मेधा पलायन पर काबू पाये बिना भारत नहीं बन सकता आर्थिक महाशक्ति -टीएमबी भागलपुर विश्वविद्यालय के दिनकर हाल में राष्ट्रीय संगोष्ठी संवाददाता, भागलपुरतिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के औद्योगिक संबंध एवं कार्मिक प्रबंध (आइआरपीएम) विभाग के तत्वावधान में विश्वविद्यालय के दिनकर भवन में राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई. औद्याेगिक संबंध एवं मानव संसाधन : प्रबंध की नयी प्रवृत्तियां विषयक संगोष्ठी में देश भर के विद्वानों ने शिरकत की. संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि किसी भी देश के विकास में उसकी युवा शक्ति की महती भूमिका होती है. देश के युवा बड़ी संख्या में विदेशों में जाकर अपनी मेधा के जरिये उस देश के विकास को नयी ऊंचाई प्रदान कर रहे हैं. अकेले यूएसए में ही तीन लाख से अधिक भारतीय वहां पर अपनी काबिलियत का डंका बजा रहे हैं. चीन ने देश के युवा शक्ति के पलायन पर कुछ हद तक काबू पाकर अपने देश को आर्थिक महाशक्ति के रूप में साबित किया. हमें भी इस तरह के प्रयास करने चाहिये, ताकि देश की मेधाएं विदेश को पलायन न कर सकें. जब तक मेधाओं के पलायन को रोकने में देश सामर्थ्य नहीं होता तब तक न देश में औद्योगिक विकास की रफ्तार तेज होगी और न ही विश्व परिदृश्य में देश को खुद को आर्थिक महाशक्ति के रूप में साबित कर पायेगा. कार्यक्रम का उदघाटन मुख्य अतिथि पटना विश्वविद्यालय के प्रो प्रभाकर झा, अध्यक्षता कर रहे टीएमबी विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो अवध किशोर राय, मुख्य वक्ता बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो बी झा, विशिष्ट अतिथि बीआइटी मेसरा, रांची के प्रबंध विभाग की डाॅ मंजू भगत ने दीप प्रज्वलित किया. अतिथियों का स्वागत के बाद संगीत विभाग की छात्रा मिलन कुमारी, रेखा कुमारी, बिंदिया कुमारी, निकिता कुमारी, प्रतिभा कुमारी, प्रिया कुमारी व छात्र अमरजीत कुमार, प्रशांत मिश्र ने कुलगीत का गायन किया. आगतों का स्वागत विभागाध्यक्ष डाॅ प्रियव्रत नारायण यादव ने किया. इसके बाद सेमिनार की स्मारिका सह सारांशिका का विमोचन अतिथियों ने किया. सेमिनार में मुख्य वक्ता बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो बी झा ने कहा कि मानव संसाधन किसी भी संगठन एवं समाज का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन होता है. इसे उचित प्रशिक्षण एवं प्रेरणा से विकसित कर किसी भी कठिन लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. मुख्य अतिथि पटना विश्वविद्यालय के प्रो प्रभाकर झा ने कहा कि मानव पूंजी के बिना न तो देश में औद्योगिक विकास और न ही देश का विकास ही हो सकता है. डां मंजू भगत ने 135 करोड़ की आबादी वाले चीन के आर्थिक महाशक्ति बनने के कारणों पर प्रकाश डालते हुए भारत के महाशक्ति बनने की राह में आने वाले बाधा को दूर करने पर जोर दिया. डॉ रूखसाना नसर ने मानव संसाधन के मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला. डॉ एमएसएच जान ने मानव विकास को औद्योगिक विकास के लिए अहम बताते हुए इसके उचित प्रबंधन करने पर जोर दिया. डाॅ मीरा रानी यादव ने भी संगोष्ठी में अपने विचार रखा. संगोष्ठी का संचालन प्रो आरपी यादव व आगतों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन डाॅ रविंद्र कुमार ने किया. मौके पर प्रो केके सिंह, डॉ निर्मला कुमारी, डॉ राजीव कुमार सिंह, डॉ गोपाल प्रसाद सिंह, डॉ कैलाश पांडेय आदि की मौजूदगी रही. दो सत्र में पढ़े गये 85 शोध पत्रविश्वविद्यालय के रूम नंबर एक आेल्ड पीजी कैंपस में आयोजित पहले तकनीकी सत्र में 38 शोध पत्र जबकि दिनकर हॉल में आयोजित दूसरे तकनीकी सत्र में 47 शोध पत्र पढ़ा गया.
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मेधा पलायन पर काबू पाये बिना भारत नहीं बन सकता आर्थिक महाशक्ति
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