पीड़ितों नहीं मिल रही शरण
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रिंग बांध ध्वस्त, घर छोड़ भागे लोग
भुवालपुर. नगर निगम क्षेत्र के लालूचक, साहेबगंज के बाढ़ पीड़ितों नहीं मिल रही शरण शिविर में खाना बनाते बाढ़ पीिड़त. भागलपुर : नाथनगर में सैलाब से बुधवार को भी गांव से लेकर शहर तक त्राहिमाम मचा रहा. एक तरफ जहां ग्रामीण क्षेत्र में आठ पंचायतों के 51 गांवों में पिछले पांच दिनों से फंसे भूखे […]
शिविर में खाना बनाते बाढ़ पीिड़त.
भागलपुर : नाथनगर में सैलाब से बुधवार को भी गांव से लेकर शहर तक त्राहिमाम मचा रहा. एक तरफ जहां ग्रामीण क्षेत्र में आठ पंचायतों के 51 गांवों में पिछले पांच दिनों से फंसे भूखे प्यासे फंसे हजारों लोगों के बीच राहत के इंतजार में हाहाकार मची थी, तो दूसरी तरफ नगर निगम क्षेत्र के वार्ड एक के लालुचक बुद्धुचक मोहल्ले के सैकड़ों लोगों माल मवेशी को लेकर ऊंचे स्थल की ओर पलायन करना पड़ रहा था. हद तो यह थी कि इन लोगों को आस पास के ऊंचे स्थल व राहत शिविरों में भी शरण नहीं मिल रहा था. कारण इन जगहों पर पहले से ही बाढ़ पीड़ित भरे हुए हैं.
बाढ़ में डूबे बुनकर क्षेत्र नीलमाही मैदान, बाबुपुर, मेदनीनगर, चंपानगर मसजिद लेन स्थित अल बदर स्कूल से मोहल्ले के अंदर तक व मसकन बरारी के उत्तर मखदूम शाह घाट किनारे बसे सैकड़ों परिवारों में भी त्राहिमाम मची थी. चंपानगर मसजिद लेन घाट किनारा रोड में लगभग 150 बुनकरों के घरों में बाढ़ के पानी के साथ नाले का कचरा व गंदगी जमा हो जाने से उनकी जिंदगी नारकीय हो गयी है. कई बुनकरों के कारखाने में पानी घुस जाने के कारण दर्जनों पावरलूम व हैंडलूम बंद हो गये हैं. वहीं चंपापुल से भवनाथपुर तक एनएच-80 पर आधे दर्जन जगहों पर दो से ढाई फीट पानी बहने से पांचवें दिन भी आवागमन बिल्कुल बंद रहा. यहां एनएच-80 सड़क पर ही सैकड़ों लोगों ने खाट, चौकी, ठेला आदि पर कपड़ा – प्लास्टिक आदि टांग कर आशियाना बना लिया है.
सरकारी नाव इधर उधर, निजी नाव वाले दस रुपये में लगा रहे हैं पार : बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में प्रशासन की नाव ढूंढे नहीं मिलती. जबकि निजी नाव वाले लोगों से पांच से दस रुपये भाड़ा लेकर अपने गंतव्य तक पहुंच रहे हैं.
रसीदपुर दियारा निवासी चांद बिहारी मंडल कई दिनों से बाल बच्चे को लेकर महाशय ड्योढ़ी शिविर में ठहरे है. दुर्गा मंंदिर में चूड़ा गुड़ वितरण होने की सूचना पाकर आये थे. बोले यह चूड़ा गुड़ एक दो दिन भी नहीं चलेगा. बाल बच्चे ने पांच दिन से पका हुअा खाना नहीं खाया है. घर में रखा अनाज, जलावन सब बह गया है.
बैरिया निवासी महेश साह भी चूड़ा गुड़ मिलने की आस लेकर दुर्गा मंदिर में बैठे थे. सुबह से 12 बजे दिन तक बैठने के बाद भी उनका नाम नहीं पुकारा गया था. बोले किसी को मिल रहा है, किसी को नहीं. आदमी तो चूड़ा फांक कर रह जायेगा, लेकिन मवेशी क्या खायेगा. अब चारा भी मिलना मुश्किल हो गया है.
कारू मंडल ने बताया कि प्रशासन राहत के नाम पर शोर मचवा रहा है. पांच दिन से रात जाग कर काट रहे हैं. दिन को तो कुछ खाने के लिए मिल जाता है. रात में भूखे सोना पड़ रहा है.
आफत
निगम क्षेत्र के लिए प्रशासन की ओर से राहत का कोई इंतजाम नहीं
चंपानगर क्षेत्र में बाढ़ से सैकड़ों बुनकरों में त्राहिमाम
दियारा के हजारों लोग एक सप्ताह से जल कैदी
रामपुर मुसहरी में फंसे हैं सैकड़ों महादलित परिवार
पीएचइडी विभाग ने बाढ़ का पानी मशीन से शुद्ध कर बांटा
सरकारी राहत का चूड़ा गुड़ के लिए मारा मारी, स्थानीय सामाजिक लोगों की खिचड़ी खाकर बचा रहे हैं जान
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