भागलपुर: सदर अस्पताल में नव वर्ष के पहले ही दिन बुधवार को पैथोलॉजी सेवा बंद रही. मरीजों को दिन भर भटकना पड़ा. सदर अस्पताल के अलावा अन्य सरकारी अस्पतालों में जांच कार्य बाधित हुआ है. हालांकि नववर्ष पर मरीजों की संख्या भी काफी कम थी. महिला मरीजों की संख्या सामान्य दिनों की ही तरह थी.
सदर अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में रोजाना औसतन दो हजार से अधिक मरीजों की जांच होती है. अकेले सिर्फ सदर अस्पताल में 60 से अधिक मरीजों की विभिन्न तरह की जांच होती है. 14 तरह के जांच मुफ्त में होते हैं.
बुधवार को मरीजों को खून, पेशाब, हीमोग्लोबिन, मधुमेह, एचआइवी सहित अन्य जरूरी जांच के लिए प्राइवेट जांच घर में जाना पड़ा. मरीजों ने बताया कि सरकारी सुविधा रहने से पैसा भी नहीं लगता था और परेशानी भी नहीं होती थी. अब इलाज कराना है तो मजबूरी है जांच कहीं न कहीं कराना ही पड़ेगा.जांच एजेंसी डोयन ने पैसा बकाया भुगतान नहीं होने की वजह से जांच बंद करने की पूर्व में ही सिविल सजर्न को सूचना दे दी थी. एजेंसी ने कहा था कि उसका 23 लाख रुपये बकाया विभाग के पास है. आठ माह से कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है. इस वजह से कर्मचारियों ने काम करने से मना कर दिया है और वे लोग हड़ताल पर चले गये हैं. एजेंसी के को -ऑर्डिनेटर मनोज कुमार ने बताया कि इसकी सूचना सीएस को दी गयी है.
बकाया राशि का भुगतान होने पर फिर से यह सुविधा बहाल कर दी जायेगी. बताया जाता है कि रोजाना मुफ्त में जो जांच हो रही है उसे अगर निजी क्लिीनिकों में कराया जाए तो एक लाख से अधिक का खर्च आयेगा. यानी अब मरीजों के जेब ढीली होगी और लाभ निजी जांच घरों को होगी. अस्पतालों में जो लोग जांच कराते हैं उनमें अधिकतर या तो गरीब होते हैं या फिर मध्यम आय वर्ग वाले लोग. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संजय कुमार ने बताया कि एजेंसी ने पैसा नहीं मिलने पर हड़ताल कर दी है. वरीय पदाधिकारी के निर्देश के अनुसार आगे की कार्रवाई होगी. सिविल सर्जन डॉ यूएस चौधरी ने बताया कि परेशानी तो है. राज्य मुख्यालय को इसकी सूचना दे दी गयी है.