भागलपुर: मनरेगा में अब न मुखिया जी की और न ही कार्यक्रम पदाधिकारी की मनमानी चलेगी. अब सभी निर्णय कार्यकारिणी की बैठक में होगा. पांच लाख रुपये तक की प्रशासनिक स्वीकृति भी पंचायत कार्यकारिणी देगी.
इसके लिए हर मंगलवार को कार्यकारिणी की बैठक होगी. कार्यक्रम पदाधिकारी (पीओ) को इस व्यवस्था के अनुपालन की जिम्मेवारी दी गयी है. इस संबंध में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अमृत लाल मीणा ने सभी जिलाधिकारी व डीडीसी को इस संबंध में पत्र भेजा है. डीएम मनरेगा के जिला कार्यक्रम समन्वयक व डीडीसी अपर जिला कार्यक्रम समन्वय होते हैं. पत्र में कहा गया है कि मनरेगा में और अधिक खुलापन और पारदर्शिता लाने तथा जवाबदेही बढ़ाने के लिए इस तरह का प्रावधान किया गया है.
पत्र में कहा गया है कि मनरेगा का खर्च अब हर सप्ताह पंचायत कार्यकारिणी से अनुमोदित करा कर ही होगा. कार्यकारिणी समिति के अनुमोदन के बिना कोई भुगतान नहीं होगा. पीआरएस की यह जिम्मेवारी होगी कि वे समय पर मस्टर रोल और वाउचर कार्यकारिणी के समक्ष प्रस्तुत करें. पांच लाख तक की योजनाओं की स्वीकृति ग्राम पंचायत को करनी है, लेकिन पंचायत भी उसी योजना की स्वीकृति दे सकता है, जो ग्राम सभा द्वारा वार्षिक कार्ययोजना में शामिल हो. पत्र में मनरेगा संबंधी शिकायतों को समय सीमा के अंदर निवारण करने की बात कही गयी है. कार्यकारिणी सामाजिक अंकेक्षण व प्रचार-प्रसार की भी समीक्षा करेगी. कार्यकारिणी को यह भी अधिकार दिया गया है कि वह योजनाओं की प्रगति की समय-समय पर समीक्षा करे, ताकि समय पर योजना पूरा हो सके. पत्र में कहा गया है कि अब हर पंचायत में मनरेगा को लेकर कार्यकारिणी की बैठक होगी.
जिस पंचायत के सचिव एक से अधिक पंचायत के प्रभार में हैं वैसी स्थिति में प्रभार वाली पंचायत में गुरुवार को बैठक होगी. अगर किसी कारणवश तय समय पर बैठक नहीं हो पाती है, तो वह उसके ठीक अगले कार्य दिवस में होगी. कार्यकारिणी की बैठक में पंचायत रोजगार सेवक मनरेगा सहायक के रूप में भाग लेंगे तथा सभी संबंधित कागजात बैठक में रखेंगे. पत्र में इस बात का विशेष रूप से उल्लेख किया गया कि बैठक के तुरंत बाद कार्यवाही पुस्तिका में लिखी जायेगी और सभी उपस्थित सदस्यों का हस्ताक्षर कराया जायेगा.
कार्यक्रम पदाधिकारी को निर्देशों का पालन कराने की जिम्मेवारी दी गयी है. साथ ही वे तकनीकी सहायकों व कनीय अभियंताओं का रोस्टर बनायेंगे ताकि वे भी इन बैठकों में भाग लेंगे. प्रखंड विकास पदाधिकारी इसका अनुश्रवण करेंगे.