भागलपुर : भदरिया के पूर्व मुखिया राजीव भगत की हत्या अपराधियों ने गुरुवार की शाम कर दी. राजीव की सक्रियता बांका जिला के अमरपुर के साथ ही भागलपुर की राजनीति में भी थी. कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में वे अक्सर भागलपुर में देखे जाते थे. कुछ दिन पूर्व जिप अध्यक्ष चुनाव में भी राजीव सक्रिय दिखे. […]
भागलपुर : भदरिया के पूर्व मुखिया राजीव भगत की हत्या अपराधियों ने गुरुवार की शाम कर दी. राजीव की सक्रियता बांका जिला के अमरपुर के साथ ही भागलपुर की राजनीति में भी थी. कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में वे अक्सर भागलपुर में देखे जाते थे. कुछ दिन पूर्व जिप अध्यक्ष चुनाव में भी राजीव सक्रिय दिखे. इतना ही नहीं पूर्व में वार्ड नंबर 17 से पार्षद का चुनाव भी लड़ चुके थे. हालांकि उसे हार का सामना करना पड़ा था.
गुरुवार को मंसूरगंज से बूढ़ानाथ तक राजीव के हत्या की चर्चा होती रही.
राजीव की डेढ़ दशक पूर्व मंसूरगंज मोहल्ले में किराना की दुकान थी. जोगसर में वर्ष 2003 में बबलू खान की हत्या के समय राजीव भगत का नाम चर्चा में आया था. इस मामले में बबलू के परिजनों ने राजीव के िखलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी थी. लेकिन पुलिस को साक्ष्य नहीं मिलने पर यह मामला बंद कर दिया गया.
हालांकि इस मामले में नाम आने के बाद राजीव भागलपुर से गायब हो गया. इन्हीं दिनाें गांव व अमरपुर की राजनीति में उसकी सक्रियता बढ़ी. राजीव ने अमरपुर में भी अपनी गतिविधि शुरू कर दी. चांदन नदी के बालू उठाव को लेकर आंदोलन के बाद राजीव इलाके के लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया. यही कारण था कि इस बार भी मुखिया के पद पर राजीव की भाभी ने जीत दर्ज की. जोगसर के पास ही राजीव किराना की दुकान चलाता था. गुरुवार की शाम भदरिया गांव जाने के समय राजीव को गोली मारे जाने की सूचना जैसे ही लोगों को मिली, तो सभी अचंभित रह गये.
बूढ़ानाथ स्थित आवास पर लगा रहा लोगों के आने-जाने का सिलसिला. बूढ़ानाथ में राजीव के माता-पिता और परिजन रहते हैं. हत्या की सूचना के बाद ही घर के सभी लोग भदरिया चले गये. भागलपुर स्थित आवास पर उनके माता-पिता हैं. गुरुवार को जैसे ही उन्हें घटना की सूचना मिली, अवाक रह गये. वहीं शुभचिंतकों का घर भी आना-जाना लगा रहा. उनके घर पर गुरुवार को मौजूद स्थानीय वार्ड पार्षद संजय सिन्हा ने कहा कि ऐसा नहीं होना था. अपराधियों को पुलिस तत्काल गिरफ्तार करे.
जिप अध्यक्ष चुनाव में भी था सक्रिय. भागलपुर की राजनीति में राजीव की सक्रियता हमेशा दिखती थी. कुछ दिन पूर्व जिप अध्यक्ष चुनाव के समय भी वह कलेक्ट्रेट परिसर के बाहर मौजूद था. बुधवार को भी वह भागलपुर में दिखा. यही कारण था कि लोगों को उसकी हत्या की बात पर सहसा यकीन ही नहीं हो रहा था.