भागलपुर : जिले में लोक सेवा अधिकार एक तरह से सफेद हाथी बनकर रहा गया है. लोग आस लगाकर लोक सेवा अधिकार के तहत आवेदन करते हैं, मगर इन आवेदन को समय पर निबटारा करने की जरूरत नहीं समझी जा रही है. लोक सेवा अधिकार के तहत काउंटर पर दलाल पर अंकुश लगाने की जुबानी निर्देश तो कई बार आला पदाधिकारी देते हैं
, मगर इस जुबानी आदेश को हकीकत में नहीं तब्दील किया जाता है. ये बातें राज्य सरकार के ही लोक सेवा अधिकारी की रैंकिंग में उजागर हुई हैं. लोक सेवा अधिकार के मामले में भागलपुर राज्य में 23 वें पायदान पर है. सूची में इस जिले से ऊपर पड़ोस का जिला बांका और जुमई है. यहां भागलपुर से विभिन्न मामलों में स्थिति बेहतर है.
इसमें जमुई चौथे व बांका सातवें पायदान पर हैं. जिले में आरटीपीएस के तहत समय पर काम नहीं होने के कारण की गयी प्रथम अपील में भी कई हजार मामले लंबित हैं. हाल यह है कि प्रथम अपील के बाद की निश्चित समयावधि खत्म होने पर भी कई मामले यूं ही पड़े हैं. इस कारण आवेदक को प्रथम अपीलीय अधिकारी के यहां से न्याय नहीं मिला और आवेदन बेकार हो गये. स्थिति की गंभीरता इसी से समझी जा सकती है कि समय पर काम न निपटाने वाले 27.64 फीसदी अधिकारियों को आरटीपीएस अधिनियम के तहत दंडित किया गया.आरटीपीएस के तहत जिलों की यह रैंकिंग सौ अंक के पैमाने पर जारी किया गया है. प्रत्येक काम के लिए निर्धारित अंक जोड़ कर यह रैंकिंग बनायी गयी है.