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कैसे बचे पर्यावरण, घट रहे साइकिल सवार

दीपक राव भागलपुर : दो पहिये वाली वैसी सवारी, जिसमें न तेल लगता और न ही कोई खास ताम-झाम. इतना ही नहीं एक दिन में कोसों दूरी भी तय कराती है. बस इतना अंतर है कि ईंधन वाली गाड़ी सा तेज नहीं चलती और उतने कम समय में निर्धारित स्थान पर नहीं पहुंच सकते. इसके […]

दीपक राव

भागलपुर : दो पहिये वाली वैसी सवारी, जिसमें न तेल लगता और न ही कोई खास ताम-झाम. इतना ही नहीं एक दिन में कोसों दूरी भी तय कराती है. बस इतना अंतर है कि ईंधन वाली गाड़ी सा तेज नहीं चलती और उतने कम समय में निर्धारित स्थान पर नहीं पहुंच सकते. इसके विपरीत चिकित्सक मोटापा दूर करने के लिए साइकिल चलाने की सलाह देते हैं, तो दूसरी ओर वन एवं पर्यावरण विभाग पर्यावरण बचाने के लिए भी साइकिल की सवारी को बढ़ावा देते हैं. अब जब साइकिल सवार घट रहे हैं, तो पर्यावरण बचाने की चुनौती और भी बढ़ गयी है.

बच्चों के लिए बिक रही अधिक साइकिल : साइकिल कारोबारी सरदार चरणजीत सिंह बताते हैं कि साइकिल कारोबार तेजी से घटा है. अब अभिभावक भी बच्चों को साइकिल की जगह स्कूटी दिलाने का शौक रखते हैं. बच्चे साइकिल लेने की जिद करते हैं, तो ही अभिभावक साइकिल खरीदते हैं. ये साइकिल 1500 रुपये में उपलब्ध हैं. फैंसी साइकिलें अधिक दाम में भी उपलब्ध हैं.

शहर में 26500 रुपये तक की साइकिल उपलब्ध : शहर की साइकिल दुकान में अब तक 26500 रुपये तक की साइकिल आयी है, जिसमें चाल हल्की, अल्युमिनियम का फ्रेम, मोटा टायर, गियर आदि विशेषता है.

यह साइकिल इंटरनेशनल ब्रांड रेले का है. हालांकि बाजार में 3500 रुपये में सामान्य साइकिल उपलब्ध हैं, जो हरेक वर्ग के लाेग खरीदते हैं. दूसरे साइकिल कारोबारी नवीन कुमार बताते हैं कि पहले एक-एक बड़े साइकिल कारोबारी रोजाना 50 हजार रुपये तक का कारोबार कर लेते थे, जबकि अभी 25 हजार रुपये की साइकिल बिक्री भी आफत हो रही है.

साइकिल के लाभ : साइकिल चलाने से एक ओर जहां लोगों का सेहत ठीक रहता है. चिकित्सक व्यायाम के लिए साइकिल चलाने की सलाह देते हैं. साइकिल चलाने के हाथ-पैर व जोड़ों का दर्द ठीक रहता है. इतना ही नहीं लगभग पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है. वहीं दूसरी ओर साइकिल की सवारी से ईंधन की बचत होती है, तो वायु प्रदूषण से भी बचाव होता है. मोटर साइकिल में ईंधन की खपत होने के साथ-साथ धुएं के रूप में वायु प्रदूषण होता है. खराब मोटर साइकिल से ध्वनि प्रदूषण भी होता है.

युवाओं को 24 इंच वाली नहीं, फैंसी साइकिल चाहिए

20 वर्षों में भागलपुर में सुविधाएं कोई खास नहीं बढ़ी, लेकिन युवाओं में फैशन व आधुनिकता में कोई कमी नहीं रही. यहां के युवा साइकिल की सवारी से मुंह मोड़ने लगे. अब थोड़ी दूर चौक-चौराहे पर भी जाना होता है, तो वे बाइक साथ ले लेते हैं. उन्हें न ईंधन की चिंता है और न अपने सेहत की. केवल और केवल सुविधा के आदि हो गये है. ऐसे में 20 वर्षों में शहर में साइकिल का कारोबार 50 फीसदी तक घट गया. युवा मजबूत साइकिल की जगह फैंसी साइकिल खरीद रहे हैं, जिसे चलाने में शुरुआत में थोड़ी सुविधा जरूर लगती है, लेकिन यह सेहत के लिहाज अच्छा नहीं है. युवा अब 24 व 22 इंच की साइकिल की जगह 21 इंच की फैशनेबल साइकिल का उपयोग कर रहे हैं.

साइकिल की केटेगरी

सामान्य साइकिल 3500 रुपये में उपलब्ध है. इसमें न कोई ताम-झाम है और न ही कोई डिजाइन. इसके अलावा डिजाइन वाली साइकिल में पतला चक्का वाली एसएलआर साइकिल 3700 से 18 हजार रुपये में उपलब्ध है. एमटीवी एवं एलटीवी मोटा चक्का वाली साइकिल 4000 रुपये में उपलब्ध है. वही मल्टी स्पीड साइकिल गियर वाली होती है, जो 6500 से अधिक दाम में उपलब्ध है. लेडिज साइकिल 3600 से लेकर 26000 रुपये तक में उपलब्ध है.

शहर में आठ बड़े व 30 छोटे साइकिल कारोबारी हैं. अधिकतर बड़े साइकिल कारोबारी ततारपुर रोड में एवं एमपी द्विवेदी रोड में हैं, जबकि छोटे साइकिल दुकानदार शहर के विभिन्न चौक-चौराहे खासकर शिक्षण संस्थान व लॉज के आसपास सराय, उर्दू बाजार, कंपनीबाग, साहेबगंज, परबत्ती आदि क्षेत्रों में है. यहां पर बाहर से आये निम्न मध्यवर्गीय छात्र प्राय: ट्यूशन व कॉलेज जाने के लिए साइकिल का उपयोग करते हैं.

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