भागलपुर: आयुक्त व जिलाधिकारी के संज्ञान लेने के बावजूद जिले में सातवें दिन मंगलवार को भी पैथोलॉजी जांच बंद रही. पटना से भागलपुर तक आवंटन आने में आठ माह का वक्त लग गया, जबकि वहां से एक सप्ताह में लोग पैदल भागलपुर पहुंच जायेंगे.
ऐसा लगता है कि इन समस्याओं से अधिकारियों को कोई खास मतलब नहीं है. मंगलवार को भी मरीज अस्पतालों में आये तो जरूर पर जांच के अभाव में बिना इलाज कराये ही वापस लौट गये. इस दौरान कई ऐसे मरीज थे जिनकी जांच चिकित्सकों ने जरूरी बताया, पर पैसे के अभाव में वे जांच नहीं करा पाये. सिर्फ सदर अस्पताल से 50 मरीज जांच के अभाव में वापस लौट गये. इस दौरान 12:18 मिनट में ही पूरा ओपीडी मरीजों से खाली हो गया.
चिकित्सक बैठे रहे पर मरीज नहीं आये. रोजाना यहां दो बजे तक मरीजों की भीड़ चिकित्सकों से दिखाने के बाद जांच के इंतजार में लगी रहती थी. हैरानी की बात तो यह है कि जब डोयन के कोलकाता के डायरेक्टर सुबीर राय से 09831065918 पर फोन पर बात की गयी तो कंपनी के किसी दूसरे कर्मचारी से बात हुई और उन्होंने जांच बंद होने पर अनभिज्ञता जाहिर की. साथ ही कहा कि ऐसी बात है तो हम पता करते हैं कि क्या कारण है. अब तक इस मामले में यहां के जनप्रतिनिधियों को भी कोई खास मतलब नहीं है. हर छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर धरना-प्रदर्शन करने वाले नेता भी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं.
एंबुलेंस चालकों को मिला डीजल : डीजल के अभाव में हड़ताल पर गये 102 के एंबुलेंस चालकों को मंगलवार की शाम डीजल का पैसा दे दिया गया. चालकों ने बताया कि हमलोगों को डीजल तो मिल गया है पर वेतन बकाया है. वहीं एंबुलेंस कंट्रोल अधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि सबको डीजल दे दिया गया है. अब किसी भी तरह की हड़ताल नहीं है. इधर 1099 के एंबुलेंस कर्मचारियों ने भी कहा है कि अक्तूबर से यह सुविधा जिला में शुरू की गयी है, पर वेतन नहीं मिला है. इस संबंध में सीएस डॉ यूएस चौधरी ने कहा कि 102 वाले को पैसा दे दिया गया है. वेतन का मामला उनका आपसी मामला है. सिर्फ 108 एंबुलेंस का पैसा बकाया है एवं 1099 वालों ने एक माह का बिल जमा किया है. जल्द ही उसे भी पैसा दे दिया जायेगा.