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राज्य सूचना आयोग में तलब होंगे जेएलएनएमसीएच अधीक्षक

16 मार्च को आयोजित सुनवाई में मांगी गयी सूचना के साथ होना होगा हाजिर भागलपुर : करीब 13 साल पहले जेएलएनएमसीएच (मायागंज अस्पताल) प्रशासन द्वारा बोला गया झूठ आज की तारीख में हास्पिटल प्रशासन के लिए गले की फांस बन गया है. सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी जानकारी को हास्पिटल प्रशासन द्वारा अपूर्ण […]

16 मार्च को आयोजित सुनवाई में मांगी गयी सूचना के साथ होना होगा हाजिर

भागलपुर : करीब 13 साल पहले जेएलएनएमसीएच (मायागंज अस्पताल) प्रशासन द्वारा बोला गया झूठ आज की तारीख में हास्पिटल प्रशासन के लिए गले की फांस बन गया है. सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी जानकारी को हास्पिटल प्रशासन द्वारा अपूर्ण दिये जाने पर अपीलकर्ता ने राज्य सूचना आयोग के समक्ष वाद दायर कर दिया. एक बार बुलाने पर जब हास्पिटल के अधीक्षक हाजिर नहीं हुए तो आयोग ने दूसरी तिथि 16 मार्च को होने वाले सुनवाई में किसी भी सूरत में सूचना के साथ हाजिर होने का फरमान सुना दिया है. हालांकि इस बाबत अस्पताल के अधीक्षक का कहना है कि उन्हें कुछ भी नहीं मालूम है.
ये है मामला. हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी बरारी निवासी झिंगुर सिंह के मुताबिक वे वर्ष 2003 में भारतीय वायु सेना में कारपोरेल पद पर सियाचिन में तैनात थे. 30 अप्रैल 2003 को उनकी डेढ़ साल की बेटी आस्था की तबीयत खराब हुई तो उनके परिजनों ने आस्था को जेएलएनएमसीएच में भरती कराया. बकौल झिंगुर सिंह, उनके परिजन बेटी की तबियत लगातार बिगड़ने का हवाला देते रहे लेकिन एक भी डाक्टर उनकी बेटी का इलाज कराने के लिए नहीं गया.
एक मई 2003 की सुबह 10 बजे जब डाक्टर पहुंचे तब तक उनकी बेटी हालात और भी खराब हो चुकी थी. खाने के लिए नली लगाते वक्त उनकी बेटी की मौत हो गयी. परिजनों ने जब लापरवाही का आरोप लगाया तो मौके पर माैजूद डाक्टर व कर्मचारियों ने अभद्रता की. झिंगुर को जानकारी मिली तो वे दस-12 दिन की छुट्टी लेकर घर पहुंचे. बकौल झिंगुर वे इन 10-12 दिन की छुट्टी में लगातार मायागंज हास्पिटल प्रशासन से मृत बेटी के इलाज का डिटेल (बीएचटी) मांगते रहे, लेकिन उन्हें इलाज का ब्योरा देने की बात तो दूर मृत्यु प्रमाणपत्र तक देने से मना कर दिया गया.
इसके बाद वे जब अपनी तैनाती स्थल पर गये, तो ग्रुप कैप्टन ने उनकी छुट्टी का कारण पूछा. जब उन्होंने बेटी की माैत और अस्पताल की घटना बतायी तो इस पर उनको अस्पताल द्वारा जारी कागजात मांगा गया. कागजात प्रस्तुत नहीं कर पाने पर ग्रुप कैप्टन ने उनको नौकरी से निकाले जाने की अनुशंसा अपने उच्चाधिकारियों से कर दी. वायुसेना के उच्चाधिकारियों ने भी अपनी जांच टीम भागलपुर भेजी. यहां टीम को अस्पताल प्रबंधन ने बता दिया कि आस्था नाम की लड़की का वहां इलाज ही नहीं हुआ है.
टीम ने इस रिपोर्ट के आधार पर झिंगुर सिंह को एयर फोर्स की नौकरी से निकाल दिया. इसके बाद झिंगुर सिंह ने आरटीआइ के तहत 2012 में जेएलएनएमसीएच प्रशासन से बेटी के इलाज से लेकर मौत तक का ब्योरा मांगा. अस्पताल प्रशासन ने इस बार सूचना में आस्था के एडमिट होने और इलाज की बात तो स्वीकारी लेकिन इलाज का डिटेल नहीं दिया. इसको लेकर झिंगुर सिंह ने राज्य सूचना आयोग में वाद दायर किया. राज्य सूचना आयोग ने 10 दिसंबर 2015 को अस्पताल के अधीक्षक को शो कॉज नोटिस जारी किया और सूचना के साथ 9 फरवरी 2016 को सुनवाई के दिन हाजिर होने को कहा. सुनवाई के दिन हाजिर न होने पर खफा आयोग ने पुन: सुनवाई की तिथि 16 मार्च 2016 को रखी है और अस्पताल के अधीक्षक काे किसी भी सूरत में हाजिर होने को कहा है.

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