लेट-लतीफी. अनुमंडल स्तर पर जगह चिह्नित, रिपोर्ट तैयार, लेकिन नहीं बना केंद्र
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पटना में अटकी बुनियादी केंद्र की फाइल
लेट-लतीफी. अनुमंडल स्तर पर जगह चिह्नित, रिपोर्ट तैयार, लेकिन नहीं बना केंद्र 2014 में जिला स्तर पर बुनियादी केंद्र बनाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर तेजी से काम हुआ था. लेकिन यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है. इस योजना की फाइल पटना जाकर अटक गयी है. भागलपुर : सरकार की बुनियादी […]
2014 में जिला स्तर पर बुनियादी केंद्र बनाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर तेजी से काम हुआ था. लेकिन यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है. इस योजना की फाइल पटना जाकर अटक गयी है.
भागलपुर : सरकार की बुनियादी केंद्र बनाने की योजना का बंटाधार हो गया है. वर्ष 2014 में जिला स्तर पर बुनियादी केंद्र बनाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर तेजी से काम हुआ था. लेकिन यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है. इस योजना की फाइल पटना जाकर अटक गयी है. बुनियादी केंद्र बनता तो विधवा, दिव्यांग, बुजुर्ग और असहायों को कई सहूलियत मिलती.
यह थी योजना. विश्व बैंक के सहयोग से अनुमंडल स्तर पर बुनियादी केंद्र बनाने की योजना थी.
वर्ष 2014 में विभागीय आदेश पर अनुमंडल क्षेत्र में केंद्र के लिए 5850 वर्ग फीट का कमरा बनना था. इस केंद्र में विधवा, दिव्यांग और बुजुर्ग को स्वास्थ्य संबंधी देखभाल की सुविधा मिलनी थी. केंद्र में दिव्यांग और बुजुर्ग को बीमारियों के इलाज की सुविधा और विधवा को पेंशन संबंधी आवेदन की सुविधा मिलती. बुनियादी केंद्र की देखरेख की जिम्मेवारी तक्षम संस्था को दी गयी थी.
भेजी गयी रिपोर्ट. अनुमंडल स्तर पर बुनियादी केंद्र के लिए सदर अनुमंडल के तहत नाथनगर, कहलगांव अनुमंडल के तहत पीरपैंती और नवगछिया अनुमंडल के तहत नवगछिया में जमीन चिह्नित हो गयी. जिला स्तर से 15 सितंबर 2015 को अनुमंडल वाइज जमीन की रिपोर्ट सामाजिक सुरक्षा कोषांग मुख्यालय को भेजी गयी.
वर्ष 2011 के सर्वे पर चल रही योजना. सरकार विधवा, दिव्यांग और बुजुर्ग को सरकारी पेंशन का लाभ वर्ष 2011 की योजना के आधार पर दे रही है. जबकि विगत पांच वर्षों में आंकड़ा अधिक हो गया है. लाभुक की संख्या बढ़ाने को लेकर भी कोई काम नहीं हुआ है. वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर पेंशन रिकार्ड में विधवा पेंशन की संख्या 15 से 16 हजार, बुजुर्ग पेंशन धारक 90 हजार और दिव्यांग की संख्या 16 हजार की है.
बुजुर्ग, विधवा व दिव्यांग को नहीं मिल रही कई सुविधाएं
विश्व बैंक के सहयोग से बनना था बुनियादी केंद्र जहां बुजुर्गों, असहायों को मिलती सहायता
क्या होती है परेशानी
विधवा. विधवा को सरकारी पेंशन में जगह पाने के लिए फिलहाल कोई एक केंद्र नहीं है. अभी प्रखंड स्तर पर पेंशन का आवेदन देने के बाद उसकी स्थिति का पता लगाना आवेदक के लिए मुश्किल हो जाता है. हाल यह है सरकारी पेंशन पानेवाली विधवा लाभुक की संख्या 15 से 16 हजार है, जबकि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है.
दिव्यांग. दिव्यांग को अपने खर्च पर चिकित्सकों से इलाज करवाना पड़ता है. कई बार महंगे इलाज के चक्कर में दिव्यांग चिकित्सक के पास नहीं जाते हैं. वहीं दिव्यांग को सरकारी पेंशन का लाभ उठाने के लिए भी विभाग का चक्कर काटना पड़ता है.
बुजुर्ग. बुजुर्ग को भी रोजमर्रा की परेशानी और समय-समय पर स्वास्थ्य संबंधी देखभाल को लेकर परेशानी उठानी पड़ती है.
केस स्टडी
नाथनगर के अनुसूचित जाति टोला निवासी किशनदास का गैर सरकारी संस्था के आयोजित कैंप में एक आंख का ऑपरेशन हुआ. मगर ऑपरेशन के बाद उसकी आंखों की रोशनी वापस नहीं आयी. संस्था से जब बुजुर्ग ने इस बारे में शिकायत की तो संस्था ने कोई ध्यान नहीं दिया. सरकारी स्तर पर दोबारा इलाज की सुविधा नहीं मिलने के कारण बुजुर्ग की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है.
नाथनगर के बुजुर्ग मोती यादव की जेएलएमएनसीएच में 13 अप्रैल 2016 को मौत हो गयी थी. किसी संस्था ने उसे अस्पताल में दाखिल करा दिया. बुजुर्ग की मौत के बाद कोई भी परिजन उसके अंतिम संस्कार के लिए नहीं आया. जबकि उससे बार-बार संपर्क करने का प्रयास किया गया.
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