इस गरमी में हास्पिटल परिसर में लगे इस इकलौते चापाकल पर दिन भर बोतल-बाल्टी आदि में पानी भरने वालों की लाइन लगी रहती है.
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डॉक्टर को आरओ का पानी,मरीज बेपानी
इस गरमी में हास्पिटल परिसर में लगे इस इकलौते चापाकल पर दिन भर बोतल-बाल्टी आदि में पानी भरने वालों की लाइन लगी रहती है. भागलपुर : जेएलएनएमसीएच के चिकित्सक शुद्ध जल पी सके, इसके लिए हास्पिटल के सभी वार्डों में आरओ लगा है. वहीं यहां पर भरती मरीजों व उनके तीमारदारों की प्यास बुझाने के […]
भागलपुर : जेएलएनएमसीएच के चिकित्सक शुद्ध जल पी सके, इसके लिए हास्पिटल के सभी वार्डों में आरओ लगा है. वहीं यहां पर भरती मरीजों व उनके तीमारदारों की प्यास बुझाने के लिए महज एक ही चापाकल है. हॉस्पिटल में आज की तारीख में रोजाना डेढ़ हजार मरीज ओपीडी में इलाज कराने के लिए आते हैं और सैकड़ों मरीज यहां पर इलाज कराते हैं. हास्पिटल परिसर में तीन स्थानों पर इंडिया मार्का चापाकल लगा है,
लेकिन जीएनएम नर्सिंग हाॅस्टल के पास स्थित चापाकल चालू है. इस गरमी में हास्पिटल परिसर में लगे इस इकलौते चापाकल पर दिन भर बोतल-बाल्टी आदि में पानी भरने वालों की लाइन लगी रहती है.
एसीआे रूम को छोड़ हर जगह लगा है वॉटर प्यूरीफायर. इमरजेेंसी वार्ड स्थित एसीओ रूम में बैठने वाले चिकित्सकों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है. यहां बैठने वाले चिकित्सक को इसी वार्ड के सीनियर डॉक्टर्स के लिए बने केबिन में लगे वाटर प्यूरीफायर से पानी लाना पड़ता है. अस्पताल के हर विभाग में चिकित्सकों के पीने के पानी के लिए वाटर प्यूरीफायर लगा है.
कर्मचारी घर से लाते हैं पानी. यहां के कर्मचारी पीने का पानी अपने घर से लाते हैं. यहां तैनात एक नर्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह हमेशा से ही अपने घर से पानी लाती है. एक कर्मचारी ने बताया कि वह डाक्टर्स के केबिन में लगे वॉटर प्यूरीफायर से अपने लिए पानी बोतल में भर लेता है.
पति के लिए दूसरे तल से बुधनी लाती है पानी. गोड्डा, झारखंड के कोरकाघाट की बुधनी देवी के पति बुद्धिलाल रविदास हास्पिटल के दूसरे तल पर स्थित सर्जरी विभाग में भरती है. बुधनी बताती है कि वह अपने पति समेत परिवार के अन्य लोगों के लिए नीचे लगे चापाकल से पानी लाती है. इसी वार्ड में भरती सुनील के लिए पानी का इंतजाम उसका बेटा अवधेश कुमार करता है.
कहते हैं अधीक्षक. हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल मानते हैं कि मरीजों के लिए पानी की मौजूदा व्यवस्था अपर्याप्त हैं. डॉ मंडल ने बताया कि हर साल करीब दो से ढाई फीट पानी का लेवल नीचे चला जाता है, इसलिए दोनों चापाकल सूख गये हैं. वह जल्द ही पीएचइडी विभाग के इंजीनियर से बात कर यहां अतिरिक्त चापाकल लगवाएंगे.
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